मुसलमानों की उच्च शिक्षा तक पहुँच सुनिश्चित करे सरकार – एसआईओ
स्टूडेंट्स इस्लामिक ऑर्गेनाइज़ेशन ऑफ़ इंडिया (SIO) और सेंटर फ़ॉर एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (CERT) द्वारा संयुक्त रूप से शिक्षा संवाद 2023 का आयोजन किया गया। इस अभियान की शुरुआत 20 जून को प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया, नई दिल्ली में आयोजित एक बैठक में हुई। बताया गया कि इस पहल का उद्देश्य शिक्षा के क्षेत्र में व्याप्त गंभीर मुद्दों, ख़ास तौर पर मुसलमान छात्रों की उच्च शिक्षा तक पहुंच, मौलाना आज़ाद नेशनल फ़ेलोशिप इत्यादि को संबोधित करना है।
शिक्षा पर चैट जीपीटी के प्रभाव
ChatGPT नवंबर 2022 में शुरू हुआ और इसने बहुत जल्द लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर लिया, और अब यह एक वायरल सनसनी में बदल चुका है। लेकिन छात्रों द्वारा ChatGPT का उपयोग शिक्षकों के लिए चिंता का विषय बन गया है। शिक्षकों को डर है कि यह छात्रों को आलसी बना देगा और छात्र तर्कसंगत सोच, शोध या लेखन जैसे महत्वपूर्ण कौशल विकसित करने में असमर्थ होंगे।
उच्च शिक्षा में मुसलमानों की गंभीर स्थिति
आज एक तरफ़ जहां ओबीसी छात्रों का उच्च शिक्षा में कुल नामांकन लगभग 36 प्रतिशत, दलित छात्रों का कुल नामांकन लगभग 14.2 प्रतिशत और आदिवासी छात्रों का कुल नामांकन लगभग 5.8 प्रतिशत है, तो वहीं दूसरी तरफ़ मुसलमान 4.6 प्रतिशत नामांकन के साथ इस फ़हरिस्त में सबसे नीचे खड़े हैं, जबकि वे पूरी आबादी में लगभग 15 प्रतिशत समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं।
एनसीईआरटी द्वारा किताबों में हेरफेर का सिलसिला जारी, मौलाना आज़ाद का उल्लेख हटाया
एनसीईआरटी ने 11वीं कक्षा की राजनीति विज्ञान की किताब से प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी और देश के पहले शिक्षामंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद का उल्लेख हटा दिया है। इसके अलावा, जम्मू-कश्मीर के भारत में सशर्त विलय पर भी बड़े बदलाव किए गए हैं। दोहराव और अप्रासंगिक घटनाओं का तर्क देते हुए कोर्स से अब तक गुजरात दंगे, मुग़ल शासन, इमरजेंसी, शीतयुद्ध और नक्सली आंदोलन के कुछ हिस्सों को हटाया जा चुका है।
बिहार की बदहाल शिक्षा व्यवस्था का ज़िम्मेदार कौन?
एक ओर जहाँ शिक्षकों की घोर कमी है वहीं शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी/एसटीईटी) उत्तीर्ण अभ्यर्थियों की एक बड़ी संख्या सड़कों पर बेरोज़गार घूम रही है और लगातार संघर्ष करते हुए पुलिस की लाठियां खा रही है। पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा देने की मांग भी समय-समय पर उठती रही है परन्तु इस पर कोई ठोस पहल अब तक नहीं हुई है। ऐसी ही कई समस्याएं हैं जो बिहार की शिक्षा व्यवस्था की राह में रोड़े अटका रही हैं।
भारतीय शिक्षा व्यवस्था और कहानी “6%” की
पिछले दो दशकों में भारत के शिक्षा क्षेत्र में स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों और नामांकन के मामले में बड़े पैमाने पर विस्तार हुआ है। इस विस्तार ने दो समस्याएं उत्पन्न कीं :- न्यायसंगत हिस्सेदारी (इक्विटी) और गुणवत्ता की कमी। इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए देश की शिक्षा व्यवस्था को उचित धन ख़र्च करने की आवश्यकता है। शिक्षा क्षेत्र के लिए बजट इस दिशा में पहला क़दम हो सकता है।
ऑनलाइन शिक्षा: चुनौतियां एवं संभावनाएं
वर्तमान परिस्थितियों में ऑनलाइन शिक्षण एक विकल्प के रूप में हमारे सामने है और अब इसे लगभग कक्षा शिक्षण का एक पर्याय समझा जाने लगा है। इसमें कोई शक नहीं कि वर्तमान परिस्थितियों में ऑनलाइन शिक्षण का सहारा लेना अपरिहार्य है लेकिन वहीं शिक्षाविदों के लिए यह विचारणीय तथ्य है कि क्या इसे कक्षा शिक्षण का पर्याय समझा जा सकता है?
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