हिंदी में परोसी जा रही नफ़रत का सामना हिंदी में ही संभव है

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अगर नफ़रत संगठित रूप से किसी भाषा के कंधे पर सवार होकर पांव फैला रही है तो प्रेम और सौहार्द की बातें करने वालों को और अधिक संगठित होकर उसी भाषा में मेल-मिलाप की बातें करनी होंगी।

एसआईओ ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया से अपने राष्ट्रव्यापी कैंपस अभियान की शुरुआत की

इस अभियान का उद्देश्य शिक्षण संस्थानों में नैतिक मूल्यों को पुनर्जीवित करते हुए कैंपसेज़ के महत्वपूर्ण मुद्दों को संबोधित करना है।

देश चांद तक पहुंचा और नफ़रत क्लासरूम तक

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मीडिया द्वारा फैलाई गई इस नफ़रत का ही नतीजा है जो अब मुज़फ्फरनगर और दिल्ली के स्कूलों में हाल ही में घटित हुई घटनाओं के रूप में सामने आ रहा है। देश तो चांद तक पहुंच गया है लेकिन नफ़रत भी स्कूल के क्लासरूम तक पहुंच गई है

कोटा में बढ़ती हुई आत्महत्याओं का ज़िम्मेदार कौन?

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आंकड़े देखें तो इस वर्ष जनवरी से लेकर अगस्त तक 24 छात्र-छात्राओं ने आत्महत्या की है। केवल अगस्त के महीने में ही 6 छात्र आत्महत्या कर चुके हैं। जबकि पिछले वर्ष इस तरह की 15 घटनाएं सामने आईं थीं।

भारतीय मुस्लिम राजनीति पर एक नई किताब

किताब में शोध की गुणवत्ता बहुत अच्छी है और अपनी तमाम ख़ामियों के बावजूद, यह किताब, चिंतन और विमर्श के लिए आमंत्रित करती है।

‘बेटी बचाओ’ के नारे का पोल खोलती है एनसीआरबी की रिपोर्ट

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‘बेटी बचाओ’ के नारे का पोल खोलती है एनसीआरबी की रिपोर्ट उम्मे वरक़ा “किसी भी समाज की तरक़्क़ी का मापदंड उस समाज की महिलाओं के विकास...

जब मुहाफ़िज़ ही लुटेरे बन जाएं!

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पिछले दस सालों में इस देश में मुसलमानों के ख़िलाफ़ जितनी नफ़रत फैलाई गई है और जितना उत्पीड़न हुआ है, उतना आज़ादी के बाद के 75 सालों में नहीं देखा गया। मॉब लिंचिंग के नाम पर मुसलमानों का उत्पीड़न और हत्या आम होती जा रही है। मुसलमानों के ख़िलाफ़ अपराधों में लगातार बढ़ोतरी भाजपा शासित राज्यों में ही हो रही है।

आज़ादी का मतलब क्या?

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आज़ादी का सबसे बड़ा हासिल तो यही है कि हमारे शासक हमारी मुट्ठी में हैं। लेकिन इस प्रत्यक्ष दिखने वाली सच्चाई की अपनी विडंबनाएं भी हैं। सत्ता लगातार जनता को बदल रही है। उसे अपने अधिकारों के प्रति सजग, समानता के मूल्य के प्रति सतर्क और सवाल पूछने वाले सचेत नागरिक नहीं चाहिए, उसे वैसे लोग चाहिए जिन्हें वह जनता का नाम देकर एक भीड़ में बदल सके और अपने पक्ष में इस्तेमाल कर सके।

महिला सुरक्षा के खोखले दावे

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मणिपुर, पश्चिम बंगाल, राजस्थान और बिहार में महिलाओं के उत्पीड़न को लेकर देश में अभी चर्चा चल ही रही थी कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के संकलित आंकड़ों को संसद में पेश किया गया। इसमें बताया गया है कि 2019 से 2021 के बीच तीन साल की अवधि के दौरान देश भर में 13.13 लाख से अधिक लड़कियां और महिलाएं लापता हुई हैं।

पुराने ज़ख्मों को कुरेदती है ओपेनहाइमर

क्रिस्टोफ़र नोलन की नयी फ़िल्म ओपेनहाइमर ने एक बार फिर पुराने ज़ख्मों को कुरेदा है। इसकी एक वजह शायद यह भी है कि दुनिया पागलपन और मूर्खता की चौहद्दी पर आज वैसे ही खड़ी है जैसे बीसवीं शताब्दी में खड़ी थी।