केंद्र ने मलयालम समाचार चैनल मीडिया वन के प्रसारण को फिर रोका

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केंद्र सरकार ने मलयालम भाषा के लोकप्रिय समाचार चैनल मीडिया वन के प्रसारण पर एक बार फिर रोक लगा दी है। मीडिया वन के संपादक...

2016-19 के बीच 5922 लोग यूएपीए के तहत गिरफ़्तार, 132 को सज़ा : केंद्र...

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हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा साझा की गई जानकारी के अनुसार वर्ष 2016 से 2019 के बीच देश में ग़ैरक़ानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम...

[पुस्तक समीक्षा] अल्लाह मियाँ का कारख़ाना

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पुस्तक का नाम – अल्लाह मियां का कारख़ाना लेखक – मोहसिन ख़ान भाषा – हिन्दी (मूलतः उर्दू) हिन्दी प्रकाशक – काव्या पब्लिकेशन्स प्रकाशन वर्ष – 2021 मूल्य – 260/- मोहसिन...

कॉमेडी की आड़ में कटाक्ष है ‘कटहल’

फ़िल्म उन सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनैतिक मुद्दों की पड़ताल करती है जो मध्य भारत के अंदरूनी इलाक़ों में प्रचलित हैं, जहां कटहल की चोरी जैसे अपराध की जांच की जानी चाहिए, और इसे किसी भी हालत में नज़रअंदाज नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि ग़ायब हुआ कटहल किसी मामूली व्यक्ति का नहीं बल्कि एक राजनेता का है।

मुझे बात नहीं करना है, मैं ज़िंदा हूँ! – ग्राउंड रिपोर्ट

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"नहीं, मुझे बात करना नहीं आता, ना ही मुझे चेहरा दिखाना है। कुछ नहीं हुआ मुझे। मैं ज़िंदा हूं।" ये प्रतिक्रिया है मुहम्मद...

शिक्षा व रोज़गार के मुद्दों को चुनावी एजेंडे में शामिल किया जाये – एसआईओ

लखनऊ | उत्तर प्रदेश में आने वाले महीनों में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। इस परिप्रेक्ष्य में स्टूडेंट्स इस्लामिक ऑर्गेनाइज़ेशन ऑफ़ इंडिया (एसआईओ)...

तुग़लकाबाद में अतिक्रमण हटाने के नाम पर चला बुल्डोज़र, हज़ारों लोग बेघर

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2016 में सर्वोच्च न्यायालय ने ASI से अवैध अतिक्रमण को रोकने के लिए कहा था, जिसका हवाला देते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस साल फ़रवरी में ASI से इन मामलों में जल्द कार्रवाई करने को कहा। हालांकि न्यायालय ने यह भी कहा था कि वहां रह रहे लोगों के लिए पहले कोई व्यवस्था की जाए, लेकिन लोगों का कहना है कि प्रशासन की तरफ़ से कोई व्यवस्था नहीं की गई।

कर्नाटक में कांग्रेस की जीत के मायने

यह जीत कांग्रेस के लिए ख़ास है। 1985 के बाद कर्नाटक में कांग्रेस की यह सबसे बड़ी जीत है। इस जीत से कांग्रेस को ख़ुद सीखने की ज़रूरत है। कर्नाटक और हिमाचल दोनों राज्यों ने साफ़ संदेश दिया है कि जनहित के मुद्दों से, स्थानीय मुद्दों पर केंद्रित रह कर भी नफ़रत की राजनीति को परास्त किया जा सकता है। लेकिन इसके लिए ज़रूरी है कि संगठन की आंतरिक गुटबंदियों से निपटते हुए यह लड़ाई‌ सामूहिकता के साथ लड़ी जाए।

महिलाओं के बाज़ारीकरण के ख़िलाफ़ कब बोलेंगे नारीवाद के ध्वजवाहक?

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जब हम महिलाओं के अधिकार, उनकी स्वतंत्रता और उनके समक्ष मौजूद चुनौतियों पर बात करते हैं तब हमें हमारे अतीत का विस्तारपूर्वक विश्लेषण करने...

अल्लामा इक़बाल की प्रासंगिकता बरक़रार है

दरअसल सत्ता के नशे में चूर हुक्मरानों का यह सोचना है कि उन्होंने इक़बाल को पाठ्यक्रम से बाहर निकाल कर उन्हें दफ़्न कर दिया है लेकिन अल्लामा इक़बाल कोई टिमटिमाता हुआ दिया नहीं हैं जो उनकी फूंकों से बुझ जाएंगे। दुनिया में बहुत कम शायर ऐसे हुए हैं जिनकी शायरी को देशों की सीमाओं से परे, अवाम ने इतना पसंद किया हो।