जेएनयू कैंपस मे नई राजनीति का सपना : एक संदेश

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दलित, बहुजन, मुस्लिम और अन्य उत्पीड़ित समुदायों की एकजुटता का एक लंबा इतिहास रहा है। पिछली सदी में दलित, बहुजन, मुस्लिम एकजुटता के विचारों...

संविधान सभा के अंतिम भाषण में बाबा साहब भीमराव अंबेडकर द्वारा दी गईं तीन...

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26 जनवरी 1950 को, भारत एक स्वतंत्र देश होगा। लेकिन उसकी स्वतंत्रता का क्या होगा? क्या वह अपनी स्वतंत्रता को बनाए रखेगा या फिर...

[पुस्तक समीक्षा] बाइज़्ज़त बरी: साज़िश के शिकार बेकुसूरों की दास्ताँ

पुस्तक का नाम: बाइज़्ज़त बरी? - साज़िश के शिकार बेकुसूरों की दास्ताँ लेखक: मनीषा भल्ला, डॉ. अलीमउल्लाह ख़ान प्रकाशक: भारत पुस्तक भंडार प्रकाशन वर्ष: 2021 भाषा: हिन्दी पृष्ठ: 296 समीक्षक:...

धारा 370 को हटाना भारतीय लोकतन्त्र तथा संविधान पर करारा प्रहार: एसआईओ

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अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू और कश्मीर के लोगों को दिए गए और अधिकारों का हनन भारतीय लोकतंत्र और संवैधानिक मूल्यों पर एक तमाचा...

[स्त्री विमर्श] SULLI DEALS, महिलाओं के विरुद्ध ऑनलाइन हिंसा और समाज की ख़ामोशी

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21 वीं सदी के भारत में तकनीकी प्रगति और महिलाओं के विरुद्ध हिंसा दोनों साथ-साथ चल रहे है। और हिंसा भी एक ही तरह...

राष्ट्रीय शिक्षा नीति को संवैधानिक मूल्यों पर आधारित, समावेशी और भेदभाव रहित होना चाहिए...

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मुख्य अंश राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2019 को संवैधानिक मूल्यों पर आधारित, समावेशी और भेदभाव रहित होना चाहिए : एसआईओ एसआईओ के राष्ट्रीय अध्यक्ष लबीद...

यूजीसी द्वारा बनाये गए नए पाठ्यक्रम में क्या आपत्तिजनक है?

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा स्नातक स्तर के लिए तैयार किए गए इतिहास के पाठ्यक्रम के मसौदे ने अकादमिक जगत में एक नई बहस...

[पुस्तक समीक्षा] यथार्थ से सामना कराता है “वैधानिक गल्प”

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पुस्तक का नाम – वैधानिक गल्प लेखक – चंदन पाण्डेय प्रकाशक – राजकमल प्रकाशन प्रकाशन वर्ष – 2020 भाषा – हिन्दी पृष्ठ – 142 मूल्य – 144/- ‘गल्प’ शब्द के अर्थ...

क्या वेब सीरीज़ की गालियां सुनकर आपके कान भी अब लाल नहीं होते?

पिछले दिनों किसी ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म पर आ रही एक वेब सीरीज़ में जब पहली बार एक गंदी गाली सुनी तो मेरे कान लाल हो...

अफ़ग़ानिस्तान को क्यों कहा जाता है साम्राज्यवादी महाशक्तियों का क़ब्रिस्तान?

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वर्तमान का जायज़ा यदि इतिहास के आईने से लिया जाये तो बहुत-सी हक़ीक़तें खुलकर सामने आती हैं। शायद यही कारण है कि इतिहास मानव...