गीता प्रेस ने प्रतिगामी, प्रतिक्रियावादी और सांप्रदायिक ‘हिन्दू’ का निर्माण किया है

हिंदी भाषी क्षेत्र में आरएसएस-भाजपा की सफलता में गीता प्रेस का योगदान हम भले न पहचानें, आरएसएस-भाजपा अवश्य पहचानती है और इसी अतुलनीय योगदान के लिए गांधी शांति पुरस्कार गीता प्रेस को दिया जा रहा है। गांधी शांति पुरस्कार इसलिए कि गांधी के नाम के आवरण में गीता प्रेस की प्रतिगामी भूमिका को ढका जा सके और गीता प्रेस को गांधी से जोड़कर एक बार फिर से गांधी को सनातनी हिंदू सिद्ध किया जा सके।

गीता प्रेस को ‘शांति’ पुरस्कार और ‘आल्ट-राईख’ की याद

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2018 में कारवाँ पत्रिका ने यह लेख प्रकाशित किया था। कैरोल शैफ़र ने लिखा था और इसके प्रकाशन तथा लिखे जाने की तैयारी में दसियों वर्ष की मेहनत है। यह आलेख मूलतः ‘आर्कटोस’ नामक प्रकाशन गृह पर है। इस प्रकाशन के संस्थापक ‘डेनियल फ़्रायबर्ग’ और अन्य सदस्यों की विचारधारा ने दक़ियानूसी और नफ़रत फैलाने वाली किताबों का जो कारोबार खड़ा किया है उसे पढ़ते हुए आप सकते में आ जाएँगे।

ईद-उल-अज़हा का असल पैग़ाम

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ईद-उल-अज़हा का एक बड़ा पैग़ाम ये है कि जिस तरह हम जानवर पर नियंत्रण हासिल करते हैं, उसे अल्लाह के नाम पर क़ुर्बान करते हैं और अपने लिए, दूसरे इंसानों के लिए और वंचितों और ग़रीबों के लिए उसमें हिस्सा निकालते हैं, ठीक उसी तरह उन संसाधनों पर भी नियंत्रण हासिल करें जो अल्लाह ने हमारे लिए पैदा किए हैं और उन्हें अल्लाह की मर्ज़ी के मुताबिक़ इंसानों के फ़ायदे के लिए, उनकी समस्याओं के हल के लिए इस्तेमाल करें।

साउथ एशियन यूनिवर्सिटी: छात्रों के विरोध प्रदर्शन को ‘भड़काने’ के आरोप में चार शिक्षक...

साउथ एशियन यूनिवर्सिटी ने अपने चार शिक्षकों को कारण बताओ नोटिस जारी करने के साथ निलंबित कर दिया है। इन चारों शिक्षकों के ख़िलाफ़ ‘आचार संहिता का उल्लंघन’ और ‘विश्वविद्यालय के हितों के ख़िलाफ़ छात्रों को भड़काने’ के आरोप हैं।

मुसलमानों की उच्च शिक्षा तक पहुँच सुनिश्चित करे सरकार – एसआईओ

स्टूडेंट्स इस्लामिक ऑर्गेनाइज़ेशन ऑफ़ इंडिया (SIO) और सेंटर फ़ॉर एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (CERT) द्वारा संयुक्त रूप से शिक्षा संवाद 2023 का आयोजन किया गया। इस अभियान की शुरुआत 20 जून को प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया, नई दिल्ली में आयोजित एक बैठक में हुई। बताया गया कि इस पहल का उद्देश्य शिक्षा के क्षेत्र में व्याप्त गंभीर मुद्दों, ख़ास तौर पर मुसलमान छात्रों की उच्च शिक्षा तक पहुंच, मौलाना आज़ाद नेशनल फ़ेलोशिप इत्यादि को‌ संबोधित करना है।

कुश्ती के रिंग से सड़कों तक की लड़ाई

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जिस दिन नये संसद भवन का उद्घाटन बड़ी धूमधाम से हो रहा था, देश के लिए ओलंपिक पदक जीतने वाली महिला पहलवानों को बेरहमी के साथ विरोध प्रदर्शन से उठाकर पुलिस की गाड़ियों में जबरन धकेला जा रहा था। इन दृश्यों ने लोकतंत्र के प्रति सत्ताधारी अभिजात वर्ग की सोच को उजागर किया।

[कविता] तरस आता है उस देश पर

“लॉरेंस फ़र्लिंगहेटी की यह कविता ‘तरस आता है उस देश पर’, उस देश की है, जिसकी बदनामी इस देश में नहीं हो सकती। इस-उस देश के बीच फँसे एक देश के नागरिकों के सामने एक कविता खड़ी है।” - रवीश कुमार

उत्तरकाशी में क्या चल रहा है?

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मुसलमानों की दुकानों पर लगाए गए इन पोस्टरों में कहा गया था कि 15 जून को होने वाली महापंचायत से पहले इस इलाक़े को छोड़ कर चले जाएं, जिसके बाद इस इलाक़े से मुस्लिम व्यापारियों का पलायन होने लगा।

चे ग्वेरा के बहाने सलाहुद्दीन अय्यूबी की याद

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जो काम आधुनिक युग में चे ग्वेरा ने अमेरिकी साम्राज्यवाद को चुनौती देकर किया था, उससे बड़ा कारनामा सुल्तान सलाहुद्दीन अय्यूबी क़रीब आठ सदी पहले ज़बरदस्त ढंग से कर चुके थे, जिसकी कसक सदियों तक यूरोपीय देशों को रही।

हमें उमर ख़ालिद को क्यों याद रखना चाहिए?

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ऐसे समय में जब यह सत्ता मिथकों को तथ्यों में बदलने के लिए इतनी मेहनत कर रही है, हमारी लौकिक और स्थानिक वास्तविकताओं को बदलने के लिए शहरों और सड़कों का नाम बदल रही है और कायरों को स्वतंत्रता सेनानियों की तरह मना रही है, हमारा प्रतिरोध हमारे याद रखने में निहित है।