लघुकथा:सरकार की नीति

" आइए मित्तल साहब …बैठिए , बैठिए …सब खैरियत ? "" साहब ! ….वो टैक्स वाला मामला सेटल हो जाता तो … "" हो...

पुस्तक समीक्षा: ठिठुरते लैम्प पोस्ट

अदनान कफ़ील 'दरवेश' का ताज़ातरीन और पहला कविता-संग्रह 'ठिठुरते लैम्प पोस्ट' पढ़ा। किताब में कुल 97 कविताएँ हैं, जिनमें अच्छी या कम अच्छी जैसी...

[कविता] पानी पर लिखा जाता है इतिहास

“और हमने पानी से जीवन को पैदा किया”1 बहती नदियां सभ्यताओं की जननी हुईं, और पानी में दफ़्न पुराने शहर, आदमी के अस्तित्व के रहस्यों के संग्रह...

[कविता] मेरे जूते को बचाकर रखना

मेरे जूते को बचाकर रखना,संभाल कर रखना इसे कल के लिए -मलबे के बीच दम तोड़ रहे कल के लिए। मेरे जूते को बचाकर रखना,ग़म...

विश्व शांति दिवस और निशान ए मीर

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आज विश्व शांति दिवस है तो आज ही मीर तक़ी मीर के गुज़रने का दिन भी । मेरे लिए इन दोनों वजहों से आजका...

राहत इंदौरी : आवाम का शायर,अलविदा कह गया

मंच सजा हुआ है। हर निगाह आतुर है। इस सजे हुए मंच की रौनक अभी आना बाकि है। वो शख्स जो कहता है कि   "हाथ...

कविता-साम्राज्य हमेशा से दयालू रहा है

साम्राज्य हमेशा से दयालू रहा है जब हम अंधकार में थे पश्चिमी साम्राज्य ने हम पर दया दृष्टि डाली हमें सभ्य बनाया उसने हमें लूटा नहीं, ना ग़ुलाम...

कविता-इंसान…

  जिसमें होता है विवेक बुद्धि, बोलने की क्षमता सोचने की शक्ति। क्या वाकई वह अलग है जानवर से? नहीं, विवेक मर गया है उसका! बुद्धि का ज्यादा और गलत इस्तेमाल करने लगा है...

कविता-मजदूर

जो बनाते हैं सबका आशियाना जो बीनते हैं रंग बिरंगे कपड़े तैयार करते हैं फसल आज मजबूर हैं कोरोना महामारी ने कर दिया है बेबस, लाचार कि पैदल ही चल...

चंद उम्मीद की रोटियां थी थैले में लेकिन भूख लगने से पहले ही मौत...

रोटी से भूख मिटाएंगे हाँ सही सुना आप ने,रोटी से भूख मिटाएंगे सोचा था कि रोटी से भूख मिट जाएगी तो ज़िन्दगी के सफर को आगे बढ़ाएगे स्वार्थ...