फणीश्वर नाथ रेणु : धरती का धनी कथाकार

साहित्य चाहे किसी भी भाषा अथवा बोली में रचा जाए, उसका महत्व तभी है जब उसमें अतीत से मिले सबक हों और बेहतर भविष्य के निर्माण की परिकल्पना। हिंदी साहित्य में ऐसे रचनाकार जिनकी रचनाओं में यह बात स्पष्ट दिखती है, उनमें फणीश्वर नाथ रेणु अग्रणी हैं। इसकी ख़ास वजह यह कि उनकी रचनाओं में वर्तमान के द्वंद्व तो होते ही हैं लेकिन एक बुनियाद भी होती है जिसके सहारे वह बेहतर समाज के निर्माण का सपना संजोते हैं।

मौलाना आज़ाद के समावेशी विचारों पर बात करने की आवश्यकता है – प्रोफ़ेसर एस०...

अपने वक्तव्य में प्रोफ़ेसर हबीब ने कहा कि, “मौलाना आज़ाद केवल राजनीतिक व्यक्ति या एक इस्लामिक विद्वान नहीं थे बल्कि उसके अलावा भी बहुत कुछ थे जिस पर बात करने की आवश्यकता है। मौलाना आज़ाद एक उत्कृष्ट लेखक, वक्ता, संगीत प्रेमी, कला प्रेमी, साहित्यकार, स्वतंत्रता सेनानी के साथ-साथ भारत विभाजन के विरुद्ध सबसे प्रखर आवाज़ थे, जिनसे प्रभावित होकर लाखों मुसलमानों ने मुस्लिम लीग और विभाजन का विरोध किया था।”

जानिए क्यों मनाया जाता है अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस?

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निशांत तिवारी सन् 1947 में भारत की आज़ादी के साथ भारत का विभाजन भी हुआ और दुनिया के नक़्शे पर एक नया देश उभरा- पाकिस्तान।...

[कविता] तब क़लम उठानी पड़ती है

मानवता जब दम तोड़ रही हो, सांसें साथ छोड़ रही हों, तब क़लम उठानी पड़ती है, क्रांति की मशाल जलानी पड़ती है। देश के सारे मुद्दे...

सैर के वास्ते थोड़ी सी जगह और सही !

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Druv Gupt ✒️..... दिल्ली के निज़ामुद्दीन में मौज़ूद मिर्ज़ा ग़ालिब की मज़ार दिल्ली की मेरी सबसे प्रिय जगह है। वहां की बेशुमार भीड़भाड़ में जब भी...

अर्थशास्त्र के इस्लामीकरण के ध्वजवाहक, प्रोफेसर नजातुल्लाह सिद्दीकी का निधन

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-डॉ मुहम्मद रज़ी उल इस्लाम नदवी सुबह में, यह बताया गया कि प्रोफेसर मुहम्मद नजतुल्लाह सिद्दीकी साहब का निधन हो गया था। तुरंत जुबान...

वह सुबह ज़रूर आएगी! डॉ. भीमराव अम्बेडकर जयंती विशेष

मैं हुं न्याय, दुनिया में कोई ऐसा व्यक्ति नहीं जो सुबह से लेकर शाम तक में मुझे याद न करे। सब लोग मुझसे इतना...

गीता प्रेस को ‘शांति’ पुरस्कार और ‘आल्ट-राईख’ की याद

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2018 में कारवाँ पत्रिका ने यह लेख प्रकाशित किया था। कैरोल शैफ़र ने लिखा था और इसके प्रकाशन तथा लिखे जाने की तैयारी में दसियों वर्ष की मेहनत है। यह आलेख मूलतः ‘आर्कटोस’ नामक प्रकाशन गृह पर है। इस प्रकाशन के संस्थापक ‘डेनियल फ़्रायबर्ग’ और अन्य सदस्यों की विचारधारा ने दक़ियानूसी और नफ़रत फैलाने वाली किताबों का जो कारोबार खड़ा किया है उसे पढ़ते हुए आप सकते में आ जाएँगे।

विकास ढूंढ़ता हूँ मैं…..

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मैं अखबार पढ़ते ना जाने क्यों अपने देशका विकास ढूंढता हूँविकास हमारे मोहल्ले का खोया हुआकोई नन्हा बालक नहीं है,विकास हमारी प्रगति का है,विकास...

स्व. भिखारी ठाकुर की जयंती रंगवा में भंगवा परल हो बटोहिया !

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Dhruv Gupt लोकभाषा भोजपुरी की साहित्य-संपदा की जब चर्चा होती है तो सबसे पहले जो नाम सामने आता है, वह है स्व भिखारी ठाकुर का।...