कानून के राज के आगे पस्त योगी सरकार,इलाहबाद हाईकोर्ट ने पोस्टर्स हटाने के दिए निर्देश

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पिछले साल 19 दिसंबर को उत्तर प्रदेश में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में में हुए प्रदर्शनों के दौरान हुई हिंसा के बाद यूपी पुलिस ने कुछ लोगों पर हिंसा में शामिल होने के आरोप लगाए हैं और कहा है कि इन लोगों के उकसावे सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया है. इसी को आधार बनाकर लखनऊ प्रशासन ने शहर के प्रमुख और भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर विवादित नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले करीब 60 लोगों के नाम और पते के साथ होर्डिंग्स लगा रखा है.

हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को आदेश दिया कि आज दोपहर तीन बजे से पहले ये सारे होर्डिंग्स हटाए जाए और तीन बजे कोर्ट को इसकी जानकारी दी जाए
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रविवार को एक विशेष सुनवाई के दौरान नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन करने वालों द्वारा कथित रूप से हिंसा करने के आरोपियों की लखनऊ में पोस्टर लगाने को लेकर उत्तर प्रदेश प्रशासन को कड़ी फटकार लगाई और कहा कि यह पूरी तरह से अनुचित कदम है.हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को आदेश दिया कि आज दोपहर तीन बजे से पहले ये सारे होर्डिंग्स हटाए जाए और तीन बजे कोर्ट को इसकी जानकारी दी जाए.

इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर और जस्टिस रमेश सिन्हा की पीठ ने कहा कि इस तरह से सार्वजनिक स्थानों पर पोस्टर लगाने बिल्कुल अनुचित है और यह संबंधित लोगों की व्यक्तिगत आजादी पर पूरी तरह से दखलअंदाजी है.

एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर ये पोस्टर लगाए गए हैं. इसमें जानी-मानी कार्यकर्ता और नेता सदफ जाफर, मानवाधिकार वकील मोहम्मद शोएब, पूर्व आईपीएस अधिकारी एसआर दारापुरी जैसे लोगों का भी नाम शामिल है.

इस मामले को गंभीरता से लेते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया और रविवार के दिन सुबह 10 बजे सुनवाई करने के लिए विशेष बैठक का फैसला लिया.

लाइव लॉ के मुताबिक कोर्ट ने कहा, ‘राज्य की अच्छी भावना होनी चाहिए और तीन बजे से पहले सभी होर्डिंग्स हटाए जाएं और तीन बजे तक कोर्ट को इसकी जानकारी दी जाए.’

जब सरकार के वकील ने कहा कि ये वो लोग हैं जिन पर सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का आरोप है, इस पर कोर्ट ने कहा, ‘अगर वे इसके लिए उत्तरदायी हैं तो भी आप ऐसा नहीं कर सकते हैं, आप एक-एक को नोटिस भेजना पड़ेगा.’

अब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लखनऊ के ज़िलाधिकारी और पुलिस आयुक्त को निर्देश दिया है कि लखनऊ में प्रदर्शनकारियों की तस्वीरों और उनके पते लगे हुए पोस्टर्स और होर्डिंग्स को 16 मार्च तक हटा लिया जाए. मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर और जस्टिस रमेश सिन्हा की बेंच ने ये निर्देश देते हुए 17 मार्च तक कार्रवाई रिपोर्ट रजिस्ट्रार जनरल के दफ़्तर में जमा कराने का निर्देश दिया है.
कोर्ट परिसर में मौजूद वकील एसएम नसीम ने मीडिया को बताया कि हाईकोर्ट ने इस मामले में बेहद सख़्त रुख़ अपनाया और कहा कि ये नागरिकों की निजता का हनन है और इन्हें तत्काल हटा लिया जाए. नसीम ने बताया कि राज्य सरकार के महाधिवक्ता की ओर से इस बारे में दी गई दलीलों को कोर्ट ने ख़ारिज कर दिया और पोस्टर्स लगाने को नागरिकों की निजता का हनन माना है. कोर्ट के इस आदेश पर राज्य सरकार की अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी है.

हाईकोर्ट के आदेश के बाद रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी एसआर दारापुरी ने बीबीसी से बातचीत में कोर्ट के इस फ़ैसले का स्वागत करते हुए कहा कि इस फ़ैसले से लोगों का क़ानून पर भरोसा बढ़ा है. दारापुरी का नाम भी उन लोगों में शामिल है जिनकी तस्वीरें होर्डिंग्स पर लगाई गई हैं. दारापुरी कहते हैं, “हाईकोर्ट ने बता दिया है कि प्रदेश में क़ानून का राज चलेगा और न कि योगी आदित्यनाथ की तानाशाही. लगता है कि योगी सरकार हम लोगों की मॉब लिंचिंग कराने की तैयारी कर रही है. हम दोषी अधिकारियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग करेंगे और इसके लिए अदालत की शरण लेंगे.”

( सहयोग आभार,बीबीसी हिंदी )

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