कविता-साम्राज्य हमेशा से दयालू रहा है
साम्राज्य हमेशा से दयालू रहा है
जब हम अंधकार में थे
पश्चिमी साम्राज्य ने हम पर दया दृष्टि डाली
हमें सभ्य बनाया
उसने हमें लूटा नहीं, ना ग़ुलाम...
कविता-इंसान…
जिसमें होता है विवेक
बुद्धि, बोलने की क्षमता
सोचने की शक्ति।
क्या वाकई वह अलग है
जानवर से?
नहीं,
विवेक मर गया है
उसका!
बुद्धि का ज्यादा और
गलत इस्तेमाल करने लगा है...
कविता-मजदूर
जो बनाते हैं सबका आशियाना
जो बीनते हैं रंग बिरंगे कपड़े
तैयार करते हैं फसल
आज मजबूर हैं
कोरोना महामारी ने
कर दिया है बेबस, लाचार
कि पैदल ही चल...
चंद उम्मीद की रोटियां थी थैले में लेकिन भूख लगने से पहले ही मौत...
रोटी से भूख मिटाएंगे
हाँ सही सुना आप ने,रोटी से भूख मिटाएंगे
सोचा था कि रोटी से भूख मिट जाएगी तो
ज़िन्दगी के सफर को आगे बढ़ाएगे
स्वार्थ...
कविता-किताबें खोलता हूँ
किताबें खोलता हूँ,
सैकड़ों पन्ने पलटता हूँ,
हज़ारों लफ्ज़ मिलते हैं,
सभी खामोश दिखते हैं,
यूंही बिखरे पड़े हैं सब,
क़लम ने क़ैद कर रख्खा है इनको,
किताबों के क़िले...
कविता-नफरत…
नफरत...
जिसके बीज दिलों में बोए जाते हैं।
जो इन्सान से कई अपराध कराती है।
और जब यह नफरत हद से गुज़र जाती है,
तो सांप्रदायिक दंगे भड़काती...
वह सुबह ज़रूर आएगी! डॉ. भीमराव अम्बेडकर जयंती विशेष
मैं हुं न्याय, दुनिया में कोई ऐसा व्यक्ति नहीं जो सुबह से लेकर शाम तक में मुझे याद न करे। सब लोग मुझसे इतना...
‘आग और अंधकार’ कविता
'आग और अंधकार'
एक दिन जब सुबह हुई, राजा अंधा हो गया
दिन चढ़ा, सूरज निकला, पर राजा की आंख अंधेरी
उसको कुछ भी नज़र ना आया
वैद्य,...
गरीब की मौत का दोषी कौन ? “लघु कथा”
एक बार एक गरीब मर गया
क्रिया-कर्म कराने वाले पंडित ने परिजनों से पूछा- 'इनकी मृत्यु कैसे हुई थी यजमान...?'
परिजनों में से कुछ केन्द्र सरकार...
Covid19- “टूटेंगे बंधन और हम फिर आज़ाद होंगे” कविता
टप-टप गिर रहा था आज बूंदों के रूप में जो आसमां से
आज इन बूंदों में वो पहले सा सुकून कहाँ है?
आज वो बच्चे कहाँ...