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स्वतंत्रता आंदोलन और मौलाना आज़ाद का अल-हिलाल
आज की पत्रकारिता को मौलाना के विचारों के अनुसार ख़ुद का आंकलन करने की ज़रूरत है जोकि सत्ताधारी और पूंजीवादियों की ग़ुलामी में अपना सब कुछ ख़त्म करने में लगे हैं। मौलाना पत्रकारिता और पत्रकार को बहुत इज़्ज़त की नज़रों से देखते थे। उनका मानना था कि अख़बार और पत्रकार किसी भी समाज या देश का सच्चा तर्जुमान होते हैं और उसी की तर्जुमानी का हक़ अदा करते हैं।
सम्पादकीय
स्वतंत्रता आंदोलन और मौलाना आज़ाद का अल-हिलाल
आज की पत्रकारिता को मौलाना के विचारों के अनुसार ख़ुद का आंकलन करने की ज़रूरत है जोकि सत्ताधारी और पूंजीवादियों की ग़ुलामी में अपना सब कुछ ख़त्म करने में लगे हैं। मौलाना पत्रकारिता और पत्रकार को बहुत इज़्ज़त की नज़रों से देखते थे। उनका मानना था कि अख़बार और पत्रकार किसी भी समाज या देश का सच्चा तर्जुमान होते हैं और उसी की तर्जुमानी का हक़ अदा करते हैं।
अभिमत
सिनेमा
स्वतंत्रता आंदोलन और मौलाना आज़ाद का अल-हिलाल
आज की पत्रकारिता को मौलाना के विचारों के अनुसार ख़ुद का आंकलन करने की ज़रूरत है जोकि सत्ताधारी और पूंजीवादियों की ग़ुलामी में अपना सब कुछ ख़त्म करने में लगे हैं। मौलाना पत्रकारिता और पत्रकार को बहुत इज़्ज़त की नज़रों से देखते थे। उनका मानना था कि अख़बार और पत्रकार किसी भी समाज या देश का सच्चा तर्जुमान होते हैं और उसी की तर्जुमानी का हक़ अदा करते हैं।
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