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सम्पादकीय
अभिमत
किताबों की दुनिया
पुलिस रिफ़ॉर्म की बहस को आगे बढ़ाती है “पुलिसनामा”
इस किताब में बयान हुई कहानियां हमारे आस-पास की कहानियां हैं। इनमें कुछ भी नया नहीं है। कोई शॉक वैल्यू नहीं। यह कोई कल्पना नहीं है बल्कि ये हमारे ख़ुद के साथ घटी हुई या झेली हुई कहानियां हैं। हम इनके साथ रिलेट कर सकते हैं। हर एक क़िस्से को पढ़ कर आपको उसी जैसे तीन और क़िस्से याद आ जायेंगे, और यही इस किताब की कामयाबी है।
पत्रिका
छात्र विमर्श विशेषांक: वादे और वास्तविकता के बीच झूलती शिक्षा व्यवस्था
इस विशेषांक में आपके लिए है बहुत कुछ महत्वपूर्ण और दिलचस्प.
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साक्षात्कार
देश में उत्पन्न आर्थिक संकट के लक्षण चिंतनीय – अभिजीत बनर्जी
भारतीय मूल के अमेरिकी अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी को वर्ष 2019 के लिए अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उनका जन्म 1961...
“संघर्ष केवल अपने अधिकारों के लिए नहीं बल्कि न्याय पर आधारित समाज के निर्माण...
केरल से सम्बन्ध रखने वाले नहास माला 2017 व 2018, दो वर्षों तक देश के प्रतिष्ठित छात्र संगठन ‘स्टूडेंट्स इस्लामिक आर्गेनाईजेशन’ के अखिल भारतीय अध्यक्ष...
शिक्षा विमर्श
उच्च शिक्षा में मुसलमानों की गंभीर स्थिति
आज एक तरफ़ जहां ओबीसी छात्रों का उच्च शिक्षा में कुल नामांकन लगभग 36 प्रतिशत, दलित छात्रों का कुल नामांकन लगभग 14.2 प्रतिशत और आदिवासी छात्रों का कुल नामांकन लगभग 5.8 प्रतिशत है, तो वहीं दूसरी तरफ़ मुसलमान 4.6 प्रतिशत नामांकन के साथ इस फ़हरिस्त में सबसे नीचे खड़े हैं, जबकि वे पूरी आबादी में लगभग 15 प्रतिशत समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं।
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