दिल्ली चमन पार्क गली न• 4 के रहने वाले हैं। ये दोनों भाई बहनों ने हिम्मत दिखा कर ज़िंदा होने का सबूत दिया है
15 साल के फ़ुरक़ान और 20 साल की सना अपने तीन मंज़िला मकान मे अपनी दो भाभियों के साथ थीं फ़ुरकान के वालिद और माँ दिल्ली हिंसा मे कहीं और फ़से थे।
सना और फ़ुरक़ान का कहना है कि चारों तरफ़ से “जय श्री राम” के नारे लग रहे थे। गोलियों कि आवाज़ आ रही थी दंगाई हर तरफ़ लूट-मार कर रहे थे कई घरों मे आग लगा दी गई थी।
बच्चे ,बंढ़े ,औरतें ,जवान अपनी जान बचाने के लिये इधर-उधर भाग रहे थे।
जब मैनें देखा एक बड़ी भीड़ जान बचाने के लिये मेरी गली की तरफ़ से ग़ुज़र रही है तो हमने अपना तीन मंजिला मकान उस भीड़ के लिये खोल दिया, जैसे-जैसे लोग आते गए हम दोनो भाई बहन उन बे सहारा लोगों को अपने घर मे जगह देते गए, सना रसोई मे गई और सब के लिये खाना बनाती गई
20 साल की सना बताती हैं हमने एक राऊंड के बाद दूसरा राऊंड फ़िर तीसरा राऊंड ये सिल सिला जारी रहा सुबह तक लोग आते गए
सुबह तक करीब 700 लोग मेरे घर मे पनाह ले चुके थे और मै सिर्फ़ इन लोगों को दाल रोटी ही खिला पाई। अगली सुबह पड़ोसियों ने भी इनके खाने और कपड़ों का बंदोबस्त किया।
मलिक जो सना और फ़ुरकान के वालिद थे बताते हैं मेरे बच्चों ने मुझे बहुत फ़ख़्र महसूस कराया