केस स्टडी : मिडिया की नजर मे हादिया मामला

आज से लगभग एक साल पहले 24 मई 2017 को केरल हाईकोर्ट ने हादिया और शफिन के विवाह को गैर कानूनी बताते हुए खारिज कर दिया था। बाद मे यह मुद्दा राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय, मीडिया मे छाया रहा। अलग-अलग मिडिया हाऊसेज़ ने इस पूरे मामले को प्रस्तुत करने का प्रयास किया। अनेक माध्यमो ने इसे पक्षपात के आधार पर प्रस्तुत किया। इस विषय को लेकर सभी ने अपना-अपना पक्ष रखा। फर्ग्युसन कॉलेज पुणे के 12 वी कक्षा के छात्र एवं स्टूडेंट्स इस्लामिक आर्गेनाईजेशन ऑफ इंडिया के सदस्य मुसअब शेख ने मिडिया रिपोर्टों का परिक्षण कर उक्त रिपोर्ट संकलित और संपादित की है।

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हादिया के केस को हम एक राजनैतिक मुद्दा, धर्म परिवर्तन की घटना, प्रेम कहानी, उग्रवादी संगठनो का प्रयास, नारीवादी और लैंगिक समानता के विचार या लव जिहाद के संदर्भ मे देख सकते है।

संचार माध्यमो ने अपना किरदार इस पुरे मामले मे बडे ही चालाकी से निभाया है। अपने मतलब के अनुसार अनेक चैनल और समाचारपत्रो ने इस पुरे मामले मे नए रंग और पहलुओ को जोडा है।

घटनाक्रम:

यदि देखा जाए तो यह पुरा मामला एक पेचिदा और जटिल मामला है और उसमे अलग-अलग मोड़ है। कई घटनांए ऐसी है जिनका अंततः सुप्रिमकोर्ट के निर्णय पर अंत होता है। हमे इस मामले की कुछ बुनियादी बातों से परिचित होना चाहिए ताकि हम इस मुद्दे को गहराई से समझ सके।

हादिया केरला के कोट्टयम तहसील मे जन्मी श्रीमती पोनाम्मा और श्री अशोकन की वह एकलौती बेटी है। हादिया का पारंपारिक नाम आखिला अशोकन था, जो बाद मे ‘हादिया जहां’ हो गया। होमियोपैथिक चिकित्सा के क्षेत्र मे स्नातक मे अपनी परीक्षा पूरी करने हेतु वह तमिलनाडु  के शिवराज होमियोपैथिक  मेडिकल कॉलेज मे प्रवेश लेती है। वहां उसका संबंध अन्य दो मुस्लिम लडकियों से होता  है, जिनकी इबादत और बेदाग चरित्र को देखकर वह बहुत ज्यादा प्रभावित होती है। इस कारण इस्लाम धर्म के प्रति उसके मन मे आकर्षण पैदा होता है। सितम्बर 2015 से वह अपने धर्म परिवर्तन की कानूनी कारवाई का आरंभ करती है। जब हादिया के माता-पिता को उसके इस्लाम  स्वीकार करने के बारे मे पता चलता है तब पिता अशोकन हादिया को समझाने का प्रयास करते है । किन्तु 2 जनवरी 2016 को वह अपना घर बार छोडकर निकल जाती है।

हादिया के पिता अशोकन, पुलिस मे अपनी शिकायत दर्ज करते है, जिसमे वह यह आरोप लगाते है कि हादिया को जबरदस्ती इस्लाम स्वीकार करने पर मजबूर किया गया है। 21 दिसम्बर 2016 को हादिया अदातलत पहुँचती है और यह बात स्पष्ट करती है कि वह बालिग हो चुकी है और उसको अपनी खुद की इच्छाए और अपनी निजी पसंद रखने का पूरा अधिकार प्राप्त है। इस लिए उसने जो भी कदम उठाया है अपनी मर्जी से उठाया है, ना कि किसी की जोर जबरदस्ती मे आकर और ना ही किसी के बहकावे मे आकर उसने यह सब किया है। हादिया ने अपने बयान मे यह भी बताया कि वह विगत तीन सालो से इस्लाम धर्म की शिक्षाओं पर आचरण कर रही है। जिसकी औपचारिक रूप से उसने घोषणा नही की थी।

हादिया के पिता अपनी अन्य दूसरी याचिका मे यह आरोप लगाते है कि, हादिया को बहला फुसलाकर भारत से बाहर ले जाने की साज़िश रची जा रही है। एक मुस्लिम युवक के साथ शादी करने के बाद अखिला ने कोर्ट मे अपने बयान मे इस आरोप का खंडण करते हुए कहा कि, उसके पास तो पासपोर्ट भी नही है।

21 दिसम्बर को कोर्ट की सुनवाई होनी थी और हादिया अपने पती शफिन जहां जो कोर्ट के लिए एक नया और अनजान चेहरा था, के साथ कोर्ट मे दाख़िल हुई। हादिया के वकील ने कोर्ट को बताया कि शफिन हादिया के पति है। और उनका निकाह केवल दो दिन पहले 19 दिसम्बर 2017 को हुआ है। जज साहब की ओर से  काफी एतराजात उठाए गए और कई पेचिदा सवालो की भरमार की गई। जज सहाब को यह शक था कि कहीं यह शादी हादिया को फंसाने और गबन करने के लिए तो नही की गई। अदालत मे पेश की गई एक पुलिस रिपोर्ट के अनुसार शफिन सोशल डेमोक्राटिक पार्टी ऑफ इंडिया जो पी एफ आई का राजनैतिक संगठन है, का सदस्य बताया गया। यह शादी बहुत ही जल्दबाजी मे की गई थी और गवाह एवं सबुतो को विचार मे लेते हुए केरल हायकोर्ट ने 24 मई 2017 को हादिया और शफिन के निकाह को गैरकानूनी ठहराया, और हादिया को उसके पिता के हवाले कर दिया।

केरल हाइकोर्ट की ओर से अपनी शादी को गैरकानूनी ठहराए जाने के दो ही महिनो के भीतर शफिन जहाँ ने सुप्रिम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इसके बाद 16 अगस्त 2017 को सुप्रिम कोर्ट ने  एन आई ए जांच के आदेश दिए। उधर हादिया ने भी हमेशा की तरह इस बार भी सुप्रिम कोर्ट मे अपना पक्ष रखते हुए कहा कि उसने इस्लाम धर्म अपनी मर्जी से स्वीकार किया है जिसका उसे पूरा-पूरा अधिकार है। अपना फैसला स्वयं लेने का उसको पुरी आजादी है और उसका अधिकार भी है।

सुप्रिम कोर्ट ने अपने आदेश में  इसका खुलासा कर दिया कि वह हादिया के वैवाहिक जीवन मे दखल अंदाजी नही करेगा। ऐसा करना एक गलत क़दम होगा। हादिया एक 24 वर्षीय बालिग लड़की है और उसको अपने स्वयं की जिन्दगी के बारे मे फैसला लेने का पुर्णरूप से अधिकार है। हालांकि अदालत ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि एनआईए इस मामले के अपराधिक मामले मे जांच जारी रखेगी।

मिडिया ने इस मामले को कैसे प्रस्तुत किया ?

मिडिया ने बडी खुबी के साथ अपने अंदाज़ मे इस पुरे मामले मे दखल दिया है। अलग- अलग मत, विचार, सहमती और असहमती और अपनी-अपनी अलग-अलग राय मिडिया मे हमे देखने को मिलती है।

साप्ताहिक द मेनस्ट्रिम ने “Love in the times of fundamentalist Politics” शीर्षक से लेख प्रकाशित किया. इस लेख मे राम पुनियानी लिखते है कि जातियवाद की राजनीति, अस्मिता के मुद्दो पर केंद्रित है। अपने सुझाव मे पुनियानी जी आगे लिखते है कि अंतर समुदाय विवाह लोगो की जाति व्यवस्था को खत्म करके सामाजिक सौहार्द बना सकती है। वह आगे यह भी लिखते है कि किस प्रकार आज मानवता को सामाजिक तनाव पैदा करने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।

युथ की आवाज नामक वेब पोर्टल मे “Love Jihad is not just religious hatred” नाम से एक लेख प्रकाशित किया। इस लेख में शायनी सरकार लिखती है कि केरल हाइकोर्ट का फैसला जिसमे मे वह उस विवाह को गैर क़ानूनी घोषित करता है, प्रेम की संकल्पना के खिलाफ है। वह इस बात से भी सहमत नही है की कोर्ट एक 24 वर्षीय युवती को नासमझ मानता है, और यह कहता है कि उसका विवाह उसका इस्तेमाल करने के लिए किया जा रहा है। शायनी अपने लेख के माध्यम से इस बात से सहमत है कि हादिया ने इस्लाम अपनी मर्जी से स्वीकार किया है। शायनी के विचार बिलकूल नारीवादी, प्रेम और मानवता के पक्ष मे है। साथ ही वह बीजेपी और आर एस एस की राजनीति का बडी कट्टरता से विरोध करती है।

द इकॉनोमिक्स टाईम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक हादिया को देश से बाहर ले जाया जा रहा था और शफिन केवल एक जरिया था। नेशनल कमिशन फॉर वूमन की अध्यक्ष रेखा शर्मा का बयान कि  “मैने अभी-अभी आखिला- हादिया, आप उसे जिस किसी भी नाम से बुलाना चाहे, से मुलाकात की, वह अच्छी सेहतमन्द है और उसे मारा पिटा भी नही गया है वह हंस रही थी” इसमे छिपी , सबसे ज्यादा हैरान कर देने वाली बात यह है कि जिस वक्त उन्होने ऐसा वक्तव्य दिया हादिया पॅरेन्टल कस्टडी मे थी और वही पर उन्होने हादिया से मुलाकात की थी। किसी को कस्टडी मे रखना और फिर कहना के वह हंस रही थी और ठिक थी,  यह अपने आप मे चौंकाने वाली बात है।

This wedding season, wear like Hadiya to celebrate love शीर्षक के तहत एक लेख प्रकाशित किया था। यह लेख मिडिया के अपने स्तर को दर्शाता है। हादिया के अलग-अलग वेशभूषा और हिजाब को तुलनात्मक नजरिए से बताकर हादिया को मजलूम और पीडिता बताया गया।

झी मिडीया के एक लेख “Before marriage Hadiya’s Husband shafin Jahan was touched with ISIS, suspects claim NIA  इस लेख का शीर्षक ही हमें इस बारे मे बताता है कि उक्त लेख कितना पक्षपात पर आधारित है, साथ ही नफरत फैलाने में कारगर साबित हो सकता है। इस संपूर्ण लेख मे जो भी आरोप या प्रत्यारोप किए गए है वे सब केवल अनुमानो और अटकलो पर आधारित है, साथ ही इस लेख मे शफिन और हादिया को नकारात्मक नजरिए से दर्शाया गया है।

News18.com ने अपना एक विषलेषण जारी किया है जिसमे वह सारे मिडिया हाऊसेस की रिपोर्ट को दिखाता है. इस रिपेार्ट के मुताबिक हादिया मामले मे टीवी चैनल, प्रिन्ट मिडिया, सोशल मिडिया, डॉक्युमेन्ट्रीज और अलग-अलग तरिके से  एक सामाजिक राय बनाने की कोशिश की जा रही थी। हादिया पॅरेन्टल कस्टडी मे थी और उसे किसी से मिलने की इजाजत नही थी। किंन्तु सभी टीवी चैनल हादिया के जीवन के बारे मे चर्चा कर रहे थे जिसमे वह खुद शामिल ही नही थी। हादिया के क्या विचार है इसको कोई जानना ही नही चाह रहा था और ना ही उसका कोई बयान लिया गया पर उसकी जिंदगी के हर पहलू पर बोला, लिखा और चर्चा की जा रही थी। वाद विवाद चल रहा था लेकिन हकीकत से सभी मीलो दूर थे।

thehoot.org चॅनल मे लव जिहाद और बलपुर्वक धर्म परिवर्तन (फोर्सेबल कनवर्जन) इन दों ही मुद्दो को हर बार हवा दी गई। टाईम्स ऑफ इंडिया, इंडियन एक्प्रेस, एनडी टीवी सभी ने लव जिहाद के मुद्दे का इस्तेमाल किया। यह केस हादिया का केस नही तो लव जिहाद का केस माना जा रहा था। हादिया को हमेशा आखिला-हादिया लिखा जा रहा था, ताकि यह मामला पुर्ण रूप से धर्म परिवर्तन का लगे और साम्प्रदायिक तनाव मचे।

इन सबके बावजूद कुछ  ब्यौरे भी आए है जिन्होने इस मुद्दे की संवेदनशीलता को पहचाना और सही बात कही। उन्होने कहा की हादिया एक बालिग लडकी है और उसे पुरा अधिकार है अपने लिए एक नया धर्म चुनने का और उसको  व्यवहारिक तौर पर अपनाने का । इसी तरह वह अपनी पसंद से विवाह भी कर सकती है और कोई उस पर किसी भी प्रकार से दबाव नही डाल सकता। पर इन आवाजो और रिपोर्टस को जानबूझकर दबाया गया और आज यह बात पुर्ण रूप से साबित हो गई कि एक 24 वर्षीय भारतीय युवती को अपनी आजादी, विचार और अभिव्यक्ती के मामले मे कितनी समस्याओ का सामना करना पडता हे।

न्यायाधिष चंद्रचूड ने सुप्रिमकोर्ट मे लव जिहाद के संबंध मे कहा, कौन कहता है कि यह लव जिहाद का मामला है?  इस प्रकार की तकिया कलामी से हमे कोई सरोकार नही है, हमे तो केवल मामले के तथ्यो को जानना है

यह मामला अभी खत्म नही हुआ है और सुप्रिम कोर्ट इसके अपराधिक पहलुओ पर अभी गौर कर रहा है।

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