“मेरा 50,000 का नुक़सान हो गया। 26 फ़रवरी से 29 फ़रवरी तक रोज़ाना एक-एक शादी थी, उसमें बुलाया गया था। मैं नहीं जा सका। एक शादी का 11,000 से 12,000 मिलता है। सोचिए मेरा कितना नुक़सान हो गया!”
आज नेहरू विहार न्यू मुस्तफ़ाबाद के एक मंदिर के पुजारी पंडित राधे-राधे ने हमसे बात करते हुए बड़े दुःखी अल्फ़ाज़ में अपने 50,000 रूपए के नुक़सान का ब्यौरा बताया।
जब मैंने सवाल किया कि लोगों के घर-बार उजड़ गए हैं, जानें चली गई हैं आपको अपने मुनाफ़े की पड़ी है तो कहने लगे कि “उनको तो मुआवज़ा केजरीवाल दे देगा लेकिन मैं किससे मुआवज़े की माँग करूँ?”
वे कहने लगे कि “कुछ नेता हैं जो नफ़रत फैलाते हैं और वही इस दंगे के ज़िम्मेदार हैं। सरकार की ग़लती नहीं है।” मैंने पूछ लिया कि जस्टिस मुरलीधरन को क्यों ट्रांसफ़र कर दिया गया? क्यों उनके किए गए एक अच्छे फ़ैसले पर रोक लगा दी गई? वह दोबारा जवाब दबा गए।
ख़्याल रहे कि यह मंदिर ख़ास मुस्लिम इलाक़े में है। यहाँ आस-पास में कई मुस्लिम शहीद किए गए हैं और कई लोगों को गोलियां लगी हैं, इसके बावजूद तमाम मंदिर बिल्कुल महफूज़ हैं। उनमें आज भी पूजा-पाठ हो रही है। और ख़ुद रात-रात भर मुसलमान मंदिर के सामने बैठकर उनकी हिफ़ाज़त कर रहे हैं। इलाक़े के इमाम साहब इन्हीं पंडित जी के मंदिर के सामने रात में बैठे होते हैं।
फ़वाज़ जावेद, मुआज़, अदनान, लुक़्मान
दिल्ली