दिल्ली दंगों को लेकर दिल्ली पुलिस द्वारा दाखिल की गई एक चार्जशीट में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वरिष्ठ सदस्य डॉ० क़ासिम रसूल इलियास का नाम भी शामिल होने की बात कही जा रही है. इस बात का खुलासा डॉ० एस० क्यू० आर० इलियास ने अपने एक ट्वीट के माध्यम से किया है.
उन्होंने ट्वीट कर कहा है, “दिल्ली दंगों के वास्तविक अपराधियों को बचाने के लिए एंटी सीएए आंदोलन में शामिल और सक्रीय रहे लोगों को दिल्ली दंगों में फंसाया जा रहा है. एफआईआर में से एक में मेरा नाम भी सामने आया है. दावा किया गया है कि मैंने चांद बाग में एक भड़काऊ भाषण दिया था. मैं इस आरोप को साबित करने के लिए दिल्ली पुलिस को चुनौती देता हूं.”
क़ासिम रसूल इलियास का कहना है कि, “जो लोग दंगे को उकसाने, भड़काऊ भाषण देने में शामिल थे उन्हें दिल्ली पुलिस बचाने का प्रयास कर रही है.”मैंने नागरिकता संशोधन क़ानून (CAA) विरोधी आंदोलन में दिल्ली और देशभर में भाषण दिया है. सभी जगहों की रिकॉर्डिंग मौजूद है. दिल्ली पुलिस सभी की जांच कर के बताए कि मैंने कहाँ और कब भड़काऊ भाषण दिया है? उन्होंने दंगों को लेकर दिल्ली पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा कि, “दिल्ली पुलिस गृह मंत्रालय के इशारे पर काम कर रही है और किसी भी आरोपी खासकर भाजपा नेताओं से पूछ ताछ नहीं की गई है जिन लोगों ने भड़काऊ भाषण दिया था और माहौल को सांप्रदायिक बनाया था.”
डॉ० क़ासिम रसूल इलियास मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वरिष्ठ सदस्य हैं और वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं.
चार्जशीट में नाम शामिल होने पर उन्होंने कहा कि, “चार्जशीट में तो बहुत से संविधानप्रेमियों के नाम हैं जो CAA विरोधी आंदोलन में सक्रीय थे.”
उन्होंने कहा, “योगेंद्र यादव, हर्षमन्दर और न जाने कितने बुद्धजीवियों और समाज सेवियों को नाम चार्जशीट में शामिल है जो संविधान बचाने की मुहिम में शामिल थे.”
ज्ञात हो कि नार्थ ईस्ट दिल्ली में 23 से 26 फरवरी 2020 के दरमियान सांप्रदायिक हिंसा हुई जिसमें 53 लोगों की मौत हो गई थी.
दिल्ली दंगों के फौरन बाद दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग की टीम ने हिंसा प्रभावित इलाके का दौरा किया था और इसपर एक विस्तृत रिपोर्ट जारी की थी. रिपोर्ट में कहा गया था, “हम जहां भी गए हमने पाया कि मुसलमानों के मकानों-दुकानों को व्यापक नुकसान हुआ है.”
दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग की एक फैक्ट फाइंडिंग कमेटी ने अपनी 134 पन्नों की रिपोर्ट में ये भी दावा किया है कि दिल्ली दंगों को उकसाने में भाजपा नेताओं के भड़काऊ भाषणों के साथ-साथ दिल्ली पुलिस की भूमिका से भी इंकार नहीं किया जा सकता है.
रिपोर्ट में ये भी दावा किया गया था कि हिंसा ‘एकतरफा और सुनियोजित’ थी, जिसमें सबसे अधिक नुकसान मुसलमानों के मकानों और दुकानों को हुआ है.
दिल्ली में नागरिकता संशोधन क़ानून में सक्रीय रहे दर्जनों छात्र नेताओं और समाजिक कार्यकर्ताओं को दिल्ली पुलिस द्वारा दिल्ली दंगों के मामले में गिरफ्तार किया गया है. इनमें मुख्य रूप से खालिद सैफी, इशरत जहाँ, जामिया छात्र आसिफ इक़बाल, मीरान हैदर, छात्रा गुल्फिशा, नताशा नरवाल देवांगना और अन्य बहुत से छात्र और युवा शामिल हैं.
इनमें खालिद सैफी और इशरत जहाँ के जेल में 150 दिन पूरे हो चुके हैं.
रिपोर्ट- मसीहउज़्ज़मा अंसारी