- शाहिद आजमी की नौंवी बरसी पर सम्मान, सामाजिक न्याय, और संविधान को लेकर रिहाई मंच लखनऊ में 10 फरवरी को सम्मेलन का आयोजन करेगा।
गाय के नाम पर राजनीति करने वाली सरकार न किसान पर बोलने को तैयार है न सूबे में हो रहे महिला अत्याचार पर यहां तक की अपने इंस्पेक्टर की हत्या पर भी चुप्पी साधे हुए है। फर्जी मुठभेड़ की सच्चाई पुलिस के ठांय-ठांय के वीडियो साफ कर देते हैं। बार-बार मंदिर मुद्दे से समाज को बांटने वाली राजनीति लगातार सांप्रदायिक-जातीय हिंसा के जरिए वंचित समाज पर रासुका के तहत कार्रवाई कर उत्पीड़ित कर रही है।
आरक्षण के नाम पर सामाजिक न्याय की अवधारणा को मोदी सरकार हास्यास्पद बना रही है। भाजपा की मनुवादी आरक्षण नीति आरक्षण प्रक्रिया को अगंभीर बनाने और आरक्षण के खात्मे की तैयारी है। आरक्षण की अवधारणा भागीदारी, राष्ट्र निर्माण और लोकतंत्र को मजबूत करती है जो ऐतिहासिक और सामाजिक रुप से पिछड़े बहुजनों को प्रतिनिधित्व देती है। जातिगत जनगणना के आधार पर संख्यानुपात में बहुजनों के प्रतिनिधित्व पर बात होनी चाहिए। मुस्लिम आरक्षण को धर्म आधारित आरक्षण और आरक्षण पचास फीसदी ज्यादा नहीं हो सकता है की बात करने वाली भाजपा बताए कि किस आधार पर वह 10 प्रतिशत आरक्षण की बात कह रही है। आर्थिक अस्थिरता और विकराल होते रोजगार के संकट के दौर में सार्वजनिक उपक्रमों की मजबूती पर बात होनी चाहिए। वहीं अडानी-अंबानी के बाद अब सवर्ण आरक्षण की बात हो रही है।
रिहाई मंच शाहिद आजमी को याद करते हुए देश के मौजूदा हालात को लेकर उत्तर प्रदेश में सामाजिक न्याय, सुरक्षा और आर्थिक संकट को लेकर संघर्षरत साथियों के साथ इस कार्यक्रम का आयोजन कर रहा है। शाहिद आजमी जो हक-हुकूक के लिए लड़ते हुए मारे गए की याद में पिछले वर्षों में इंसाफ के दोस्तों की मुलाकात और सामाजिक न्याय के लिए संघर्षरत दोस्तों की मुलाकात जैसे आयोजनों से युवाओं के बीच संवाद कायम किया गया।