ये सिराजुद्दीन साहब हैं। 24 तारीख़ को जब ये पुरानी दिल्ली से काम करके वापस आ रहे थे तो घोंडा चौक पर 100-150 लोगों की भीड़ ने इनको घेर लिया। दाढ़ी खींचने से शुरुआत हुई और फिर बुरी तरह से मारा गया। इनके हाथ में काफ़ी गहरा ज़ख़्म आया है। कान भी ज़ख़्मी है।
पैर और कमर पर नीले दाग़ पड़े हुए हैं। उन्होंने बताया कि “वो मुझे जान से ही मार देने वाले थे लेकिन किसी ने कहा कि जितना मारा है ठीक है, अब छोड़ दो। तब जाकर मेरी जान बची।” मारने वाले हेलमेट लगाए हुए थे। लोहे के रॉड उनके हाथ में थे और नाम पूछकर, कपड़े उतरवाकर और हनुमान चालीसा पढ़वाकर लोगों को प्रताड़ित कर रहे थे।
फ़वाज़ जावेद, मुआज़, लुक़मान
टीम एसआईओ दिल्ली