पुलिस की गोली लगने के बाद इलाज के लिए हॉस्पिटल का चक्कर लगाते रहे..

उसके बाद घर वाले उन्हें लेकर महर हॉस्पिटल की तरफ़ भागे। वहां लेने से मना कर दिया गया..

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घायल अवस्था में हॉस्पिटल की बेड पर इलाजरत मोहमद दानिश..

“मैं तो आज तक अपनी अम्मी के साथ भी किसी प्रोटेस्ट में नहीं गया फिर भी मुझे गोली मारी है जो कि पैर के गोश्त को फाड़ते हुए आर-पार हो गई है। मैं जॉब से वापस आ रहा था। डॉक्टर का कहना है कि अब तुम कब दोबारा काम पर जा सकोगे यह नहीं कहा जा सकता।”

ये अल्फ़ाज़ हैं मोहम्मद दानिश नाम के उस लड़के के जिनको 24 तारीख़ की शाम में चांद बाग़ में गोली लगी और वह बेहोश हो गये। उनकी एक बूढ़ी मगर हौसला मंद मां हैं और पिता भी काफ़ी बूढ़े हैं।

उनके बेहोश होने पर किसी ने उनको मदीना हॉस्पिटल पहुंचाया जहां उनके जान-पहचान वालों में से किसी की नज़र उनपर पड़ी और घर में जानकारी दी गई। उसके बाद घर वाले उन्हें लेकर महर हॉस्पिटल की तरफ़ भागे। वहां लेने से मना कर दिया गया। दोबारा घर वापस लाए। फिर कुछ देर बाद दोबारा महर हॉस्पिटल लेकर गए। तब कहीं जाकर पट्टी की गई। गोली कुछ ऐसे लगी थी कि गोश्त बुरी तरह फट गया था। डॉक्टर ने उन्हें जीटीबी हॉस्पिटल रेफर कर दिया। वहां रात को 10-11 बजे पहुंचे और तब इलाज शुरू हुआ। लगातार ख़ून बहने की वजह से काफ़ी कमज़ोरी थी। फिर 29 फरवरी को दिन में डिस्चार्ज होकर वे अपने घर आये और आज उनसे हमारी मुलाकात हुई।

बांह पर गोल घेरे में गोली लगने के निशान साफ साफ देख सकते हैं..

जाते-जाते उनकी मां ने बताया कि मैंने आपको जामिया के प्रोटेस्ट में तक़रीर करते सुना है और मैं एक-दो दिन के बाद फिर जामिया आना शुरू करूंगी और सर पर हाथ फेरते हुए कहा कि आप लोग (जामिया वाले) जब सताए गए तो हम आपके साथ खड़े थे। आज हर जामिया वाले को उन तमाम लोगों के साथ खड़ा होना चाहिए जिन पर नॉर्थ दिल्ली में ज़ुल्म हुआ है।

हम उनको यह यक़ीन दिलाते हुए, कि जामिया वाले हर मज़लूम, हर बेबस और मजबूर के साथ खड़े हैं और आइंदा भी खड़े रहेंगे, बाहर निकल आए। हमारा यह इरादा है कि जल्द ही दोबारा नॉर्थ दिल्ली में मूवमेंट शुरू किया जाएगा। इंशाल्लाह।

फ़वाज़ जावेद, लुक़मान, मुआज़, अदनान
टीम एसआईओ दिल्ली

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