हम लड़ाई जारी रखेंगे-लबीद शाफ़ी

जामिया के संघर्ष का 30वां दिन, अरुधंति रॉय समेत कई सामाजिक कार्यकर्ता पहुंचे।

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जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्रों द्वारा नागरिकता संशोधन विधेयक CAA और NPR, NRC के खिलाफ शुरू किए गए आंदोलन का आज 30 वां दिन था।
आजकेदिन भी सर्द मौसमके बावजूदछात्र-छात्राएँऔर स्थानीयलोगप्रदर्शनस्थलपरहज़ारोंकीसंख्यामेंजमाहुए। आज भी प्रदर्शन स्थल पर बहुत से छात्र नेता और सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित रहे। आज के प्रदर्शन में मशहूर लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता अरुंधति रॉय भी शामिल हुई।
लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता अरुंधति रॉय ने कहा कि आज हम दबाए गए हैं एक दिन आएगा जब हम राज करेंगे और ये लोग सड़क पर होंगे।उन्होंने इतना कहकर कई इंकलाबी नारे लगाए। उन्होने प्रदर्शन सभा में बोलने के बाद जामिया के स्टूडेंट्स के साथ जामिया प्रदर्शन में लगाई गयी प्रदर्शनी का विजिट किया। और फिर जामिया की लाइब्ररी भी पहुंची जहां 15 दिसंबर को पुलिस ने छात्रों पर बर्बरतापूर्ण कार्यवाही की थी।
डीयू के प्रोफेसर कुमारअभय ने कहा कि धर्म के नाम पर ये सरकार देश के नागरिकों को बांटना चाहती है। एक धर्म विशेष के लोगों के साथ भेदभाव कर उन्हें देश के अंदर घुसपैठिए साबित करना चाहती है। लेकिन हर धर्म, हर विचारधारा के लोग इस सरकार को ऐसा जवाब देंगे कि ये फिर कभी सत्ता में नहीं आएंगे।
जामिया में प्रोफेसर और सेंटर फॉर पीस एंड कॉन्फ्लिक्ट की डायरेक्टर रही राधा कुमार ने कहा कि देश का नागरिक पांच साल से इस देशविरोधी सत्ता से लड़ लड़ कर निराश सा हो गया था। लेकिन जामिया के संघर्ष ने देश के नागरिक की असल लड़ाई को फिर से हरारत बख़्शी है। इसके लिए पूरा देश जामिया का शुक्रगुजार रहेगा।
DYFI दिल्ली के सचिव संजीव कुमार ने सत्ता के छुपे हुए इरादों की पोल खोलते हुए कहा कि ये सरकार सावरकर की नीति पर चल रही है। सावरकर ने लिखा था कि मुसलमानों और ईसाई इस देश में नहीं रहेंगे। और सरकार इसी नीति का पालन कर रही है।लेकिन इस देश का छात्र अब सरकार का विपक्ष बन चुका है और वो ऐसा होने नहीं देगा
संजीव कुमार हमें इस विरोध को अहिंसात्मक रूप में चलाने की आवश्यकता है क्योंकि कोई भी हिंसात्मक विरोध लंबा नहीं चलता है। आप अतीत में देख सकते हैं कि किस तरह हम अहिंसात्मक आंदोलन के ज़रिये जीते हैं। उन्होनें कहा कोई हमें कहीं जाने के लिए नहीं कह सकता है और हम अपने काग़ज़ात नहीं दिखायेंगे और इस कानून के विरोध में अपनी आवाज बुलंद करते रहेंगे।
एसआईओ ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष लबीद शाफ़ी ने कहा की जब सरकार ने बिल पास किया तो हम विरोध कर रहे थे, जब यह अधिनियम बन गया तब भी हम इसका विरोध कर रहे थे और अब जब उन्होंने अधिसूचना जारी की है तब भी हम इसका विरोध कर रहे हैं और हम इसका विरोध जारी रखेंगे।वे लोग वैचारिक बहस के मैदान में हमसे हार गए हैं इसीलिए अब वे हिंसा कर रहे हैं हमें धमकियाँ दे रहे हैं लेकिन हमारी लड़ाई को इन धमकियों से फर्क नही पढ़ना चाहिए।
जमात ए इस्लामी हिन्द के राष्ट्रीय सचिव मुहिउद्दीन गाज़ी ने कहा की जामिया, जेएनयू और जवानी ये तीनों मिलते जुलते शब्द हैंऔर जवानी का मतलब क्या होता है ये जामिया के तल्बा ने बता दिया है। आज जिस सड़क पर हम खड़े हुए है यहीं से पूरी क्रांति की शुरुआत हुई। असल लड़ाई आज देश का छात्र लड़ रहा है और हम सब चाहते है ये लड़ाई तब तक जारी रहे जब तक ये सरकार सत्ता से बेदखल न कर दी जाए।
इस्लामिक स्कॉलर सुमय्या नोमानी ने कहा कि हम खड़े हैं और इस खूबसूरत देश के लिए लड़ रहे हैं, जिसे हम अभी देख सकते हैं, भारत कई रंगों के फूलों वाला एक बगीचा है और अगर कभी भी इस तरह का हमला होता है तो संविधान, धर्मनिरपेक्षता के दम पर हम इसका बचाव करेंगे। हम अपने देश को कभी भी विभाजित नहीं होने देंगे, हम अपने देश को विभाजित नहीं कर सकते हैं हम विभाजित होते हुए खुद को देख सकते हैं मार सकते हैं लेकिन हम अपने देश को नहीं तोड़ सकते।
जामिया से शुरू हुआ ये संघर्ष देश के हर कोने में पहुंच रहा है अतः हम इस संघर्ष को जारी रखेंगे।
राहुल कुमार,कवि अकमल बलरामपुरी आदि ने भी इस दौरान अपने विचार रखे।
आज के प्रदर्शन की समाप्ति पर सभी प्रदर्शनकारियों ने ‘सर्व धर्म प्रार्थना’ भी की।
जामिया कोर्डीनेशन कमेटी (JCC) व एल्युमनी एसोसियेशन (AAJMI ) के सदस्यों ने बताया कि इस काले कानून के वापस लिए जाने तक ये विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा और इसमे हमें समाज के सभी वर्गों का सहयोग मिल रहा है।

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