जमाल ख़ाशोजी सऊदी पत्रकार थे, शाह फैसल के बेटे तुरकी अल फैसल जब अमेरिका में थे तो यह उनके मीडिया प्रभारी थे, मलिक फैसल के परिवार से भी इनके करीबी संबध थे। अल वतन अखबार के दो बार संपादक बने और दोनो बार निकाल दिए गए। सऊदी हुक्मरानों के पूर्ण रुप से हिमायती थे, लेकिन मुहम्मद बिन सलमान के वली अहद बनाये जाने के बाद उन्हें कठिनाईयों का सामना करना पड़ा। जैसे जैसे सऊद परिवार के शहज़ादों को कैद व बंद की मुश्किलों से गुज़रना पड़ा तो जमाल को देश छोड़ कर अमेरिका जाना पड़ा।

संक्षेप में कहानी यह है कि वह दूसरी शादी करने के सिलसिले में इस्तांबुल में स्थित सऊदी अरब के वाणिज्यिक दूतावास गए थे और वहां से वापिस नहीं लौटे। सऊदी अरब का कहना है कि वह वापिस चले गए लेकिन आसपास के किसी कैमरे में उनके आने जाने की कौई गतिविधि नहीं दिखाई देती। सऊदी सरकार कह रही उस दिन कैमरे में रिकार्डिंग नहीं हो पा रही थी, जमाल की होने वाली पत्नी दूतावास के बाहर लगभग चार घंटे तक उनकी प्रतीक्षा करती रहीं लेकिन वह बाहर नहीं आए।

अब मामला यह है कि जमाल सऊदी दूतावास से गायब हुए हैं जहां तुर्की सरकार बिना अनुमति के अंदर दाखिल नहीं हो सकते। सऊदी अरब पिछले एक हफ्ते से तुर्की सरकार से वादा कर रही है कि वह उन्हें तलाशी लेने की इजाज़त देगी लेकिन अभी तक दिया नहीं है। तुर्की सरकार के करीबी सूत्र कहते हैं कि जमाल की हत्या कर दी गयी है और जब तक वह छानबीन नहीं कर लेते तब तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकते। शाह फैसल के दूसरे लड़के खालिद अल फैसल ने तीन दिन पहले अनकरा में अधिकारियों से मुलाकातें की और मामले की तफ्तीश के लिए सामूहिक ग्रुप बनाने की मांग की जिसे तुर्की ने स्वीकार कर लिया लेकिन इस समूह ने अभी तक अपना काम प्रारंभ नहीं किया है। अब तुर्की ने कहा है कि अगर तफ्तीश शुरु नहीं की गयी तो वह स्वंय तफ्तीश करने का काम शुरू करेगा।

मामला तूल पकड़ता जा रहा है क्योंकि जमाल वांशिगटन पोस्ट से जुड़ गए थे और अमेरिका में ही रह रहे थे। इस कारण अमेरिकी सरकार को दबाव का सामना करना पड़ रहा है। कल अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सख्त कार्रवाई का इशारा किया है। ट्रंप और सऊदी किंग मुहम्मद बिन सलमान के घनिष्ठ संबध की जानकारी प्रायः सभी को है। इस मामले में मुहम्मद बिन सलमान के विरोधियों ने उन्हें हटाने की मुहिम भी शुरु कर दी है जिसमें सऊदी के दूसरे प्रिंस की भी दिलचस्पी से इंकार नहीं किया जा सकता है।

एक बात तो बिल्कुल स्पष्ट है कि जमाल इमारत से बाहर निकले या नहीं इसका सुबूत केवल सऊदी ही दे सकता है। क्योंकि बाहर खड़े उनके संबधी एवं कैमरे में उनकी कोई गतिविधि नहीं दिखी। दूसरी तरफ दूतावास में काम करने वाले किसी व्यक्ति द्वारा कोई ऑडियो या वीडियो रिकार्डिंग बनाने का दावा किया जा रहा है जिसमें उन्हें कत्ल किये जाने के सबूत मौजूद हैं। इसके अलावा जमाल के दूतावास में जाने से पहले सऊदी से करीब 15 लोग तुर्की आए थे जिनका आने का कारण तुर्की घूमना था लेकिन उनकी दूतावास में जाने के अलावा कोई गतिविधि नहीं दिखी और जमाल के गायब होने के बाद वह भी वापिस लौट गए। क्योंकि वह दूतावास के पासपोर्ट पर आए थे इसलिए तुर्की को रोकने का कोई अधिकार भी नहीं था। कहा जा रहा है कि यह दस्ता केवल इसी काम के लिए आया था और वह काम यही था।

एक सऊदी शहरी के सऊदी दूतावास की इमारत से गायब हो जाने पर इख़्वान को गालियां दी जा रही हैं, कतर और अलजज़ीरा को आरोपी ठहराया जा रहा है और जमाल के अतीत को खंगाला जा रहा है जब वह सऊदी सरकार की तरफ से अफगानिस्तान में सेवियत यूनियन के खिलाफ मुजाहिदीन की जंग की रिपोर्टिग करने गए थे। लेकिन जो नहीं कहा जा रहा वह यह कि दूतावास के कैमरों की रिकार्डिंग क्यों नहीं है। कुछ नहीं तो कम से कम सऊदी सरकार को अपने एक शहरी के लापता होने की एक पुलिस शिकायत तो लिखवानी ही चाहिए थी जिसकी बुनियाद पर तुर्की सरकार तलाश शुरु करती। लेकिन यदि सऊदी यह काम नहीं करता तो उनकी होने वाली पत्नी को तो यह अधिकार है कि वह शिकायत दर्ज करायें जिसकी बुनियाद पर तुर्की अपना काम शुरु कर सके।

पिछले पच्चीस सालों से आल ए सऊद के भगौड़े शहज़ादो को किस प्रकार पकड़ कर सऊदी लाया गया यह ख़बर सभी अखबारों में मौजूद है। इसलिए जमाल खाशोज्जी को सऊदी सरकार अपने निशाने पर रखे हुए थी और उनके अचानक गायब हो जाने पर सऊदी को कुछ नहीं मालूम, यह बात सभी गैर सरकारी संस्थाओं, पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के समझ से परे है। यही वजह है कि इस महीने होने वाली सऊदी इन्वेस्टमेंट कांफ्रेस में जो कंपनियां इस्पांसर कर रही थी या वहां शिरकत कर रही थीं उन्होने अपना प्रोग्राम रद्द करने में ही भलाई समझी। वली अहद मुहम्मद बिन सलमान लंबे समय तक सऊदी बादशाह बने रहेंगे लेकिन सरकार में आने और अपने की मज़बूत करने के चक्कर में जिन हथकंडो को अपना रहे हैं वह अतीत के सऊदी नेतृत्व से बिल्कुल अलग है। इस जल्दबाज़ी में वह पूरी सऊदी जनता एवं देश को ख़तरे में डालने में भी नहीं चूक रहे हैं। अगर वीडियो रिकार्डिग का दावा कर रहे लोगों की बात सही साबित हो गई और जमाल की मौत का ज़िम्मेदार सऊदी सरकार को ठहराया गया तो फिर वली अहद को सबसे पहले सऊदी की जनता को यकीन दिलाना होगा कि यह मौत कैसे हुई। जमाल सऊदी के शाही खानदान के वफादार थे और सऊदी अरब के प्रतिष्टित व्यक्ति भी। उनकी हत्या का सबूत न मिलने का अर्थ है कि सऊदी जनता की बेचैनी दबाने के लिए कठोर कदम उठाए जाने का सिलसिला शुरू होगा।

 

: उमैर अनस

अनुवाद : सहीफा खान

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