मोदी सरकार और भक्तगणों की मानें तो भारत अब विश्व गुरु बन चुका है। कोविड-१९ को रोक कर भारत की स्वास्थ्य सेवाओं का लोहा मान लिया गया। लेकिन अगर आप भक्त नहीं है और आपको अपनी और अपने परिवार की चिंता है तो इन सीधे सवालों को अपने सामने रखें।
क्या आपको पता है दुनिया में सबसे कम संख्या में क्रोना टेस्ट कर रहा है भारत।
क्रोना टेस्ट को कमाई का जरिया बनाने के लिए उसकी कीमत बढ़ा चढ़ा के रखी गई है।
चीन में एमबीबीएस तीस लाख में और भारत में एक करोड़ में होता है
सरकारी मेडिकल कॉलेज के मुकाबले निजी कॉलेजों की संख्या तेज़ी से बढ़ी है। सरकारी अस्पताल की संख्या लगातार घट रही है।
दुनिया में डॉक्टर्स की अस्पतालों की संख्या में बांग्लादेश से भी पिछड़ के कौनसे तरीके से क्रोना को हराके रिकॉर्ड बनाएंगे।
ताली थाली बजाने से ज़्यादा ज़रूरी था कि डॉक्टर्स और नर्सों की सैलरी और बोनस में बढ़ोतरी की जाय।
डब्ल्यू एच ओ रिपोर्ट की माने तो भारत को अभी 300 मेडिकल कालेज और खोलने की ज़रूरत है। छः लाख डॉक्टर्स की कमी है देश में। जिन डॉक्टर्स को सरकारी खर्चे पर पढ़ाया जाता है उसमें से बहुत से लोग अमरीका और ब्रिटेन चले जाते हैं।
डॉक्टर की कीमत एक करोड़ है। प्राइवेट मेडिकल सीट भी एक करोड़ की है। गरीब परिवारों और गांव के युवा महिला मेडिकल शिक्षा में हाशिए पर हैं। कोई डॉक्टर गावं में पोस्टिंग नहीं चाहता।
अगर आपको पड़ोसी के फ्रिज में मांस होने पर उसकी हत्या करने का मन करता है लेकिन देश के गरीबों को मेडिकल शिक्षा और सेवाओं से दूर रखने की नेता उद्द्योगपतियों के नीतियों पर गुस्सा नहीं आता तो आप को क्रोना से भी बड़ी बीमारी हो चुकी है।
इलाज करो।
Dr. Umair Anas