एसआईओ ऑफ़ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष लबीद शाफ़ी ने कोविड-19 के दौरान यूजीसी और एमएचआरडी द्वारा शैक्षणिक सत्र में संशोधन के दिशा निर्देशों को स्वागत करते हुए इसे एक महत्वपूर्ण कदम बताया है। उन्होंने कहा कि नए दिशा-निर्देशों में कई आवश्यक और महत्वपूर्ण क़दम उठाए गए हैं जिनका हम स्वागत करते हैं।
लेकिन कुछ मुद्दे हैं जिन पर हम स्पष्टीकरण चाहते हैं तथा जिन पर पुनर्विचार की आवश्यकता महसूस होती है। यूजीसी के दिशा निर्देशों को ध्यानपूर्वक पढ़ने के बाद हमारी निम्नलिखित मांगे हैं :
- देश के ग्रामीण क्षेत्रों में हाईस्पीड इंटरनेट जैसी तकनीक का अभाव है। ऑनलाइन परीक्षा के आयोजन संबंधी दिशानिर्देश, ग्रामीण क्षेत्रों के उन हज़ारों छात्रों को प्रभावित करेंगे जिनके पास हाईस्पीड इंटरनेट की उपलब्धता नहीं है। ऐसी स्थिति में छात्रों के लिए ऑनलाइन परीक्षा में भाग लेना कठिन होगा।
एसआईओ ऑफ़ इंडिया की यह मांग है कि यूजीसी इन दिशा निर्देशों को संशोधित करे और परीक्षा के स्कोर को बेहतर बनाने के लिए बाद की तारीख में पूरक, सुधार परीक्षा के विकल्प के साथ या अनिवार्य उपस्थिति के विकल्प के साथ सभी छात्रों के लिए डिफ़ॉल्ट पदोन्नति प्रदान करे।
- उन कक्षाओं के लिए नियमित परीक्षा आयोजित करना जिनके पास विकल्प नहीं हैं, वर्तमान परिस्थितियों में सुरक्षा उपायों के बावजूद अनुचित होगा क्योंकि यह छात्रों को संक्रमित कर सकता है, हालांकि इस तरह की परीक्षाएं “केवल ग्रीन ज़ोन” में आयोजित की जा सकती हैं, जिसमें उपयुक्त सुरक्षा उपाय जैसे कि शारीरिक दूरी व स्वच्छता का अच्छे से ध्यान रखा जा सके।
- दिशानिर्देशों (एक सप्ताह) में दी गई परीक्षा की सूचना अवधि बहुत कम है। नोटिस की अवधि कम से कम 15 दिन होनी चाहिए और परिवहन / यात्रा पास आदि के लिए आवश्यक व्यवस्था सुनिश्चित की जानी चाहिए।
लबीद शाफी आगे कहा कि हमने इस संबंध में यूजीसी के चेयरमैन को मांग-पत्र लिखकर दिशा-निर्देशों में संशोधन करने का आग्रह किया है।
मीडिया विभाग
एसआईओ ऑफ़ इंडिया