छात्र अधिकारों के लिए देशभर के हजारों छात्र जंतर मंतर पर हुए इकट्ठा

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रिपोर्ट : उवैस सिद्दीकी़

शिक्षा बचाओ, एनईपी हटाओ
भारत बचाओ, भाजपा हटाओ

नई दिल्ली : यूनाइटेड स्टूडेंट्स ऑफ़ इंडिया के बैनर के तले, 16 छात्र संगठन मिलकर आगे आए और एनईपी और सीयूईटी जैसी शिक्षा नीतियों पर सवाल उठाए और सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली को लेकर सरकार से जवाब मांगा।

इंडिया अलाइंस से जुड़े छात्र संगठनों ने साथ मिलकर बीते शुक्रवार दिल्ली के जंतर मंतर की ओर मार्च किया। छात्रों ने शिक्षा से संबंधित मुद्दों को उठाया। छात्र विमर्श ने मार्च में मौजूद छात्रों से बात की।

विभिन्न छात्र नेताओं ने शिक्षा प्रणाली की बिगड़ती स्थिति और एनईपी और सीयूईटी के खतरनाक प्रभावों के बारे में बताया। उन्होंने भारत के समस्त छात्रों से आने वाले चुनावों में भाजपा को हटाने और सार्वजनिक शिक्षा को बचाने की अपील की।

इस मार्च में शामिल जामिया मिल्लिया इस्लामिया की छात्रा साखी ने कहा कि देश ने आज तक भाजपा जैसी सांप्रदायिक सरकार को नहीं देखा है। उनका एकमात्र उद्देश्य लोगों और छात्रों को साम्प्रदायिकता के आधार पर बाँटना है, लेकिन हम छात्र ऐसी सरकार को स्वीकार नहीं करेंगे जो हमारे देश के धर्मनिरपेक्षता और संघवाद के सिद्धांतों पर हमला करती है। हम ऐसी भाजपा सरकार को स्वीकार नहीं करेंगे जो हमारी शिक्षा को पूंजीवादियों को बेचना चाहती है।

छात्रों की मांगे निम्नलिखित हैं:

  1. राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एन ई पी) 2020, नीट, और सीयूएट को रद्द करो।
  2. भगत सिंह नैशनल एम्प्लॉयमेंट गैरेंटी एक्ट को लागू करो, सभी के लिए शिक्षा और रोजगार सुनिश्चित करें।
  3. फीस वृद्धि और बचपन से पोस्ट-ग्रेजुएशन तक मुफ्त, गुणवत्ता युक्त शिक्षा सुनिश्चित करो।
  4. शिक्षा के सांप्रदायिकीकरण-वाणिज्यीकरण-केंद्रीकरण- सामरिकीकरण का विरोध करो। शिक्षा को लोकतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष, प्रगतिशील एवं वैज्ञानिक सोच की रक्षा करो।
  5. शिक्षा और रोजगार में अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, अन्य पिछड़ा वर्ग और अन्य समाज से वंचित समूहों के लिए अधिकार और अवसर सुनिश्चित करें। निजी क्षेत्र में आरक्षण नीति को कार्यान्वित करें।
  6. रोहित एक्ट को लागू करें और जाति और आर्थिक स्थिति के आधार पर भेदभाव रोकें।
  7. प्रत्येक कैम्पस पर जीएसकैश स्थापित करें – सभी शैक्षणिक संस्थानों को यौन उत्पीड़न और जेंडर भेदभाव से मुक्त करें। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार सभी शैक्षणिक संस्थानों में यौन उत्पीड़न के खिलाफ समितियां बनाएं।
  8. सभी कैम्पस पर छात्र संघ चुनाव का आयोजन करें। छात्र समुदाय के लोकतांत्रिक अधिकार सुनिश्चित करें।
  9. अग्निपथ योजना को वापस लें।

एक अन्य छात्र अकशान, जो जेएनयू से मास्टर्स के छात्र और राष्ट्रीय जनता दल के छात्र संगठन के सदस्य हैं, बताते हैं कि देश में शिक्षा को लेकर जो कुछ हो रहा है वे सब छात्र विरोधी है। अगर उच्च शिक्षा की बात की जाए तो सरकार जानबूझकर एमएएनएफ जैसी छात्रवृत्तियों को खत्म कर रही है जो अल्पसंख्यक छात्रों के लिए लाभदायक थी। वे आगे कहते हैं कि हम सरकार की छात्र विरोधी नीतियों के ख़िलाफ़ यहां जुटे हैं और आने वाले समय देश भर में इस तरह की सभाएं हम करेंगे और सरकार को यह संदेश देंगे की वे छात्रों के हित में इन सभी मांगों को जल्द से जल्द पूरा करें।

दिल्ली विश्वविद्यालय की छात्रा अंजलि कहती हैं कि नई शिक्षा नीति छात्रों के लिए कई समस्याएं खड़ी करती हैं। विशेष रूप से अल्पसंख्यक और पिछड़े वर्ग से आने वाले छात्रों के लिए मुश्किल का सामना‌ है। फ़िर चाहे वे फोर ईयर अंडरग्रैजुएट प्रोग्राम हो या फीस वृद्धि में बढ़ोतरी हो हर तरह से छात्र ही बोझ तले दब रहे हैं। इस वर्ष सीयूईटी में मास्टर्स की फीस वृद्धि में पिछले साल के मुक़ाबले बढ़ोतरी देखने को मिली। इसी के साथ शिक्षा का निजीकरण भी आए दिन देखने को मिलता है। हमारी सरकार से मांग है कि इन सभी समस्याओं को प्राथमिकता देते हुए हल करे। सिर्फ़ जुमलों से देश नहीं चलता, क्योंकि जब तक सबको समान रूप से अच्छी शिक्षा नहीं मिलेगी तब तक देश का असल विकास नहीं होगा।

इस मार्च में दिल्ली के अलावा देश भर विश्वविद्यालयों और शिक्षा संस्थानों से छात्र आए थे। आईसा, एसएफआई, एआईएफएफ, डीएसएफ, एनएसयूआई, सईआरजएडई सहित अन्य कई छात्र संगठन इसमें मौजूद थे।

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