क्या भारत का युवा एक यूज़लेस क्लास बनता जा रहा है?

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मनीष

यह लेख युवाल नोआ हरारी की किताब और लेक्चर्स पर आधारित है। हरारी की किताब सेपियन, मानव इतिहास को रिविजिट करती है। वो इतिहास के टर्निंग प्वाइंट्स की पहचान कर उन्हे परिभाषित करती है। मौजूदा समाज, उसकी बिलीफ और हालात पर उस क्षण की छाप को चिन्हित करती है। मानव इतिहास के साथ हरारी अपने लेक्चर्स मे, उसके भविष्य को भी प्रिडिक्ट कर रहे है। इतिहास मे कृषि की खोज महत्वपूर्ण है, जो मनुष्य को शिकारी, घुमन्तू और खतरनाक जीवन से निकाल सुरक्षित करती है।

करेंसी की खोज, सेवाओं और सामान का व्यापार आसान बनाती है। राजाओं की सत्ता, लगान वसूली, और करेंसी ढालने वाले से ही आम आदमी पर नियंत्रण रखती थी। अठारहवी शताब्दी की औद्योगिक क्रांति बड़ा असर डालती है। अब राजा और नोबल से पैसा खिसक कर उद्योगों के पास आता है। नेताओं और उद्योगपतियों का नेक्सस, इस दौर मे पहली बार बनता है। हर बदलाव, उस समाज मे लोगो के अंतर्संबंधों पर असर डालता है। रोजगार पर भी.. उद्योगों ने पारंपरिक रोजगार छीने। एक पावरलूम, सौ करघों से ज्यादा और सस्ता उत्पाद बनाती। पर नए जाब्स आए। लोगों ने पढ़ लिखकर मैनेजर, ट्रासपोर्टर, डाक्टर, इंजीनियर बनना शुरू किया। ये सर्विस सेक्टर का विकास था।

अगली कड़ी मे विज्ञान ने आटोमशन को और तेज किया। मशीनों की दक्षता बढ़ी, उत्पादन ज्यादा से ज्यादा मशीनों मे होने लगा। अन स्किल्ड जॉब्स में वेतन गिरे। छिपी हुई, मौसमी, और अर्धबेरोजगारी बढ़ी। मगर शिक्षित लोग टूरिज्म, बैंकिग, इन्श्यारेंस, सेल्समैन, स्टोर मैनेजर, सॉफटवेयर और कोडिंग मे जॉब पाने लगे। हर बदलाव जो कम स्किल्ड थे, गरीबी की ओर बढ़े। स्क्ल्डि की समृद्धि बढ़ी, पर शिक्षा के महंगे होते जाने, जनसंख्या के बढने और ऑटोमेशन ने उनके चैलेंजेस भी टफ कर दिये है।

अब तक, सोचने और निर्णय लेने का काम मनुष्य के हाथ मे ही था। अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने, यहां भी कब्जा जमा लिया है। हरारी जल्द ही AI के विकास मे अप्रत्याशित उछाल देखतेे है। जैसे 30 साल मे जिस तरह से कम्प्यूटिंग और टेलीफोनी मे चमत्कारी बदलाव हुए, आगे 15 साल मे AI कई पीढ़ी आगे बढ़ जायेगा। और जॉब्स खाएगा। ड्राइवरलेस कारें, करोड़ो ड्राइवर्स को घर बिठा देंगी। मेडिकल एप्स, टेलीमेडिसिन, पड़ोस के डॉक्टर से बेहतर चिकित्सकीय सलाह देंगे। कोई एल्सा नाम का एप आपको बेहतर काउंसलिंग देगा। एल्गोरिदम बेहतर डिसिजन सुझाएगा। यूटृयूब के माध्यम से लाखो होम टयृटर का बिजनेस चौपट होते देख ही रहे है। बड़े स्केल पे खेलने वाले मॉल, नुक्कड़ की दुकानों से बेहतर ऑफर दे रहे हैं। तो 8 बिलियन इंसानों का क्या होगा??

दरअसल, अधिकांश जनता, एक यूजलेस क्लास होगी। सरकार, उद्योग, या समाज के लिए कोई उपयोगिता नही। तो क्या करेंगे इनका???? हरारी का मानना है कि सरकारों के लिए भोजन देना कोई समस्या नही होगी। तकनीक, अधिक अन्न उपजा लेगी। जेबखर्च के लिए डीबीटी, न्याय, किसान कल्याण निधि या लाडली बहना, न्याय के नाम से थोड़े पैसे भी आ जाऐंगे। यूरोप में यूनिवर्सल बेसिक इनकम की बात छिड़ चुकी है। पर असली चुनौती इस कचरे को व्यस्त रखना है। महामारी, युद्ध, दंगे सँख्या घटाने के अच्छे तरीके हैं। दमन भी एक रास्ता है। क्योकि इनके पास पॉलीटकल ताकत नही होगी। फैक्ट्री मजदूरो, ट्रक ड्राइवरो या किसानों की हड़ताल समाज का काम रोक देती है। सरकार को मजबूरन इनकी माननी पड़ती है। यूजलेस बेरोजगार बारगेनिंग चिप नही रखते। फिर सर्वेलिंयेस तकनीक आप पर 24×7 निंगाह रखे है। एक क्लिक पर आपका नाम-पता, आखो-अंगुलियों की छाप उपलब्ध होगी।

सोशल मीडिया पर बायोग्राफी तस्वीरों सहित है। डिजिटल पेमेन्ट से आपके खर्च, आदत, आवाजाही की मैपिंग है। बातचीत की ट्रांसक्रिप्ट वहाट्सप पर है। इतनी चीजों मे एक सिंगल इल्लीगलिटी खोजकर जेल ठूंसना कितना मुश्किल होगा?? पर जेल कितने को भेजेंगे। हरारी की मानना है कि नशा, डेटा, कम्प्यूटर गेमिंग सस्ते होंगे।यह चीज भी दिख रही है। मोबाइल एडिक्शन आपकी सोचने समझ को दिशा दे रहा है।समय खा रहा है,जिंदगी चाट रहा है। क्रातिकारी विचार रुक जाता है, पोर्न और सत्ता समर्थक कंटेट को एल्गोरिदम फेवर कर रहा है।

युवाल हरारी इसे फ्यूचर में होते देखते हैं। मै भारत का वर्तमान देखता हूं। एक विशाल यूजलेस क्लास है। इसे 5 किलो आटा और डेढ जीबी डाटा फ्री दिया है। धर्म और गर्व की अफीम मिल रही है। मुसलमान,मन्दिर, पाकिस्तान हमारी राष्ट्रीय उपलब्धि है।घण्टे भजन चौराहों पर देख रहा हूँ। एक ध्वंस का जश्न झांकी है,कई जश्न अभी बाकी हैं। सोचने की ताकत खो चुका समाज खुशी खुशी अपनी आजादी खो चुका है। देश ऑलरेडी एक विशाल यूजलेस क्लास बन चुका हैं।

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