-एहतेशामुल अबरार, झारखण्ड
कोरोना बज़ाहिर एक भयंकर बीमारी है तो ज़रूर मगर उस ने मानवता को वो कुछ दिया है जिसकी शायद मानवता को सब से अधिक आवश्यकता थी। मौजूदा दौर एक ऐसा दौर था जहां मानवीय जान का कोई महत्व नहीं था इंसान की व्यस्ताओं की इंतिहा यह थी कि स्वयं के लिए उसके पास समय नहीं था। हर किसी की ज़बान पर बस यही बात कि समय नहीं है यार क्या बताऊं। ऐसे दौर में जब इंसान के पास स्वयं के लिए समय न हो मैं समझता हूं कि यह मानवता का सब से खतरनाक दौर शुमार होगा। सिसकती बिलखती इंसानियत शायद इस दौर से शिकायत तो कर रही थी मगर कोई विकल्प नज़र नहीं आ रहा था और न ही दूर दूर तक इसका कोई अंदेशा था। ऐसे में कोरोना का आना वाकई मानव इतिहास के लिए एक स्वर्णिम अध्याय है जहां मानव मानव की पीड़ा को महसूस कर रहा है। वो ये सोच रहा है कि इस को यूं ही नहीं पैदा किया गया बल्कि उसके जीवन का एक उद्देश्य है कि उसे स्वयं के लिए और दूसरों के लिए बहुत कुछ करना है। वो ये सोच रहा है कि इस भीड़ में कई लोग ऐसे हैं जो भूके सो रहे हैं, जिन्हे एक वक्त का खाना तक मयस्सर नहीं वो ये सोच रहा है कि उसका एक सुंदर संसार है जिस में उसके माता पिता उसका परिवार उसके खानदान वाले उसके पड़ोसी भी हैं जिन्हे शायद उसकी आवश्यकता है। वो ये सोच रहा है कि जीवन की व्यस्ताओं ने यह और इस जैसी कितनी ही वस्तुओं को उस से छीन लिया है जिसका एहसास तक नहीं था। कोरोना ने इस एहसास को जगाया है। मानव इस बात पर परेशान था के कैसे अधिकाधिक पैसा कमाया जाए और अपने जीवन को आरामदायक बनाया जाए। पूरी मानवता बस इसी के पीछे भाग रही थी। ऐसे में कोरोना ने इस बात का एहसास दिलाया कि नहीं ये जीवन वो जीवन नहीं हो सकता जो ईश्वर ने प्रदान किया था जो इतने सीमित उद्देश्य के लिए मानव को जीना सिखाए और इसी हालत में उसकी मौत हो जाए। वर्तमान समय ज्ञान एवं तकनीक का समय है। मानव का दिमाग एक इंतेहा को पहुंच चुका है ऐसे में इंसान एक ऐसी बात से असावधान है जिस से शायद वो कभी नहीं निकल पाता या उसे एहसास भी नहीं होता मगर कोरोना ने उसके अंदर कहीं न कहीं इस एहसास को पैदा किया है। और वो यह सोचने पर विवश है कि इस ज्ञान और तकनीक से ऊपर भी कोई ऐसी हस्ती है जिसके सामने सारी चीज़ें बौनी हैं। और जब वो कुछ ठान ले तो संसार की कोई ताकत उसे नहीं रोक सकती। पूरा संसार मृत पड़ा हुआ था कोरोना ने इसे दोबारा जीवित किया है। ईश्वर ने कोरोना के रिफ्रेश बटन को दबा कर मानवता को एक बार फिर से जीवित किया है कि अब भी सुधर जाओ अभी भी कुछ बिगड़ा नहीं है अभी एक नए जीवन का आरंभ करना है जहां मानव मानव से प्रेम करे नफरत का खात्मा हो। जीवन को स्वयं के साथ साथ दूसरों के लिए जिया जाए। ज़ुल्म व अन्याय के खिलाफ एकजुट हो कर संघर्ष किया जाए। वर्तमान समय के ये वो संगीन हालात हैं जिस पर सोच-विचार के लिए हमारे पास समय भी नहीं था ईश्वर की कृपा है कि कोरोना ने हमें ये समय प्रदान किया है जहां हम इन हालात पर विचार विमर्श के लिए मजबूर हैं। भविष्य में इन हालात को बदलने के लिए भी हम अपना संघर्ष जारी रखेंगे। ईश्वर से प्रार्थना है कि जल्द से जल्द इस बीमारी से छुटकारा दिलाए और जिस उद्देश्य के लिए हमें संसार में भेजा गया है इसकी समझ पैदा करे और इसे पूरा करने का बल प्रदान करे।