अन्य धार्मिक अलप्संख्यक समुदायों की अपेक्षा भारतीय मुसलमान शेक्षणिक और आर्थिक रूप से बहुत पिछड़ा हुवा समुदाय है. मुसलमानों पूरे देश भर में भेदभाव का शिकार होता है और मुसलमानों को निशाना बनाकर उनकी हत्याओं में भी बढ़ोतरी हुई है. और जब जन – आस्था की बात आती है तो हमारा गणराज्य मुसलमानों के प्रति अन्यायपूर्ण साबित होता है. पिछले हफ्ते अम्बेडकर की जयंती पर इन सब बातों के सन्दर्भ में मुसलमानों की इच्छाओं और उनके मुद्दों को ध्यान में रखकर एक अधिकारपत्र तैयार किया है. इन मांगों को समय समय पर मुसलमानों के संगठन और सिविल सोसाइटीज़ के सदस्य उठाते रहे हैं. इस चार्टर में आज़ादी के 7 दशक बाद भी मुसलमानों की उन निम्नतम मांगों को रखा गया है जो अतिमहत्वपूर्ण हैं. इस चार्टर पर हम सभी पाठकों की प्रतिक्रिया चाहेंगे.
- संविधान संशोधन विधेयक लाकर संविधान के अनुच्छेद 1, 25 (2)(b), 48, 341, 343, 351, 8th Schedule एवं अन्य जगहों पर मौजूद हिंदू पक्षपात को हटाना.
- संविधान में संशोधन के माध्यम से आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रदान करना और इसे मूल संरचना के रूप में वरीयता देना.
- संसद से ग्राम पंचायत, शिक्षा, सेवा, अर्धसैनिक और सशस्त्र बल, पुलिस, न्यायपालिका तथा राज्य के हर आउटलेट में आरक्षण प्रदान करना जहां आरक्षण लागू है.
- मुसलमानों और अन्य हाशिए के समूहों के लिए निजी क्षेत्र में आरक्षण प्रदान करना.
- UAPA, NSA, AFSPA, MCOCA, GUJCOCA जैसे कानूनों का उन्मूलन.
- च्चर समिति की रिपोर्ट में वर्णित समान अवसर आयोग (Equal Opportunities Commission) की तर्ज पर एक संवैधानिक निकाय का गठन.
- एससी एसटी अत्याचार पर मौजूदा कानून (SC ST Atrocities Act) की तर्ज पर कानून जिसके अंतर्गत अल्पसंख्यकों पर होने वाले अपमानजनक टिप्पणी और उत्पीड़न की अन्य मौखिक या शारीरिक गतिविधियों का अपराधीकरण हो.
- अत्याचार के मामलों में समयबद्ध और त्वरित सुनवाई सुनिश्चित करना जहां मुसलमान पीड़ित हैं और उन मामलों में जहां उन्हें आरोपी ठहराया गया है.
- झूठे मामलों में फंसाये गये मुसलमानों की बेगुनाही सिद्ध होने के अवसर पर पर्याप्त और उचित मुआवजे की अनुमति, राज्य के अधिकारियों द्वारा मुआवजा वहन की जाने की एवं उसकी देयता सुनिश्चित करने का प्रावधान.
- लोकतंत्र के तीसरे स्तर यानी ग्राम पंचायतों और नगर निगमों को अतिरिक्त वित्तीय अधिकार और विचलन, एक प्रशासनिक क्षेत्र में धन के वितरण में भौगोलिक एकरूपता सुनिश्चित करना.
- नागरिकता के किसी भी पूर्वव्यापी वर्गीकरण पर कानूनी रोक और इस तरह की जारी किसी भी प्रक्रिया को तवरित कारवाई करते हुए शून्य घोषित करना.
- दंगों के मामलों में जहां पूर्व के दावे लंबित हों अथवा भविशय में, सम्मानजनक जीवन प्रदान करने के लिए पुनर्वास और मुआवजे सुनिश्चित करने पर कानून.
- कुशल और अकुशल मुस्लिम कारीगरों को रोजगार देने वाले गाँव और लघु उद्योगों को राज्य संरक्षण प्रदान करना.
- एक से अधिक न्यायाधीशों वाले प्रत्येक न्यायिक बेंच के गठन में देश की विविधता का प्रतिनिधित्व.
- 1987, 1992, 2002 और 2013 को संसद में राज्य अपराधों के रूप में स्वीकार करते हुए एक प्रस्ताव को अपनाना और समयबद्ध तरीके से राज्य की सामूहिक हत्या के मामलों में न्याय देने के लिए एक अलग अदालत की स्थापना करना.
लेखक :- मुहम्मद आरिज़ इमाम