देश के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी लगातार देश की वर्तमान स्थिति पर अपने भीतर के भय को सामने रखने की कोशिश कर रहे हैं। कुछ दिनों पहले उन्होंने दिल्ली दंगों को लेकर अपनी राय रखते हुए कहा था कि दिल्ली में जो कुछ हुआ वो पूरी तरह कानून-व्यवस्था के खत्म होने की वजह से हुआ. मैं एक नागरिक हूं और सुकून से आम नागरिक के तौर पर जीना चाहता हूं. आम लोगों को भी यही चाहिए ताकि वो अपनी रोजी-रोटी के लिए काम कर सकें और शांति से रह सकें.”
अब फिरसे पूर्व उपराष्ट्रपति का एक बयान सामने आया है.उन्होंने भालचंद्र मुंगेकर की पुस्तक ‘माई एनकाउंटर्स इन पार्लियामेंट’ के विमोचन के दौरान कहा अपनी चिंता प्रकट करते हुए कहा कि
“सरकारी संस्थाओं की स्थिति पर पूर देश में खतरनाक प्रक्रिया चल रही है और देश की संस्थाएं ‘‘बड़े खतरे’’ में है तथा जिन सिद्धांतों पर संविधान की प्रस्तावना तैयार की गई उसकी अवहेलना की जा रही है. अंसारी ने कहा कि लोग ‘‘मुश्किल समय” में जी रहे हैं और प्रतिक्रिया करना जरूरी है क्योंकि यदि यह जारी रहा तो ‘‘बहुत देर हो जाएगी.” उन्होंने कहा, ‘‘हम बहुत मुश्किल समय में जी रहे हैं. मुझे इसके विस्तार में जाने की जरूरत नहीं है लेकिन सच्चाई यह है कि भारत के गणतंत्र की संस्थाएं बहुत खतरे में हैं.”उन्होंने कहा कि जिन सिद्धांतों पर संविधान की प्रस्तावना तैयार की गई उसकी अवहेलना की जा रही है.इस प्रक्रिया में काफी कुतर्क शामिल है इसलिए अधिकतर नागरिकों द्वारा इसे समझ पाना आसान नहीं है। हालांकि सच्चाई यह है कि बहुत खतरनाक प्रक्रिया चल रही है।
अंसारी ने कहा कि विदेश में देश के मित्र देश की स्थिति को खतरे की स्थिति के तौर पर देख रहे हैं जबकि देश के दुश्मन खुश हैं.” उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए कुछ ऐसा है जिस पर गौर किया जाना चाहिए, मैं डा. मुंगेकर के शब्दों को जगाने वाला और यह याद दिलाने वाला मानता हूं कि हमें भ्रमित किया जा रहा है और यदि हम इस प्रक्रिया को जारी रहने देंगे तो जगने में बहुत देर हो जाएगी.
पूर्व उपराष्ट्रपति पहले भी देश की गम्भीर स्थिति और लोकतंत्र के खतरे पर बोलने की वजह से आलोचना का शिकार होते रहे हैं लेकिन लगातार उनका इस स्थिति के लिए देश के नागरिकों को आगाह करना हमें सोचने पर मजबूर करने के लिए काफी है।