क्यों चल रही है लक्षद्वीप को बचाने की मुहिम?

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प्रकृति की गोद में बसा छोटे-छोटे शानदार द्वीपों का समूह लक्षद्वीप भारत का सबसे छोटा केंद्रशासित प्रदेश है। यह प्रदेश न सिर्फ़ अपनी ख़ूबसूरती बल्कि अपनी शांति व सौहार्द के लिए भी प्रसिद्ध है। शायद यही कारण है कि यह शांत प्रदेश अभी तक न्यूज़ चैनल्स की रूचि का केंद्र नहीं बना था लेकिन बीते कुछ समय से यह चर्चा का विषय बना हुआ है।

सोशल मीडिया पर #SaveLakshadweep #StandwithLakshadweep #SpeakForLakshadweep #RevokeLDAR ट्रेंडिंग में हैं।

बीते कई दिनों से लक्षद्वीप की जनता, लक्षद्वीप छात्र संघ व अन्य संगठन वहां के मुख्य प्रशासक प्रफ़ुल्ल पटेल के ख़िलाफ़ विरोध कर रहे हैं। गुजरात के गृहमंत्री रह चुके प्रफ़ुल्ल पटेल क़रीब 5 महीने से लक्षद्वीप के मुख्य प्रशासक के रूप में कार्यरत हैं। पटेल पर वहां के पारंपरिक जीवन व सांस्कृतिक विविधता को ख़त्म करने का आरोप लग रहा है और उन्हें वापस बुलाने की मांग की जा रही है।

आइए जानते हैं कि क्या है पूरा मामला?

28 अप्रैल 2021 को ‘लक्षद्वीप डेवलपमेंट अथॉरिटी रेगुलेशन (LDAR)’ पेश किया गया। ड्राफ़्ट के अनुसार सरकार के पास चल व अचल संपत्ति का अधिग्रहण धारण प्रबंधन करने का अधिकार है। जिसके तहत यहां के प्रशासक को नगर नियोजन व अन्य विकास कार्यों के लिए यहां के स्थानीय लोगों को उनकी संपत्ति से ट्रांसफ़र करने या हटाने का अधिकार दिया गया है।

लक्षद्वीप छात्र संघ ने इस मसौदे को रद्द करने की मुहिम शुरू की है। ‘स्टूडेंटस् इस्लामिक ऑर्गनाइज़ेशन ऑफ़ इंडिया’ ने भी इस मसौदे को लक्षद्वीप के स्वदेशी लोगों को कमज़ोर करने वाला बताया है।

पटेल द्वारा जनवरी 2021 में ‘प्रिवेंशन ऑफ एंटी-सोशल ऐक्टिविटीज ऐक्ट (PASA)’ भी लागू किया गया था। जिसके माध्यम से किसी भी नागरिक को बिना किसी सार्वजनिक सूचना के एक साल तक क़ैद में रखा जा सकता है।  लक्षद्वीप को सबसे कम अपराध दर वाली जगह के रूप में जाना जाता है। फिर भी सरकार द्वारा एक अपराध मुक्त द्वीप में PASA एक्ट लागू किया जा रहा है, जिसके माध्यम से किसी भी नागरिक को बिना मुक़दमे के क़ैद किया जा सकता है। इसको लेकर भी जनता में आक्रोश बना हुआ है।

लेकिन इन क़ानूनों के प्रावधान सिर्फ़ ज़मीन और क़ैद तक सीमित नहीं हैं, वहां के लोगों के खानपान को लेकर भी हैं। 25 फ़रवरी 2021 को ‘लक्षद्वीप एनिमल प्रिजर्वेशन रेगुलेशन-2021’ पेश किया गया जिसके तहत गौमांस व बीफ़ उत्पादकों के परिवहन, खरीद-फरोख्त व वध पर रोक लगाई जा चुकी है। लक्षद्वीप में बसने वाली 96% आबादी मुस्लिम है फिर भी इस मुस्लिम बाहुल्य इलाक़े में गौमांस व बीफ़ पर प्रतिबंध लगाया गया है और दशकों से शराब पर लगे प्रतिबंध को हटाया गया है।

इस क्षेत्र का प्रशासन, प्रशासक सलाहकार समिति के हाथों में है। सलाहकार समिति में प्रशासक और ज़िला पंचायत के निर्वाचित सदस्य होते हैं। अब पांच महत्वपूर्ण क्षेत्रों – शिक्षा, स्वास्थ्य, पशुपालन, मत्स्य पालन में ज़िला पंचायत की शक्तियों में कटौती की गई है और सभी शक्तियां केवल प्रशासक में निहित हैं। साथ ही पटेल ने नये नियम से पंचायत चुनाव कराने का प्रस्ताव भी पेश किया है। जिसके अनुसार दो से अधिक बच्चों वाले लोगों को चुनाव लड़ने का अवसर नहीं दिया जाएगा।

लक्षद्वीप के लोगों का विरोध कोरोना नियम क़ानूनों के बदले जाने से भी है। पिछले साल कोविड की पहली लहर के दौरान जब देशभर में प्रतिदिन कोरोना के मामले सामने आ रहे थे तब केवल लक्षद्वीप ऐसा राज्य था जहां एक भी केस रिपोर्ट नहीं हुआ। कोच्चि से लक्षद्वीप पर जाने वाले सभी व्यक्तियों को अनिवार्य तौर पर क्वारांटीन किया जा रहा था लेकिन प्रशासक पटेल ने पदभार संभालते ही नियम बदल दिए। जिसके अनुसार जिस किसी के पास भी यात्रा से 48 घंटे पहले की RTPCR टेस्ट की नेगेटिव रिपोर्ट होगी, वही व्यक्ति द्वीप पर आ सकता है। नये नियम लागू होने के बाद स्थिति है कि लगभग 80,000 की आबादी वाले इस क्षेत्र में 23 मई 2021 तक कोरोना के  6000 नये मामले सामने आए हैं।

– सिमरा अंसारी

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