जंग से क्या मिला है, अगर ये जानना है तो जाकर इराक के लोगों से पूछिए। जिनकी न सिर्फ़ एक पूरी नस्ल ख़त्म कर दी गई बल्कि पूरी सभ्यता का भी नाश कर दिया गया।
जाकर अफ़ग़ानिस्तान से पूछिए? जिन्हें प्रतिशोध में सताया गया, जिन्हें यातनाएँ दी गई। उन लाखों अमेरिकी सैनिकों से पूछिए जो मार दिए गए या फिर ऐसे ज़िंदा हैं जैसे चलती फिरती लाश हों। जो युद्ध ख़त्म होने के बाद हजारों की संख्या में आत्महत्या कर चुके हैं।
जाकर पूछिए वियतनाम युद्ध में मारे गए उन कई लाख लोगों से, जिनको दो दशक की लम्बी घेराबंदी, भूख और बमबारी ने मार डाला। पढ़िए’ कोल्ड वॉर का इतिहास। कैसे मुल्कों के नक़्शे तक बदल गए।
दो परमाणु सम्पन्न देशों के बीच युद्ध की माँग करने वालों, जाकर पता कर लीजिये हिरोशिमा और नागासाकी का इतिहास, कि कैसे वहाँ पर क़यामत बरपा हुई थी। जहाँ पर मौत बरसी। चमड़ी, दमड़ी तक उड़ गई। जहाँ की ज़मीन आजतक बंजर है। जहाँ लोग ऐसे चलते हैं जैसे सिर्फ़ नाम मात्र के लिए ज़िंदा हों।
अपने ड्राइंग रूम में बैठकर बीयर हाथ में लेकर जंग की माँग करने वालों, उन सैनिकों के परिवारों के बारे में सोचो जिनके अपने मुल्क की हिफ़ाज़त के लिए सरहदों पर तैनात हैं। जिनकी रातों की नींद ग़ायब हो गई है क्योंकि उनका बेटा सरहद पर तैनात है। उस माँ के आँसुओं को महसूस करो जिसका बेटा इस वक़्त पाकिस्तान की क़ैद में है।
महानगरों में बैठकर जंग को एंटरटेंमेंट समझने वालों, सरहद पर बसने वाले हज़ारों गाँव में रहने वालों के बारे में सोचो जो तुम्हारे एंज़ोय के चक्कर में खौफ के साए में जी रहे हैं।
जंग को मजाक समझने वालों, इतिहास उठाकर देख लो कि जंग ने कभी भी किसी मसले का हल नहीं दिया है। जंग ख़ुद में ही एक मसला है।
“इसलिए ऐ शरीफ़ इंसानों
जंग टलती रहे तो बेहतर है
आप और हम सभी के आँगन में
शमा जलती रहे तो बेहतर है।”
लेख साभार : माजिद मजाज़