- आसिफ़ इक़बाल की गिरफ़्तारी आधारहीन, एकपक्षीय और देश के कानून पर एक काला धब्बा!
- गृह मंत्रालय सभी क़ैदियों को यथाशीघ्र रिहा करे!
जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्र और एस आई ओ के सदस्य आसिफ इक़बाल को दिल्ली पुलिस ने गढ़े हुए इल्ज़ामात और बेबुनियाद चार्ज लगा कर गिरफ़्तार कर लिया है।
लॉक डाउन के दौरान, संशोधित नागरिकता अधीनियम के विरुद्ध अपनी आवाज़ बुलंद करने वाले कार्यकर्ताओं की की गई गिरफ्तारियों में यह एक नया नाम है। पिछली गिरफ्तारियों की तरह इस केस में भी पुलिस ने गिरफ़्तारी के लिए कोई स्पष्ट सबूत और साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किये हैं।
ज्ञात रहे कि गिरफ्तारी से पहले भी पुलिस ने आसिफ को पिछले पांच महीनों से, जब से यह विरोध प्रदर्शन शुरू हुए हैं, कई बार पूछताछ के लिए समन किया था। किसी भी गैर कानूनी गतिविधि में आसिफ के शामिल होने के साक्ष्य ना पाए जाने के बावजूद, लॉक डाउन से पहले भी और लॉक डाउन के दौरान भी पुलिस ने ‘इंटेरोगेशन’ जारी रखा था और अंततः गिरफ्तार कर लिया।
वैश्विक प्रकोप और महामारी के इस दर्दनाक परिपेक्ष्य में भी जबकि हमारी सारी सामाजिक और राजनीतिक कोशिशें गरीबों, बेसहारों और मज़दूरों की मदद की तरफ होनी चाहिए, दिल्ली पुलिस लोकतांत्रिक आवाज़ों और और निडर नेतृत्व को खमोश करने के अपने एजेंडे पर चल रही है।
इन गिरफ्तारियों का उद्देश्य सिर्फ उन लोगों के दिलों में डर पैदा करना है जो सत्ता पक्ष की गलती नीतियों, गैर क़ानूनी प्रावधानों और फैसलों के विरुद्ध अपनी आवाज़ बुलंद करते रहे हैं और दूसरी तरफ इस बात को सुनिश्चित करने का प्रयास भी है कि “समान नागरिकता” के लिए देश भर में जारी आंदोलन लॉक डाउन के पश्चात एक्टिव और सरगर्म न हो जाये।
हम आसिफ और अन्य उन तमाम लोगों के साथ खड़े हैं जो अपने “जन्मसिद्ध अधिकारों” का इस्तेमाल करने के कारण उत्पीड़ित किये गए हैं।
हम मांग करते हैं कि आसिफ़ और सभी छात्रों को जल्द अज़ जल्द रिहा किया जाए । यह मात्र इसलिए नहीं कि उनकी गिरफ्तारी गैर कानूनी है बल्कि इसलिए कि उनकी गिरफ्तारी हमारे देश संविधान पर बदनुमा दाग़ है।
एस आई ओ के राष्ट्रीय अध्यक्ष ‘लबीद शाफी’ ने कहा कि “देश के आम शहरियो पर यह संकट, हमारे देश के कानून, संविधान और हमारी न्यायिक व्यवस्था का “लिटमस टेस्ट” है।