जुर्म क्या था हमारा,क्या हक की लड़ाई लड़ना अपराध है ?

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न्यू होस्टल मैन्युल और फीस वृद्धि के खिलाफ जेएनयू के तमाम छात्र संगठनों समेत छात्र लगातार विरोध दर्ज करवा रहे हैं,आज इन्हीं मांगों के साथ संसद मार्च का एलान किया गया था।

इस मार्च को लेकर दिल्ली पुलिस बीती रात ही से सक्रिय हो गयी थी,जेएनयू के मुख्य द्वार समेत कई जगह बेरिकेड लगा दिए गए और भारी संख्या में दिल्ली पुलिस के जवान तैनात कर दिए गए, संसद और जेएनयू के इर्द-गिर्द धारा 144 आज सुबह से लागू कर दी गई,तकरीबन 11 बजे छात्र जेएनयू मुख्य द्वार से आगे बढ़े लेकिन पुलिस ने उन्हें वहीं रोक दिया,लेकिन छात्रों की भारी  संख्या पुलिस के नियंत्रण में नही थी।

दिल्ली पुलिस ने फीस वृद्धि के खिलाफ लड़ रहे इन छात्रों पर भारी बल प्रयोग किया,डंडे बरसाए गए,लड़कियों समेत कई छात्रों को भारी चोटें आई,छात्रसंघ अध्य्क्ष समेत कई छात्रों को गिरफ्तार कर लिया गया।

सवाल यही है कि आखिर इन छात्रों की मांग क्यों सरकार को डंडे लाठी का प्रयोग करवाने पर मजबूर कर रही है ? जेएनयू में गरीब छात्रों को पढ़ने का मौका क्यों सरकार छीनना चाहती है ? क्या अपने हक की मांग के लिए सड़कों पर उतरने का अधिकार डंडे के दम पर छीन लेना चाहती है ये सरकार ? आज जेएनयू के आम छात्रों के साथ हुआ पुलिस का ये व्यवहार चिंता का विषय है।

कई छात्रों को गम्भीर चोट आई हैं,पुलिस का ये रवय्या सरकार की मंशा पर सवालिया निशान पैदा करता है।

 

-अहमद कासिम,मीडिया छात्र,जामिया मिल्लिया इस्लामिया

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