लखनऊ: एसोसिएशन फ़ॉर प्रोटेक्शन ऑफ़ सिविल राइट्स (एपीसीआर) ने कल यानी गणतंत्र दिवस के अवसर पर लखनऊ कारागार के चार बंदियों को क़ानूनी सहायता प्रदान करके रिहा कराया। एसोसिएशन के सचिव एडवोकेट नज्मुस्साक़िब ख़ान ने बताया कि पिछले कई महीनों में एपीसीआर के सतत् प्रयासों से उत्तर प्रदेश के विभिन्न ज़िलों के लगभग 125 बंदियों को रिहाई दिलाई गई है। इसी क्रम में आज लखनऊ कारागार से चार बंदियों, जिसमें विशाल, जावेद, संतोष और यूनुस शामिल हैं, को रिहा कराया गया। उन्होंने यह भी बताया कि इन बंदियों की पैरवी करने वाला कोई नहीं था, इसीलिए एपीसीआर ने लंबे संघर्ष और क़ानूनी प्रक्रिया के बाद उन्हें रिहाई दिलाई।
एपीसीआर द्वारा जारी की गई प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि यह एसोसिएशन गरीब और पिछड़े लोगों की क़ानूनी सहायता व मार्गदर्शन करने, गरीबों और अन्याय के शिकार लोगों को क़ानूनी सुरक्षा देने और देश व समाज से अन्याय और अत्याचार के अंत के लिए प्रयासरत् है। ऐसे वातावरण में जहां समाज के किसी व्यक्ति द्वारा किए गए किसी अपराध के कारण समाज और स्वयं उसके घर-परिवार वाले उससे नाता तोड़ लेते हैं, और जो लोग मामूली अपराधों के कारण कई महीनों और सालों से जेल की सलाखों के पीछे केवल इसलिए हैं क्योंकि उनकी पैरवी करने वाला कोई नहीं होता है, एसोसिएशन फ़ॉर प्रोटेक्शन ऑफ़ सिविल राइट्स (एपीसीआर) ऐसे व्यक्तियों की पहचान करके उन्हें क़ानूनी सहायता प्रदान करती है।
एडवोकेट ख़ान ने बताया कि रिहाई के बाद इन बंदियों को शपथ दिलवाई गई कि अब वे समाज में एक सुलझे हुए और चरित्रवान व्यक्ति के रूप में अपना जीवन-यापन करेंगे। उन्होंने जानकारी दी कि अभी भी राज्य की विभिन्न जेलों में क्षमता से अधिक क़ैदी बंद हैं, और उनमें कई ऐसे गरीब व असहाय क़ैदी भी जेल की मुसीबतें झेल रहे हैं जो मामूली अपराध के कारण सज़ा भुगत रहे हैं। उन्होंने कहा कि इन क़ैदियों की क़ानूनी सहायता करके उन्हें रिहाई दिलाने और सामाजिक जीवन से जोड़ने की जरूरत है ताकि समाज में अपराध का अनुपात कम हो सके।
इस अवसर पर जेलर श्री के. के. गुप्ता, जेलर श्रीमती ज्ञानलता, जेलर श्री अजय राय, एसोसिएशन के सचिव एडवोकेट नज्मुस्साक़िब ख़ान, लखनऊ कोऑर्डिनेटर शान ए इलाही व एडवोकेट साजिद ख़ान उपस्थित रहे।