कल एएमयू से छात्रों की ख़ून से लत-पत तस्वीरें fb पर खूब वायरल हुईं,save amu और stand with amu के हैशटैग के साथ,जिसमें ये बताया जाता रहा कि हिन्दू युवा वाहिनी के गुर्गों ने हामिद अंसारी के कार्यक्रम पर हमला करना चाहा, मौक़े पर मौजूद लड़कों ने प्रतिरोध किया और कुछ गुंडों को पकड़ कर पुलिस के हवाले किया तो पुलिस ने हिन्दू युवा वाहिनी के गुर्गों पर एफआईआर करने के बजाए, युवा वाहिनी के विरुद्ध प्रदर्शन कर रहे एएमयू के छात्रों पर लाठीचार्ज कर दिया, जिससे कइ छात्र बुरी तरह चोटिल हुए..
दूसरी तरफ,कल ही मेनस्ट्रीम मीडिया के वेबपोर्टल्स दूसरी रिपोर्टिंग करते रहे और आज अख़बारों में भी स्टोरीज़ हैं कि जिन्ना की तस्वीर हटाने की डिमांड करते हुए और जिन्ना के पुतले को बाब-ए-सय्यद पर जलाने आए हिन्दू जागरण मंच और दूसरे हिंदुत्ववादी संगठनों के लोगों से एएमयू के छात्रों की हिंसक भिड़ंत हुई,पुलिस ने लाठी चार्ज किया,नतीजा कई छात्र जख्मी हुए…
फेसबुक और मेनस्ट्रीम मीडिया की इन अलग-अलग रिपोर्ट्स की between the lines पढ़ने और स्वतंत्र चिंतन के नतीजे में ये चन्द बातें…
1) पुलिस ने लाठी-डंडे चलाए जिससे केवल एएमयू के छात्र घायल हुए हैं यानी पुलिस लाठीचार्ज एकतरफा था…
2) अलीगढ़ पुलिस प्रशासन के साथ साथ एएमयू प्रशासन का निकम्मापन भी स्पष्ट है, खबर ये भी है कि हिंदुत्ववादियों ने प्रदर्शन की कॉल पहले से दी हुई थी….मगर हैरत है कि save amu हैशटैग वाले एएमयू प्रशासन के विरुद्ध आवाज नहीं उठा रहे…amusu को कुलपति और दूसरे पदाधिकारियों से कल की घटना पर कुछ स्पष्ट मांग करनी चाहिए..
3)हिंदुत्ववादियों की एएमयू पर गिद्धदृष्टी की ये दूसरी घटना है,amusu को अपने प्रोफेसर्स के साथ बैठ कर एक लौंग टर्म प्लान बनाना चाहिए…
4) एएमयू के प्रबुद्ध छात्रों को संय्यम और विस्डम के साथ हिंदुत्ववादियों को पंक्चर करने पर ज़्यादा ज़ोर देना चाहिए ना कि उन्हें चिढ़ाने और उग्र करने पर…
हिंदुत्ववादियों की एएमयू पर गिद्धदृष्टी
अलीगढ़ पुलिस प्रशासन के साथ साथ एएमयू प्रशासन का निकम्मापन भी स्पष्ट है