एएमयू में मिस्र के ग्रैंड मुफ़्ती का विरोध

मिस्र के ग्रैंड मुफ़्ती के रूप में उनकी विवादास्पद भूमिका के कारण छात्र डॉ० शौक़ी के दौरे के ख़िलाफ़ थे। एमनेस्टी इंटरनेशनल की एक रिपोर्ट के अनुसार डॉ० शौक़ी ने मिस्र में कई मौत की सज़ाओं का समर्थन किया है, जिससे मिस्र में फांसी की सज़ा में तेज़ी से वृद्धि हुई है।

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एएमयू में मिस्र के ग्रैंड मुफ़्ती का विरोध

रिपोर्ट: ग़ज़ाला अहमद

अलीगढ़ | 2 मई, दिन मंगलवार को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा एक विरोध प्रदर्शन किया गया। यह विरोध प्रदर्शन अरब गणराज्य मिस्र से आए डॉ० शौक़ी इब्राहिम अब्देल करीम के लिए कैनेडी ऑडिटोरियम में आयोजित कार्यक्रम “सभ्यताओं के मध्य वार्तालाप” के विरोध में था।

इस कार्यक्रम का आयोजन डॉ० शौक़ी के छः दिवसीय भारत दौरे के उपलक्ष्य में भारतीय संस्कृति संबंध परिषद्, विदेश मंत्रालय और भारत सरकार द्वारा विश्वविद्यालय के जनसंपर्क कार्यालय के साथ मिलकर आयोजित किया गया था। हालांकि विरोध के बावजूद कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच कार्यक्रम संपन्न हुआ।

विरोध कर रहे छात्र हाथों में तख़्तियां लिए हुए थे जिस पर लिखा था “UNWELCOMING The Grand Mufti, Who Enables Human Rights Violation” (हम मानव अधिकारों के उल्लंघन करने वाले ग्रैंड मुफ़्ती का स्वागत नहीं करते।) शोध छात्र और विरोध प्रदर्शन का हिस्सा रहे मुहम्मद ग़यासुद्दीन बताते हैं कि “शौक़ी इब्राहिम अरब के कोई महान् मुफ़्ती नहीं, बल्कि एक हत्यारे और मुस्लिमों का दमन करने वाले मुफ़्ती हैं।” वो आगे बताते हैं कि “हम उनके एएमयू कैंपस में आने का विरोध कर रहे हैं क्योंकि हमारा इतिहास रहा है कि हम हर दमन के ख़िलाफ़ खड़े होते हैं और हम यहां किसी हत्यारे और दमनकारी का स्वागत नहीं कर सकते।”

मिस्र के ग्रैंड मुफ़्ती के रूप में उनकी विवादास्पद भूमिका के कारण छात्र डॉ० शौक़ी के दौरे के ख़िलाफ़ थे। एमनेस्टी इंटरनेशनल की एक रिपोर्ट के अनुसार डॉ० शौक़ी ने मिस्र में कई मौत की सज़ाओं का समर्थन किया है, जिससे मिस्र में फांसी की सज़ा में तेज़ी से वृद्धि हुई है। फांसी की संख्या के मामले में 2020 में दुनिया में मिस्र की तीसरी सबसे ख़राब रैंकिंग है। इसके अतिरिक्त, डॉ० शौक़ी ने मिस्र के पूर्व राष्ट्रपति मुहम्मद मुर्सी को दी गई मौत की सज़ा का समर्थन किया था, जो मुस्लिम ब्रदरहुड से जुड़े थे, और जिनकी जून 2019 में हिरासत में रहते हुए मृत्यु हो गई थी। संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों ने उनकी मृत्यु को “राज्य द्वारा स्वीकृत हत्या बताया था”।

विरोध के बावजूद, कार्यक्रम स्थल पर बड़ी संख्या में छात्रों की मौजूदगी बनी रही। विश्वविद्यालय प्रशासन ने व्याख्यान में भाग लेने के लिए छात्रों और कर्मचारियों की बड़ी तादाद को बुलाया था। इसके अलावा कुछ छात्रों को कथित तौर पर भाग लेने के लिए मजबूर किया गया, या उन्हें परीक्षा में अनुत्तीर्ण करने का भय दिलाया गया था। कार्यक्रम में भाग लेने के लिए छात्राओं के लिए विशेष बसों की भी व्यवस्था की गई थी।

कार्यक्रम समाप्त होने के बाद, प्रदर्शनकारियों को विश्वविद्यालय के अधिकारियों द्वारा कड़ी सुरक्षा के तहत डॉ० शौक़ी के सुरक्षित निकलने को सुनिश्चित करने के लिए भंग कर दिया गया था। इस कार्यक्रम में कार्यवाहक कुलपति प्रोफ़ेसर मोहम्मद गुलरेज़ और विश्वविद्यालय के कर्मचारियों ने भाग लिया।

(अंग्रेज़ी से अनुवाद: एमडी स्वालेह अंसारी)

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