-अभिषेक गुप्ता
दुनिया में चौथे नंबर पर पहुंचने के बाद भी, बेशर्म सरकारों और उनके नौकरशाह लगातार अपनी मूर्खता और बेशर्मी का प्रमाण दिए जा रहे हैं!
अभी तक हमने (भारत ने) कुल आबादी का एक प्रतिशत टेस्ट नहीं किया है, शायद (जितने टेस्ट होने का दावा किया जा रहा है उसके हिसाब से एक अनुमान लगाया है मैंने हो सकता है यह पूरी तरह सटीक ना हो) 0.3 प्रतिशत के आस पास किया हो, क्योंकि आखरी बार पचास लाख टेस्ट होने की खबर देखने को मिली थी, पर उसके बाद कोई अपटेड नहीं मिला इसको लेकर!!
सरकारों और विश्व स्वास्थ्य संगठन के इस खेल को भी आपको समझने की जरूरत है, सब जगह आपको जो आंकड़े दिखाएं या बताए जा रहे हैं, वो कितने टोटल पॉजिटिव हैं, कितने ठीक हुए, कितने मर गए, और कितने बीते 24 घंटों में नए आए यही बता रहे हैं!! दुनिया भर में भी और देश में भी!
भारत बीते 24 घंटों में सबसे ज्यादा 10 हजार का आंकड़ा पार कर चुका है…! 24 घंटों में आने वाले यह अब तक के सबसे ज्यादा केस हैं।
लेकिन इन सब आंकड़ों के बीच कहीं कोई सरकार या विश्व स्वास्थ्य संगठन नहीं बता रहा, कि हर देश और पूरी दुनिया में यह आंकड़े कितने लोगों के टेस्ट हो जाने के बाद आए हैं!
टेस्ट कम और ज्यादा होने या नहीं होने का मतलब साफ और सीधा है, मौजूदा सरकारों की नीयत और व्यवस्था की पोल खुल जाना! जाहिर है, और टेस्ट कम करने का साफ मतलब है, सरकारें नहीं चाहती अधिक पॉजिटिव लोग दिखने लगें! जब टेस्ट नहीं तो नए संक्रमित भी नहीं…! टेस्ट कम संक्रमित भी कम!
दिल्ली सरकार और कई जगह से आधिकारिक डॉक्टर्स ने सामुदायिक संक्रमण होने की बात स्वीकार कर ली है, लेकिन केंद्र सरकार और राज्य सरकारें और उनके नौकरशाह अभी भी सच को छुपाने के हर संभव प्रयास में लगे हुए हैं! यह शतरमुर्ग के रेत में मुंह छिपा लेने जैसा है…इससे ज्यादा कुछ नहीं!! शिकारी तो शिकार करेगा ही!
एक आम आदमी के तौर पे मैं बेहतर आम लोगों की समस्याओं को बहुत सही तरीके से समझ सकता हूं, क्योंकि मैं खुद भी उसका शिकार हूं, आर्थिक विकास के नाम पर आर्थिक बर्बादी का मंजर दिखने लगा है, सरकारों के समर्थक और विज्ञापन पाने वाले अभिनेता और मीडिया घराने यह कभी ना बताएंगे, ना इसपर बात करेंगे!!
हालात सोच से भी बत्तर हो चुके हैं…! अब व्यापार या लॉक डाउन खोलना बिल्कुल वैसा है, या तो आप घर में आर्थिक तंगी के कारण मानसिक तनाव से मर जाएंगे या उससे निकलने के लिए बाहर निकल कर पैसा कमाने निकले तो संक्रमण के कारण मर जाएंगे, क्योंकि संक्रमित व्यक्ति भले संक्रमण से ना सही पर घटिया स्वास्थ्य व्यवस्था के कारण मरेगा ही!!
तो सरकारों ने मौजूदा समय में आम आदमी को आत्महत्या कर लेने की कगार पर लाकर छोड़ दिया है…! बस आपको यह चुनना है, कि आप घर में कैद रहकर आर्थिक तंगी और मानसिक तनाव के कारण आत्महत्या करेंगे, या बाहर निकल कर संक्रमण के कारण मरने के लिए चुनेंगे!!
लॉक डाउन खोलने के ऐलान के साथ ही, सरकारों ने एक और मानसिक तनाव देना शुरू कर दिया है, बिजली के बिल, बैंक के किस्तें आदि के लिए आपके ऊपर दबाव डाला जाने लगा है…! और वक़्त पे नहीं भरने पर इन सब पे एक्स्ट्रा चार्ज भी वसूला जाएगा…! जबकि आम आदमी की कमाई जो सालों से बुरी हालत में थी, बीते महीनों से जीरो हो गई है!
लेकिन इस सब के लिए सरकारों के पास ना तो कोई ठोस नीति है, ना दूर दूर तक कोई नीयत ही दिखती है…!
नहीं जानता सच में मेरा और मेरे जैसा लाखों करोड़ों का भविष्य क्या होने वाला है…! होगा भी या नहीं…! मैं निराशावादी बिल्कुल नहीं हूं, ना ही कुछ गलत करने जा रहा हूं, लेकिन हकीक़त से मुंह भी नहीं फेर सकता हूं!!