संसद में एनआरसी भारत मे सब चंगा सी !

इस सरकार ने असम चुनावो के दौरान एनआरसी का शिगूफा जब उछाला तो 1 करोड़ अवैध बांग्लादेश नागरिको के असम में होने के बात कही गयी थी लेकिन ओरिजनल लिस्ट में 19 लाख ही अवैध निकले और उसमें भी अधिंकाश भारतीय लोगो होने की बात सामने आ रही है।

0
777
कार्टून-क़ैसर नियाज़ी

 

असम में एनआरसी लागू करना एक गलत निर्णय था सरकार भले ही नही माने लेंकिन खुद बीजेपी के लोग मान चुके है।एनआरसी को लागू करने में बहुत लापरवाही हुई यह सबको पता है अब एनआरसी के संसद में आने के बाद सरकार एक और गलत निर्णय लेने जा रही है। मेरा हमेशा मानना रहा है कि कोई निर्णय अच्छा या बुरा नही होता है वो केवल सही या गलत होता है। जब राजनीतिक दल चुनावी नफे नुकसान लेकर नीतियां बनाते है तो इसका परिणाम पूरा देश चुकाता है लोग वोट भावनाओं में बहकर वोट देते है लेंकिन उसकी कीमत अपनी टैक्स की गाढ़ी कमाई से चुकाते है।

नोटबन्दी में पूरा कैश बैंक के पास आ गया सरकार ने जितने दावे किए थे वो सब धरे के धरे रह गए न काला धन मिला न जाली नोट का प्रचलन रुका और न ही करप्शन पर लगाम लग पाई। जितना काला धन मिलना था उस से ज्यादा खर्चा हो गया और देश आज मंदी की मार झेल रहा है जीडीपी 6 साल के निम्नतम स्तर पर है वियतनाम जैसे देश जंहा 300 गुना ग्रोथ कर रहे है हम मंदी के भवँर में फस गए है यह सब चुनावी गणित के दुष्परिणाम है।

इस सरकार ने असम चुनावो के दौरान एनआरसी का शिगूफा जब उछाला तो 1 करोड़ अवैध बांग्लादेश नागरिको के असम में होने के बात कही गयी थी लेकिन ओरिजनल लिस्ट में 19 लाख ही अवैध निकले और उसमें भी अधिंकाश भारतीय लोगो होने की बात सामने आ रही है। अब इस लिस्ट को कोई नही मान रहा है न बीजेपी न विपक्ष और असम की जनता तो सड़को पर आ गयी है और इस सब चक्कर टैक्स दाता के करोड़ो रूपये और बरबाद हो गए और नगदी का संकट और बढ़ गया मतलब मंदी मे आटा गिला।

नोटबन्दी के बाद एनआरसी एक ऐसा ही निर्णय साबित होगा जो शुरू में बहुत लुभावना लगेगा जो भी उसका विरोध करेगा उसे बहुत ही नियोजित तरीक़े से देशद्रोही साबित किया जाएगा। भारत का हर नागरिक चाहता था कि काला धन रुके इसलिए उसने सब कष्ट सहकर भी नोटबन्दी का समर्थन किया लेकिन नोटबन्दी पूरी तरह फैल हो गई। भारत का हर नागरिक चाहता है कि कोई घुसपैठिया इस देश में न रहे, सरकार निर्णय लेती है लेकिन उसके फैल होने की जिम्मेदारी तक नही लेती यह कैसा लोकतंत्र का मजाक बनाया जा रहा है इस सरकार में दूरदर्शिता का अभाव है जो सरकार शिक्षा, स्वास्थ और रोजगार जैसे मुद्दे छोड़कर भावनाओ और वोटबैंक के आधार पर नीतिया बनाये और अपने ही नागरिकों के प्रति जवाबदेह न हो उस सरकार पर कोई कैसे भरोसा करेगा।

नोटबन्दी के कारण बीजेपी यूपी का चुनाव जीतने में सफल हो गई। अब एनआरसी के जरिये दिल्ली और बंगाल पर निशाना साधा जा रहा है चुनाव जीतना अलग बात होती है सरकार चलाना अलग बात होती है। सरकारें कैसे काम करती है वो उनके निर्णय के तात्कालिक लाभ और चुनावी फायदे नुकसान से पता नही चलता है। जब उस निर्णय के दीर्घकालीन परिणाम का विश्लेषण किया जाता है तो पता चलता है कि वो कितनी एफिशिएंसी से काम कर रही थी। सरकार वो अच्छी होती है जो जनता के टैक्स के एक एक पैसे का इस्तेमाल बड़े सुनियोजित तरीके से करती है हर सरकार को इतिहास से सीखना चाहिए लेकिन यह सरकार गलतियों पर गलतियां करती जा रही है। वक्त गवाह है जो सरकारे इतिहास से नही सीखती है वो खुद इतिहास बन जाती है ईश्वर सरकार को सद्बुद्धि प्रदान करे…

अपूर्व भारद्वाज

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here