मंगलूर में CAA और NRC विरोधी प्रदर्शन पर पुलिस की बर्बरता!

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार प्रदर्शन 1:45 पर शुरू हुआ और एक घंटे तक शांतिपूर्ण रूप से चलता रहा. लगभग 3 बजे पुलिस ने शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पे लाठी चार्ज शुरू कर दिया जिसके बाद स्थिति हिंसक हो गई. फिर पुलिस ने एक के बाद एक रबर की गोलियां और फिर गोलीबारी शुरू कर दी. पुलिस ने गोलियां हवा में नहीं बल्कि सीधे प्रदर्शनकारियों पर चलाई. ये बात कई सारे विडियो आने के बाद साफ़ हो गई की पुलिस ने सीधे लोगों पे फायरिंग की थी.

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CAA कानून बनने के बाद से मंगलूर में, CAA और NRC के खिलाफ विभिन्न छात्र संगठनों और सामाजिक
कार्यकर्ताओं ने प्रोटेस्ट किए हैं. लेकिन 19 दिसम्बर को जो सामूहिक प्रदर्शन नागरिक समूहों ने बुलाया था उसे
पुलिस ने गोलीबारी, लाठी चार्ज और आंसू गैस के गोले दाग कर बरबर्ता से कुचला गया.
रिपोर्ट्स के अनुसार इलाके में धारा 144 लगाने से पहले, पुलिस कमिश्नर और पुलिस विभाग ने ऊँची रैंक के
ऑफिसर के मौजूद न होने का बहाना लगा कर अनुमति नहीं दी थी. धारा 144 लगाने के बावजूद कर्नाटक के
कई इलाकों जैसे बंगलोर और गुलबर्गा में लोगों ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन किए. लेकिन मंगलूर में पुलिस ने
लोकतान्त्रिक प्रदर्शन को कुचलने के लिए भारी मात्रा में पुलिस बल, लाठी चार्ज, और गोलीबारी का इस्तेमाल
किया.
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार प्रदर्शन 1:45 पर शुरू हुआ और एक घंटे तक शांतिपूर्ण रूप से चलता रहा. लगभग 3
बजे पुलिस ने शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पे लाठी चार्ज शुरू कर दिया जिसके बाद स्थिति हिंसक हो गई. फिर
पुलिस ने एक के बाद एक रबर की गोलियां और फिर गोलीबारी शुरू कर दी. पुलिस ने गोलियां हवा में नहीं
बल्कि सीधे प्रदर्शनकारियों पर चलाई. ये बात कई सारे विडियो आने के बाद साफ़ हो गई की पुलिस ने सीधे
लोगों पे फायरिंग की थी. एक विडियो में साफ़ नज़र आया की पुलिस के एक आला अधिकारी ने कन्नड़ भाषा में
कहा कि “इतनी गोली चलने के बाद भी क्यों कोई एक आदमी नहीं मरा?” इसी विडियो को देखने से साफ़
अनदाज़ा लगाया जा सकता है कि पुलिस सिर्फ प्रदर्शन को कुचलना नहीं चाहती थी बल्कि भारी बल का
इस्तेमाल कर हिंसा और आतंक फ़ैलाने का इरादा रखती थी. एक और विडियो में साफ़ दिखा कि पुलिस की
गोली एक प्रदशनकारी के सर पर लगी और वो गिर गया.
दो मृतकों के ज़ख़्म बताते है कि गोली सीधे सर पर मारी गई थी, एक के सर के पीछे और दुसरे की आँख पर.
मरने वाले दोनों लोगो की पहचान जलील कुर्दोली (49) और नौशीन बेन्ग्रे(23) के रूप में की गई. जिनमे से एक
वहां प्रदर्शन भी नहीं कर रहा था.
पुलिस की अधिकारिक सूचना के अनुसार 400 से 450 लोगो प्रदर्शन में थे जिन्होंने जानबूझकर हिंसा की और
पुलिस को टारगेट किया. जबकि इस छोटी भीड़ को आसानी से थोडा सा बल इस्तेमाल कर भगाया जा सकता
था. लेकिन पुलिस ने जानबूझकर नुकसान पहुँचाने के लिए गोलीबारी और आंसू गैस का इस्तेमाल कर बर्बरता
दिखाई.
प्रदर्शनकारियों और वहां मोजूद लोगों में 50 लोग ज़ख़्मी हुवे जिन्हें करीब के हॉस्पिटल में इलाज के लिए ले
जाया गया. अपने नियमों के खिलाफ पुलिस ने हॉस्पिटल की पार्किंग, लॉबी और ICU के गेट पर भी आंसू गैस के
गोले दागे.
एक स्थानीय मीडिया Dajji World के अनुसार पुलिस ने ज़ख्मियों को ले जाने वाले लोगों और उनके सम्बन्धियों
पर लाठी चार्ज किया. डॉक्टर्स के अनुसार पुलिस एक घंटे तक हॉस्पिटल में रहें वहीँ कुछ चश्मदीदों का बयान है
कि पुलिस ने इब्राहीम खलील मस्जिद में भी आंसू गैस के गोले दागे.

पुलिस ने एशिया नेट, मीडिया वन और मातृभूमि के चार पत्रकारों को भी डिटेन किया. वहीँ 100 लोगों को भी
डिटेन किया गया. इलाके में कर्फ्यू लगा दिया गया है और इन्टरनेट सुविधा बंद की जा चुकी है. स्थानीय लोगों
ने बताया कि पिछले कई सालों में गंभीर स्थिति में भी पुलिस ने कभी गोलीबारी नहीं की. कमिश्नर हर्षा ने ये
गोलीबारी करवाई.
पुलिस कमिश्नर और दक्षिण कन्नड़ जिला के जिला कमिश्नर को सस्पेंड करने की मांग की गई है. और साथ में
पुलिस की इस बलपूर्वक, बर्बरता और अनुचित कार्यवाही के खिलाफ एक न्यायिक जांच समिति बनाने की मांग
भी की गई है.

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