हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा साझा की गई जानकारी के अनुसार वर्ष 2016 से 2019 के बीच देश में ग़ैरक़ानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत कुल 5,922 लोगों को गिरफ़्तार किया गया, जिनमें दोषी साबित हुए लोगों की संख्या सिर्फ़ 132 है।
संसद के उच्च सदन राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जी. किशन रेड्डी ने बताया कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के नए आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2019 में यूएपीए के तहत गिरफ़्तार किए गए लोगों की कुल संख्या 1,948 है।
इससे पहले सरकार ने संसद में जानकारी दी थी कि साल 2016, 2017 और 2018 के दौरान यूएपीए के तहत क्रमशः कुल 922, 901 और 1182 मामले दर्ज किए गए थे, जिनमें से साल 2016 में सिर्फ़ 232 मामलों में, 2017 में 272 और 2018 में 317 मामलों में चार्जशीट की गई यानी कुल 3,005 मामलों में से सिर्फ़ 821 मामलों की ही चार्जशीट कोर्ट में दायर की गई थी।
राज्यसभा में सरकार से यह भी पूछा गया कि यूएपीए के तहत गिरफ़्तार किए गए लोगों में से अल्पसंख्यक, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग समुदाय के कितने व्यक्ति हैं? जिसके जवाब में कहा गया कि एनसीआरबी धर्म, नस्ल, जाति, और जेंडर के आधार पर आंकड़े नहीं रखता।
राजद्रोह और रासुका के मामले
सदन में यह जानकारी भी दी गई कि वर्ष 2019 में देश में राजद्रोह के कुल 93 मामले दर्ज किए गए और 96 लोगों की गिरफ़्तारी हुई, जिनमें से 76 मामलों में चार्जशीट दायर की गई और 29 लोगों को बरी किया गया।
पिछले वर्ष राज्यसभा में केंद्र सरकार की ओर से यह भी बताया गया था कि वर्ष 2016 से लेकर 2018 के बीच कुल 1198 लोगों को राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून (एनएसए) के तहत हिरासत में लिया गया था, जिनमें मध्य प्रदेश में सबसे ज़्यादा 795 लोग गिरफ़्तार हुए। इन 1198 लोगों में से क़रीब 563 पिछले वर्ष दी गई जानकारी के समय तक जेल में बंद थे।
क्या है यूएपीए?
ग़ैर क़ानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) साल 1967 में लाया गया था। लेकिन वर्ष 2019 में इस क़ानून में संशोधन हुआ, जिसके बाद अब इसके तहत संस्थाओं ही नहीं व्यक्तियों को भी आतंकवादी घोषित किया जा सकता है। इस संशोधन से पहले सिर्फ़ संगठनों को ही आतंकवादी संगठन घोषित किया जा सकता था। ख़ास बात यह है कि इसके लिए उस व्यक्ति का किसी आतंकी संगठन से संबंध दिखाना भी ज़रूरी नहीं है। महज़ किसी पर शक होने से ही उसे आतंकवादी घोषित किया जा सकता है।
यूएपीए के तहत भीमा कोरेगाँव केस में अब तक 16 लोगों की गिरफ़्तारी हो चुकी है। इसके अलावा नागरिकता (संशोधन) अधिनियम विरोधी आंदोलन के बाद बड़ी संख्या में छात्रों और युवाओं की यूएपीए के तहत गिरफ़्तारियां हुईं जिनमें जेएनयू के छात्र शरजील इमाम, जामिया के छात्र आसिफ़ इक़बाल और मीरान हैदर सहित आखिल गोगोई, देवांगना कालिता, नताशा नरवाल, गुलफ़िशा फ़ातिमा, उमर ख़ालिद, इशरत जहां और ख़ालिद सैफ़ी आदि शामिल हैं। यूएपीए के तहत सिद्दीक़ कप्पन जैसे पत्रकारों को भी गिरफ़्तार किया गया है।