क्यों हर बार कुछ दिनों, हफ़्तों और महीनों बाद हमे बलात्कार की घटना सुनने को मिल जाती है?
क्यों हर बार एक स्त्री को इसका शिकार बनना पड़ता है?
क्या ये सिलसिला यूँही चलता रहेगा ?
क्या हम इन घटनाओं को सुनने के आदी हो चुके है?
या फिर हमें फ़र्क़ ही नही पड़ने लगा इन दरिंदगी की हदो को पार कर देने वाली घटनाओं से ?
क्या दिमाग़ सोचना बंद नही करता?
क्या एक ठिठरन नही होती शरीर मे,जब ऐसी दिल दहला देने वाली घटनाओं को सुना जाता है?
अफसोस कि इन दिल दहलाने वाली घटनाओं में भी धर्म को क्यो बीच मे लाया जाने लगा ?
अभी नही इससे पहले भी ऐसी सैकड़ो घटनाएं हो चुकी। किन-किन नन्ही बच्चियों और महिलाओं के नाम मैं हमेशा गिनाती रहूँ?
डॉ प्रियंका के साथ जो किया गया उसे कोई इंसान तो बिल्कुल नही कर पाता ये हैवानियत की हदो को पार कर देने वाली घटना थी।
लेकिन क्या हम हमेशा नारेबाजी करते रहेंगे?
या फिर कैंडल मार्च ?
या सरकारी वादों की बहार आ जाएगी की मुजरिमो को सज़ा देगे,लेकिन क्या हर बार समय के साथ हमने इन घटनाओं को भुला नही दिया था ?
इन औपचारिकताओ का आखिर अंत कब होगा?
कितने बलात्कारियो को जनता के सामने सज़ा दी गयी ?
क्या प्रशासन सज़ा दे पाया उनको जिस हद्द तक उन्होंने दरिंदगी की थी?
क्या हम कभी इस बात से बेफ़िक्र हो सकेगे की हमारे साथ या हमारी किसी बहन के साथ कभी ऐसी घटना नही हो सकेगी?
क्या प्रशासन इतने कठोर नियम बनाएगा इन घटनाओं को रोकने के लिए? क्या इन बलात्कारियो को ऐसी सज़ा कभी मिल पाएगी जिससे हर वो गन्दा इंसान जो कहि न कहि हमारे ही समाज मे पनप रहा है वो भय से कांप जाए और कभी ऐसी हरकतों की ना सोचे ?
असल मे सिर्फ औपचारिकताएं कुछ नही कर सकती इन दरिंदो पर रोक लगाना होगा इन हरकतों पर रोक लगाना होगा…..
कुछ साल पहले एक घटना के बाद सामने आया की राजस्थान प्रदेश मे पिछले 11 माह मे 865 थानो मे 3317 दुष्कर्म के मामले दर्ज हुए इनमे से 1233 मे FIR लगाई गयी लेकिन करीब 750 मामले बन्द कर दिए गए,,
दुष्कर्म के ज़्यादातर मामलो मे मोटी रकम लेकर पीड़िता और अपराधियो के बीच पुलिस कर्मियो द्वारा सुलह कराई गयी..
क्या यही कर्तव्य है प्रशासन का?
और क्या हम खुद भी सोए हुए नही है ? जो इन घटनाओ पर अफसोस जताने के सिवा कुछ नही करते।
–Khan Shaheen (प्रदेशाध्यक्ष, GIO राजस्थान)