आज हिंदी दिवस है मुझे नहीं पता कि दुनियाँ में किसी भाषा का ऐसे दिवस होता हो!भाषा किसी भी समाज की सांस्कृतिक पहचान होती है!उस समाज के संवाद का माध्यम होती है!कहा जाता है कि हिंदी प्रेम की भाषा है लेकिन अब हमारी भावनाएँ किसी और भाषा में निकलने लगी हैं!हालाँकि में किसी भाषा का महिमामंडन अब राजनैतिक महत्वकांक्षाओं के लिए होने लगा है!मराठी हिंदी भाषियों को एक आँख नहीं भाते तमिल और तेलगु का भाषायी विवाद भौगोलिक स्तर पर लोगों को बांट गया!भारत में भाषायी विविधता इतनी है कि यहाँ लगभग 880 भाषाएँ बोली जाती हैं!जिनमें से 21 भाषाओं को संवैधानिक दर्जा प्राप्त है!भारत की कोई राष्ट्र भाषा नहीं है अपितु राजभाषा के रूप में हिंदी को मान्यता दी गयी है अर्थात सरकारी काम काज की भाषा हिंदी होगी!लेकिन व्यहारिक रूप से ऐसा सही नहीं है!हम भारतीय हर बाहरी चीज़ से शीघ्र प्रभावित हो जाते हैं!तो अंग्रेज़ी से भी हुए!अंग्रेज़ी हमारी भाषायी चेतना को निगल गयी!और हम अंग्रेज़ी को कम्बल की तरह ओढ़ कर अवचेतन में!हर कोई अंग्रेज़ी की तरफ़ दौड़ रहा है इंग्लिश स्कूल,इंग्लिश स्पीकिंग क्लासेज,सब हमें सुबह शाम अंग्रेज़ी पिलाते रहते हैं!लगता है हिंदी निर्धनों की भाषा हो गयी है!”एक्सक्यूज़ मि” की जगह “माफ़ करना” बोलना आपके चरित्र को गिरा सकता है!त्रासदी ये हुई कि बरसों से हमने हिंदी में ज्ञान सृजन का कार्य बंद कर दिया!किसी भी क्षेत्र में हिंदी की कोई अच्छी पुस्तक नहीं मिलती!ये अन्याय हमने स्वंय ने किया है!