देश में बढ़ती प्रतिस्पर्धा और बेरोजगारी का दंश झेल रहे लाखों शिक्षित युवाओं का सपना है- सरकारी नौकरी! इसके लिए वे अनवरत संघर्ष करते हैं और इस संघर्ष के दिनों में उन्हें कई समस्याओं से जुझना पड़ता है!दिल्ली का मुखर्जी नगर हो या पटना का अशोक राजपथ,प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रहे हजारों अभ्यर्थी यहाँ अपने सपने बुनने के लिए मशक्कत करता नजर आ जाएगा!
सत्ता में बैठे लोगों की दुनिया इससे बिल्कुल ही अलग होती है, उन्हें उन लाखों बेरोजगार युवाओं के दर्द से भला क्या सरोकार?
बेरोजगार होने का दर्द तो वो युवा ही समझ सकता है जिनके कोचिंग की फीस, हॉस्टल का खर्चा, फार्म भरने की फीस, परीक्षा केंद्र तक पहूंचने का भाड़ा और उसपर भी घर से मिलने वाली खर्चे की रकम समय पर न मिल सके तो दोस्तों से ली गई उधारी! इन सबके बीच परिवार और समाज की अपेक्षा कि कब तक नौकरी मिल जाएगी? मानो सरकारी नौकरी किसी किराने की दुकान में मिल रही हो!
सरकार बदल जाने से सत्ता का चरित्र नहीं बदल जाता! उनकी मानसिकता नहीं बदल जाती,उनकी प्राथमिकता नहीं बदल जाती! सरकार बदलने से युवाओं में भले ही नई आशा का संचार हो जाता हो पर उन्हें क्या पता कि वह आशा पानी के बुलबुले से कम नहीं!
बिहार ही नहीं पूरे देश में बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी ने हर किसी को बदहाल कर दिया है! ऐसे में शिक्षित बेरोजगार युवा पीढ़ी के सामने सरकार से अपनी मांग रखने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता!
बीते कुछ दिनों पटना में अपनी जायज मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों पर जहाँ पुलिस ने जमकर लाठियाँ भांजी वहीं प्रदर्शन कर रहे एक अभ्यर्थी को प्रशासन के एक अधिकारी ने क्रुरता से पीटा जिससेे कि उनकी हालत आज भी खराब है! हालांकि सरकार ने मामले पर संज्ञान लिया है!
शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण अभ्यर्थियों की मांग है कि शीघ्र ही उनकी बहाली ली जाए! जाहिर सी बात है कि उन्होंने उन सारी अहर्ताओं को पूरा कर लिया है जो बिहार में एक शिक्षक बनने के लिए होने चाहिए तो फिर सरकार की विवशता क्या है?
गौरतलब है कि बिहार के सरकारी विद्यालयों में शिक्षकों की भारी कमी है और इससे शिक्षा व्यवस्था पर प्रतिकूल असर पड़ता है! बिहार में महागठबंधन की नई सरकार से उन अभ्यर्थियों की आकांक्षाएँ इसलिए भी है कि विधानसभा चुनाव के समय महागठबंधन ने अपने घोषणा पत्र में रोजगार और शिक्षकों के समान काम समान वेतन जैसे मुद्दे को प्रमुखता से शामिल किया था!
अभी यह मामला शांत भी नहीं हुआ था कि आज बी०पी०एस०सी० अभ्यर्थियों पर लाठीचार्ज की खबरें आ रही हैं!खबर है कि प्रदर्शनकारी अभ्यर्थियों में कुछ घायल भी हुए हैं!
छात्रों की मांग है कि बीपीएससी परीक्षा को दो शिफ्ट में लेकर परसेंटाइल के आधार पर रिजल्ट बनाने का निर्णय रद्द किया जाए। इससे परीक्षा में और भी अधिक धांधली व अपारदर्शिता की गुंजाइश होगी।
अभ्यर्थियों की आवाज को सत्ता की हनक से दबा देना दुर्भाग्यपूर्ण है! जेपी के छात्र आंदोलन से प्रेरित सत्ता में बैठी राज्य की सरकार आखिरकार छात्रों और बेरोजगार युवाओं के दर्द को क्यों नहीं महसुस करती है? कठिन और लम्बे संघर्ष के बावजूद भी बहुत से अभ्यर्थी सरकारी नौकरी पाने में असफल हो जाते हैं, इसमें उनकी काबिलियत का दोष कम, व्यवस्था की अनियमितता ज्यादा होती है! समय पर भर्तियाँ निकाली जाएं , ससमय परीक्षाएँ हों, पेपर लीक का आरोप लगे बिना ससमय रिजल्ट जारी हों और शीघ्र ही नियुक्ति प्रक्रियाओं को पूरा कर लिया जाए तो फिर युवाओं के चेहरे पर खुशी की चमक साफ दिखाई देगी! काश! हमारी सरकारें उन बेरोजगार युवाओं के दर्द को समझ पातीं!
✍️मंजर आलम