गब्बर की वापसी पर इतना सन्नाटा क्यों है भाई ?

अच्छा? तो सांभा ने क्या जवाब दिया? उन्होंने कहा कि 55 हैं सरकार। सरदार ने कहा कि वह 55 था और तुम 105 ? फिर भी सरकार नहीं बना पाए? सांभा ने कहा क्या करूं! सरदार उन लोगों तो ने सीधे सीधे मेरे पद पर ही दावा कर दिया है। गब्बर हंस कर बोला ‘‘एक कुर्सी और दो दावेदार बहुत नाइन्साफी है।’’ हां, सरदार बहुत नाइन्साफी है, उनका दिन और रात एक ही राग है ‘‘ये कुर्सी मुझे दे ठाकुर!’’

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डॉ सलीम खान ✒️….

लल्लन गोडबोले से, कल्लन पोटदुखे ने कहा, तुझे याद है कि शेले में गब्बर ने क्या कहा था?
लल्लन बोला अरे भाई गब्बर का तो हर डायलॉग हिट था तू किसकी बात कर रहा है?
मैं उस प्रसिद्ध संवाद के बारे में बात कर रहा हूं। ‘‘यहां से पचास-पचास कोस दूर गांव में, जब बच्चा रात में रोता है, तो मां कहती है, बेटा सो जा….
‘‘नहीं, तो गब्बर सिंह आ जाएगा,’’ लल्लन बीच में बोल पड़ा।
हां मैं उसी के बारे में बात कर रहा था। हमारी पीढ़ी का कोई भी आदमी उसे नहीं भूल सकता।
मैं समझता हूं लेकिन तुझे अचानक कैसे याद आई ं?
वास्तव में, तुम लोग कहते थे कि जब शिवसैनिक महाराष्ट्र के किसी कोने में रोता है, तो प्रमुख कहता है कि सो जा नहीं तो सरदार आ जाएगा।
हाँ, कोई शक नहीं। भारत में, कौन माई का लाल है, जो हमारे गब्बर से नहीं डरता?
हां, यह ठीक है, लेकिन लोग इससे क्यों डरते हैं?
तुमने ठाकुर चिदंबरम का अंत नहीं देखा। अंग्रेजों के समय के जेलर ने उन्हें चक्की पीसने के लिए मजबूर कर दिया।
यह ठीक है, लेकिन तुम्हारे गब्बर ने आखिरकार अपना मुंबई दौरा रद्द क्यों किया?
अरे भाई मैं अपने सांभा के साथ बैठा था, मतलब देवा के साथ जब गब्बर का फोन आया और गलती से फोन स्पीकर पर था।
ऊह तो स्पीकर को बंद करने में क्या लगता है? वह दो सेकंड का काम है।
हां, लेकिन जब कोई व्यक्ति डर जाता है, तो उसे दो सेकंड भी दो साल लगता है।
ठीक है बताओ फोन पर क्या हुआ?
हुआ यह कि सामने से एक आवाज आई, ‘‘अरे, ओ सांभ कितने आदमी हैं?’’
अच्छा? तो सांभा ने क्या जवाब दिया?
उन्होंने कहा कि 55 हैं सरकार।
सरदार ने कहा कि वह 55 था और तुम 105 ? फिर भी सरकार नहीं बना पाए?
सांभा ने कहा क्या करूं! सरदार उन लोगों तो ने सीधे सीधे मेरे पद पर ही दावा कर दिया है।
गब्बर हंस कर बोला ‘‘एक कुर्सी और दो दावेदार बहुत नाइन्साफी है।’’
हां, सरदार बहुत नाइन्साफी है, उनका दिन और रात एक ही राग है ‘‘ये कुर्सी मुझे दे ठाकुर!’’
सरदार हँसा और बोला, ‘‘अच्छा, तुमने कैसे उत्तर दिया?’’
मैंने कहा यह कुर्सी नही फांसी का फंदा है। मैं इसे कैसे छोड़ सकता हूं?
वैसे अगर वे फांसी की मांग कर रहे हैं तो दे दो। तुम तो पांच साल विलासिता कर ही चुके हो।
यह क्या बात हुई सरदार! अगर वह ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री बन जाए और बाद में मायावती की तरह कुर्सी नहीं छोड़ता है तो….. देव का गला सूख गया था
हाँ, पता है – तो तेरा क्या होगा देवा?
सरकार! मैंने आपका नमक खाया है।
तो चल अब गोली खा और गोल हो जा।
क्या मतलब, मैं नहीं समझा, सरदार?
यानी, अपना बोरिया बिस्तर लपेट कर गुल होजा, क्या समझा? यह न्यूनतम सजा है?
कल्लन ने लल्लत को बीच में ही पूछ लिया। अच्छा फिर तुम्हारे सांभा ने क्या किया?
वह बेचारा क्या करेगा? उसने दिल्ली जाने के लिए टिकट ले लिया।
ओह, यह तो उलटी गंगा बह गई। पहले तुम्हारा गब्बर सिंह मुंबई आ रहा था और अब उसने स्वयं देव को ही बुलाया है? ऐसा क्यों हुआ?
सरदार ने फोन पर यह नहीं बताया, और कौन कह सकता था, ‘‘आ बैल मुझे मार’’?
अरे कमाल करते हो? तुमने अपने अध्यक्ष को बैल कह दिया। यह पूरी तरह से अपमानजनक है।
इसमें कौन सा अपमान? तुम लोग क्या अपने प्रमुख को शेर नहीं कहते ?

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