COVID-19! डेटॉल या किसी एंटीसेप्टिक लिक्विड से कच्चे खाद्य भोजन धोया जा सकता है?

याद रखें: सतह पर मौजूद कोरोना-विषाणु कुछ ही दिनों में मर जाते हैं, महीनों तक सक्रिय नहीं रह सकते। अगर पुनर्चक्रित (रीयूज़ेबल) थैलों का इस्तेमाल करते हैं, तब उन्हें भी धोया जा सकता है। अगर वे नहीं धोये जा सकते, तब उन्हें धूप में देर तक छोड़ा जा सकता है..

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जब दिनेश ने मुझे बताया कि इस समय कोविड 19-पैंडेमिक के दौरान वह अपने घर में आने वाली सब्ज़ियों-फलों को डेटॉल और सोडियम हायपोक्लोराइट से धो रहा है, तब मुझे आश्चर्य से अधिक दुःख हुआ। इस तरह अनियन्त्रित ढंग से भयभीत होकर हम इस महामारी का मुक़ाबला भला कैसे करेंगे?

वर्तमान कोविड-19 पैंडेमिक के दौरान अब-तक यह बात वैज्ञानिक बताते रहे हैं कि सार्स-सीओवी विषाणु भोजन ने नहीं फैलता। यह विषाणु खाँसने-छींकने-थूकने-बोलने से निकलने वाली नन्ही बूँदों से सीधे एक-व्यक्ति-से-दूसरे में फैलता है (और अगर ये बूँदे वस्तुओं पर जा बैठें, तब उन संक्रमित वस्तुओं को छूने से भी फैल सकता है)। ऐसे में लोग यह जानना चाहते हैं कि दुकानों-स्टोरों से राशन व अन्य सामान लाते समय वे किस तरह तय करें कि इनके ऊपर विषाणु मौजूद नहीं हैं और वे इनका सुरक्षित इस्तेमाल कर सकते हैं?

बाज़ार के अनेक स्टोर ग्राहकों व अपनी सुरक्षा के लिए सामाजिक दूरी बनाये रखने की कोशिश कर रहे हैं। सामान बेचते समय उन्होंने दुकान के बाहर गोले बना रखे हैं, वे ग्राहकों व अपने बीच पर्याप्त अन्तर बनाकर बिक्री कर रहे हैं। दुकानों के भीतर कम-से-कम लोग दाखिल हों, इसकी भी कोशिश की जा रही है। अपने स्टोरों-दुकानों के सामानों को भी वे डिसइंफेक्टेड यानी असंक्रमित बनाने में लगे हैं।

ग्राहकों को भी कुछ सावधानियाँ सामान की खरीद के समय रखनी है। उन्हें बाज़ार तभी जाना है, जब यह वाक़ई बहुत ही ज़रूरी हो। एक बार बाज़ार जाने के बाद कुछ दिनों या हफ्तों न जाना पड़े, इसका यथासम्भव प्रयास करना है। एक ही दुकान या न्यूनतम दुकानों से सामान ख़रीदने की कोशिश करनी है। पीक आवर में जब दुकानों में भीड़ अधिक होती है, वहाँ जाने से बचना है। पूरी परिवार को लेकर दुकानों में नहीं जाना है। अगर सामान की होम-डिलेवरी हो सकती है, तब इस विकल्प को चुनना बेहतर माना जा सकता है।

साथ ही अगर किसी व्यक्ति में फ़्लू के लक्षण मौजूद हैं, तब उसे बाज़ार जाने से परहेज़ करना बेहद ज़रूरी है। स्टोर पर यदि साबुन-पानी अथवा सैनिटाइज़र की व्यवस्था है, तब पहले हाथों को अच्छी तरह साफ़ करना है। यह काम शॉपिंग के बाद अन्त में भी किया जा सकता है। मास्क या कपड़े से मुँह को ढँक कर ही दुकानों में सामान देखना या ख़रीदना है। केवल उसी सामान को छूना है, जिसे लेने का मन बना चुके हैं। अनावश्यक सामानों को छूने से बचना है। अपना चेहरा तो ख़रीद का दौरान बिलकुल भी नहीं छूना है। दुकान अथवा स्टोर के भीतर सोशल डिस्टेंसिंग बनाकर रखनी है।

ग्लव्स पहनें कि न पहनें? अगर पहनेंगे तब ग्लव्स से आप हाथों को चाहे बचा लें, लेकिन जहाँ-जहाँ अपने ग्लव्स-युक्त हाथों से छुएँगे, संक्रमण के पहुँचने की आशंका रहेगी। इसलिए अगर दुकान ग्लव्स पहुंचकर गये हैं और सामान छुआ है, तब गाड़ी चलाने से पहले ग्लव्स उतार दें। अगर पैदल सामान लेकर जा रहे हैं, तब घर पहुँच कर इन्हें उतारें। घर पहुँचकर हाथ तो अच्छी तरह धोने ही हैं। फलों-सब्ज़ियों को भी अच्छी तरह नल के बहते पानी से रगड़ कर धोना है। किसी भी हालत में रसायनों से फल-सब्ज़ी धोना नादानी है और इस तरह से धोये गये फलों-सब्ज़ियों को खाने से तबियत बिगड़ सकती है। बर्तन माँजने के साबुन, डेटॉल, ब्लीच इत्यादि खाद्य-पदार्थों की सफ़ाई के लिए कदापि नहीं होते।

खाना घर के बाहर भी देर तक नहीं छोड़ा जा सकता। पता नहीं कौन सी वस्तु कितनी देर में ख़राब हो जाए: गरमी का मौसम है। जो वस्तुएँ नल के साफ़ पानी से धोयी जा सकती हैं, उनमें दवाओं की स्ट्रिपें, ट्यूबें व बोतलें भी शामिल हैं क्योंकि ये एयरटाइट ढंग से बन्द होती हैं। अनेक दवाओं को धूप में रखने पर वे ख़राब हो सकती हैं, ऐसे में इन्हें बाहर से एल्कोहॉल से भी साफ़ कर सकते हैं। याद रखें: सतह पर मौजूद कोरोना-विषाणु कुछ ही दिनों में मर जाते हैं, महीनों तक सक्रिय नहीं रह सकते। अगर पुनर्चक्रित (रीयूज़ेबल) थैलों का इस्तेमाल करते हैं, तब उन्हें भी धोया जा सकता है। अगर वे नहीं धोये जा सकते, तब उन्हें धूप में देर तक छोड़ा जा सकता है।

कोरोना-विषाणु अगर खाद्य-सामग्रियों पर न भी होता, तब भी इनकी सफ़ाई सामान्य दिनों में भी ज़रूरी होती। खाने-पीने के लिए लाये गये फल-सब्ज़ी बिना धोये तो खाये नहीं जा सकते थे! स्वच्छ्ता हमें कोरोना-विषाणु-भर के लिए नहीं करनी है, स्वच्छता करने से तो अन्य ढेरों कीटाणुओं से भी हम अपनी सुरक्षा कर सकते हैं। महामारी आज है, कल नहीं रहेगी; पर स्वच्छता के संस्कार हमारी आदत में शामिल हो गये तो दीर्घकालिक लाभ पहुँचाएँगे।

( अन्त में हर वस्तु के मामले में निर्णय व्यक्तिगत समझदारी से लेना है। न पता होने पर किसी समझदार से पूछ लेना है। सबका रहन-सहन भिन्न है, वस्तुएँ तो ख़ैर अलग-अलग हैं ही।)

डेटॉल या किसी एंटीसेप्टिक लिक्विड से कच्चे खाद्य भोजन धोया जा सकता है? सुनिए कहानी क्लोरज़ायलिनॉल व एंटीसेप्टिक-प्रयोग की।

डेटॉल पर लोगों की व्यापक श्रद्धा रहती रही है। भारत में ही नहीं, दुनिया के अनेक देशों में। चोट लगे, डेटॉल लगा दो। धूल-मिट्टी में कीटाणु होते हैं, सबको मारने के लिए डेटॉल-साबुन से नहा लो। डेटॉलीय स्वच्छता से बेहतर अन्य कोई स्वच्छता नहीं! डेटॉल ही है, जो कीटाणुओं का काल है: जिसके पास डेटॉल नहीं, वह बेहाल है!

मैं अन्ध-डेटॉल-विरोधी नहीं हूँ। लेकिन डेटॉल या किसी अन्य एंटीसेप्टिक को स्वच्छता की मास्टर-की भी नहीं समझता। एंटीसेप्टिक दुष्प्रयोग के लिए नहीं होते। एंटीसेप्टिक का अत्यधिक प्रयोग उसका सबसे सामान्य दुष्प्रयोग होता है। ऐसे में ऐसा लगना कि डेटॉल हर कीटाणु को मार गिराएगा और हर संक्रमण को हर स्थान से रोकने के लिए हम डेटॉल लगा लेंगे, पूरी तरह से असन्तुलित धारणा है। डेटॉल का सबसे बेहतर पारम्परिक प्रभाव ग्राम-पॉज़िटिव जीवाणुओं पर अधिक पाया गया है। (अन्य जीवाणुओं व विषाणुओं के सन्दर्भ में इसकी उपयोगिता कम है।) यही कारण है कि त्वचा के चोटों-घावों इत्यादि पर इसका इस्तेमाल होता रहा है: यहाँ होने वाले संक्रमण ज़्यादातर ग्राम-पॉज़िटिव जीवाणुओं से ही होते हैं।

डेटॉल में एक ख़ास एंटीसेप्टिक क्लोरज़ायलिनॉल है। एंटीसेप्टिक जीवित सतहों पर कीटाणुओं को मारने के लिए इस्तेमाल किये जाते हैं। इन्हें खाया नहीं जाता, ये सेवन के लिए नहीं होते। इन्हें उन सतहों पर अमूमन लगाया जाता है, जिनसे मुँह का सम्पर्क न्यूनतम हो। (कुछ एंटीसेप्टिक हालांकि मुँह और गले के लिए भी इस्तेमाल होते हैं, पर यहाँ भी पेट में ये कम-से-कम पहुँचें, इस पर ज़ोर रहता है।) एंटीसेप्टिक एंटीबायटिक नहीं होते, ये डिसइन्फेक्टेंट भी नहीं होते। जहाँ एंटीसेप्टिक सतहों पर प्रयोग में लाये जाते हैं, वहाँ एंटीबायटिक शरीर के भीतर जीवाणुओं को मारने के लिए पहुँचाये जा सकते हैं। डिसइन्फेक्टेंट का काम निर्जीव सतहों पर पोछे या सफ़ाई के लिए होता है। तीनों एंटीसेप्टिक-एंटीबायटिक-डिसइन्फेक्टेंट जीवाणुओं को मार भी सकते हैं और उनकी वृद्धि को बिना मारे रोक भी सकते हैं।

डेटॉल अथवा किसी भी एंटीसेप्टिक या सैनिटाइज़र पर निर्भर व्यक्ति हाथ धोने के तरीक़े पर अमूमन ध्यान नहीं देता। वह जल्दी में रहता है और सोचता है कि उसकी जल्दबाज़ी की भरपाई वह रसायन कर देगा, जिससे वह हाथ धो रहा है। यही सोच स्वच्छता के मार्ग में सबसे बड़ी रुकावट साबित होती है। स्वच्छता रसायन से अधिक विधि-युक्ति-ढंग में है: सैनिटाइज़र, एंटीसेप्टिक, डिसइन्फेक्टेंट ग़लत या अधूरे प्रयोग के समय लोगों की ढंग से रक्षा नहीं कर सकेंगे।

आजकल कोविड-19 के समय अतिसावधान किन्तु अज्ञानमय लोग डेटॉल व अन्य एन्टीसेप्टिकों से भोजन धो रहे हैं। ज्ञात रहे कि पूर्व में भी इन रसायनों से सेवन से लोग बीमार पड़े हैं और कई बार गम्भीर स्थितियाँ भी पैदा हो गयी हैं। कोविड-19 से संघर्ष में अपने-आप को रसायनों के अविवेकी प्रयोग से बचाये रखिए। जानिए कि डेटॉल कहाँ इस्तेमाल होता है और ब्लीच कहाँ। शत्रु से युद्ध करते समय अपने हाथ-पैर सुरक्षित रखे जाते हैं, उन्हें नष्ट नहीं किया जाता।

Dr. Skund Shukla

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