न्याय, रोज़गार और विकास के वादों के बीच मुस्लिम मुद्दों पर ख़ामोश है कांग्रेस का चुनावी घोषणा-पत्र

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– मुहम्मद स्वालेह अंसारी

5 अप्रैल 2024 को कांग्रेस पार्टी की ओर से दिल्ली स्थित मुख्यालय पर 2024 लोकसभा चुनावों के लिए घोषणा-पत्र जारी किया गया।

2019 के चुनावों में कांग्रेस पार्टी को मिली हार के बाद पार्टी आत्म-मंथन के दौर से गुज़रते हुए अब आगामी लोकसभा चुनावों के माध्यम से एक बार फिर से सत्ता में आने की राह देख रही है। वर्तमान सत्ताधीश पार्टी भारतीय जनता पार्टी और उनके नेता जगह-जगह जनता के बीच जाकर 370 पार का नारा लगा रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी आत्मविश्वास के साथ जनता के बीच जा रही है और जनता को अपने किए कार्यों, धार्मिक मुद्दों और मोदी की गारंटी, ख़ास तौर पर कश्मीर से धारा 370 का हटाना, राम मंदिर का निर्माण, अग्नि पथ योजना, नई शिक्षा नीति जैसे कार्यों का बखान कर रही है।

ऐसे में कांग्रेस, जो एक दशक से सत्ता से बाहर है, पंच न्याय (हिस्सेदारी न्याय, किसान न्याय, नारी न्याय, श्रमिक न्याय, युवा न्याय) समेत कई तरह के न्याय दिलाने की गारंटी के साथ जनता के बीच से होकर सरकार बनाने के रास्ता तलाश रही है।
क्या है कांग्रेस का न्याय?

कांग्रेस पार्टी 2019 के लोकसभा चुनावों में आर्थिक न्याय योजना के साथ जनता के बीच आई थी और जनता का विश्वास जीतना चाहती थी लेकिन उस आर्थिक न्याय योजना का कुछ ख़ास असर जनता में नहीं दिखा जबकि बुद्धजीवी लोगों के बीच यह विचार-विमर्श का केंद्र रहा। परिणामस्वरूप कांग्रेस पार्टी सत्ता में आने से एक बार फिर दूर रही। 2019 से लेकर आज तक कांग्रेस पार्टी न्याय की गारंटी को जनता के बीच रखती रही है।

कांग्रेस पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और वायनाड से लोकसभा सांसद राहुल गांधी कांग्रेस की विरासत को बचाने और न्याय योजना को न्याय गारंटी में बदलने के लिए सड़कों पर भी उतरे और उन्होंने भारत जोड़ो यात्रा और न्याय यात्रा की नींव रखी। भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी समेत पार्टी के बड़े नेता और कार्यकर्ता शामिल हुए और जनता के बीच कांग्रेस का एक नया परिचय दिया और साथ ही कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं में एक नई आशा की किरण बिखेरी।

कन्याकुमारी से कश्मीर तक जाने वाली यह भारत जोड़ो यात्रा और पूर्व से पश्चिम तक चलने वाली न्याय यात्रा कितना सफल हुई, इसका आंकलन तो आने वाले चुनावों के परिणामों पर निर्भर करेगा लेकिन फ़िलहाल कांग्रेस का घोषणा-पत्र जनता के सामने है जिसे कांग्रेस पार्टी ने “न्याय पत्र” कहा है।

यह न्याय पत्र जनता से 10 प्रकार के न्याय की बात करता है जो निम्नलिखित हैं:

1.हिस्सेदारी न्याय
2.युवा न्याय
3.नारी न्याय
4.किसान न्याय
5.श्रमिक न्याय
6.संवैधानिक न्याय
7.आर्थिक न्याय
8.राज्य न्याय
9.रक्षा न्याय
10.पर्यावरण न्याय

रोज़गार

भारत एक युवा प्रधान देश है और युवाओं की समस्याओं के समाधान में ही भारत का विकास निहित है। ऐसे में कांग्रेस के न्याय पत्र में युवाओं के लिए शिक्षा, रोज़गार और समानता पर क्या है, यह एक बड़ा सवाल है!

आज भारत की सबसे बड़ी चुनौती युवाओं को रोज़गार के अवसर उपलब्ध कराना है। 2014 के लोकसभा चुनावो में जब भारतीय जनता पार्टी पहली बार बड़ी संख्या हासिल कर सत्ता में आई तो उसका बड़ा कारण रोज़गार के बड़े-बड़े वादे थे। भारतीय जनता पार्टी ने हर साल एक करोड़ नौकरियां देने का वादा किया था जो वह अब तक पूरा नहीं कर सकी है। ऐसे में कांग्रेस ने नौकरी और रोज़गार के अवसर उपलब्ध कराने की बात प्रमुखता से की है।
कांग्रेस पार्टी अपने घोषणा पत्र के पेज नंबर 11 पर युवाओं की बात करते हुए केंद्र सरकार की विभिन्न क्षेत्रों में रिक्त 30 लाख सरकारी नौकरियों को भरने की बात करती है।

“कांग्रेस केंद्र सरकार में विभिन्न स्तरों पर स्वीकृत लगभग 30 लाख रिक्त पदों को भरेगी। कांग्रेस यह निर्धारित करेगी की पंचायत और नगरीय निकायों में रिक्तियां राज्य सरकार की सहमति से निश्चित समय सारणी के अनुसार भरी जाएंगी।”

इसके अतिरिक्त नौकरियों के लिए आवेदनधारक युवाओं को कोविड-19 के कारण निश्चित आयुसीमा पार कर चुके युवाओं को समय सीमा में छूट, आवेदन शुल्क की समाप्ति, शैक्षणिक ऋण माफ़ी, युवाओं को खेल के क्षेत्र में प्रोत्साहित करने के लिए 21 साल से कम आयु के खिलाड़ियों को प्रति माह 10,000 ₹ की छात्रवृति तथा 25 साल की आयु तक डिप्लोमा धारक एवं स्नातक उत्तीर्ण छात्रों को प्रशिक्षु (अप्रेंटिसशिप अधिकार अधिनियम) के तहत एक साल के लिए 1 लाख वार्षिक वेतन के साथ प्रशिक्षण करने का अवसर की उपलब्धता आदि वादे शामिल हैं।

कांग्रेस का दावा है कि वह शिक्षु (अप्रेंटिस) एक्ट, 1961 को हटाकर प्रशिक्षुता (अप्रेंटिसशिप) अधिकार अधिनियम लाएगी। यह क़ानून 25 वर्ष से कम उम्र के प्रत्येक डिप्लोमा धारक या कॉलेज स्नातक के लिए, निजी एवं सरकारी क्षेत्र की कंपनी में एक साल का प्रशिक्षुता कार्यक्रम प्रदान करेगा। इस क़ानून के तहत, हर प्रशिक्षु को एक लाख रुपए प्रति वर्ष का मानदेय दिया जायेगा, जो नियोक्ता कंपनी और सरकार द्वारा समान रूप से वहन किया जाएगा। ये क़ानून युवाओं को कौशल प्रदान करेगा, रोज़गार क्षमता बढ़ाएगा और करोड़ों युवाओं को नौकरी के अवसर प्रदान करेगा।

कहा गया है कि कांग्रेस पार्टी शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात युवाओं को रोज़गार के अवसर उपलब्ध कराने तथा व्यवसायों को बढ़ावा देने के महत्व को समझती है। कांग्रेस अपने घोषणा-पत्र में स्टार्ट अप को बढ़ावा देने के लिए फ़ंड्स योजना को पुनर्गठित करने की बात करती है।

“इस फंड का 50 प्रतिशत अर्थात 5,000 करोड़, जहां तक संभव हो देश के सभी ज़िलों में समान रूप से आवंटित करेगी ताकि देश भर में 40 वर्ष से कम आयु के सभी युवाओं को अपना व्यवसाय शुरू करने के लिए धन उपलब्ध कराया जा सके, जिससे वह अपने व्यवसाय को बढ़ा सकें और रोज़गार के अवसर उपलब्ध करा सकें।”

शिक्षा

उच्च शिक्षा में लगातार गिरावट को देखते हुए और बेहतर रिसर्च के लिए छात्रवृति में वृद्धि और अल्पसंख्यक छात्रों को शिक्षा ग्रहण करने के अवसर को बढ़ावा देने के लिए मौलाना आज़ाद स्कॉलरशिप फिर से लागू करेगी और छात्रवृति की संख्या बढ़ाएगी। भारत जैसे विकासशील और घनी आबादी वाले क्षेत्र में जहां एक तरफ़ शिक्षा हासिल करना ही एक चुनौती है, ऐसे में अल्पसंख्यकों, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति से आने वाले छात्रों को उच्च शिक्षा में अवसर उपलब्ध कराएगी तथा उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए पीएचडी स्कॉलरशिप की संख्या दोगुनी करेगी।

शिक्षा का अधिकार अधिनियम में बदलाव कर कांग्रेस यह वादा करती है कि वह कक्षा 1 से 12 तक के छात्रों को सम्मिलित करेगी और निःशुल्क शिक्षा के माध्यम से समाज के निचले स्तर तक शिक्षा का प्रसार होगा। इसी के साथ कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में बढ़ती आधुनिकता और तकनीकी के महत्व को समझते हुए कक्षा 9 से 12 तक के समस्त छात्रों को मोबाइल फ़ोन की उपलब्धता को प्रमुखता से जोड़ा है।

भारत छोड़ो न्याय यात्रा के दौरान ली गई तस्वीर

इसके अतिरिक्त कई और महत्वपूर्ण बदलाव जैसे केंद्रीय विद्यालयों, नवोदय विद्यालयों और कस्तूरबा गांधी विद्यालयों की संख्या बढ़ाने, छात्रावासों की संख्या बढ़ाने समेत कई अन्य चीज़ों को भी प्रमुखता की श्रेणी के रखा गया है। हाल ही में पाठयपुस्तकों और पाठ्यक्रमों में हुए वैचारिक और राजनीतिक बदलावों के मद्देनज़र कांग्रेस ने अपने घोषणा-पत्र में इसका ज़िक्र किया है और यह बात दोहराई है कि शिक्षा का राजनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए उपयोग अनैतिक है और कांग्रेस की सरकार बनने पर इस पर रोक लगाई जाएगी।

साथ ही नई शिक्षा नीति में हुए बदलाव और उसकी अव्यवहारिक प्रवृति पर कांग्रेस अपने घोषणा-पत्र में सवाल खड़े करती है और सरकार बनने पर नई शिक्षा नीति पर फिर से विचार-विमर्श कर बदलाव करने की बात करती है।

छात्र राजनीति

चूंकि कांग्रेस पार्टी अपने आप को लोकतांत्रिक प्रक्रिया से चलने वाली पार्टी होने का दावा करती है और उसका विश्वास है कि वह लोगों को अभिव्यक्ति की आज़ादी, संगठन बनाने और लोकतांत्रिक माध्यमों से चुनी हुई सरकारों के कार्यों का विरोध करने का अधिकार मिलना चाहिए। भारतीय राजनीति इतिहास में छात्र संघ राजनीति की नर्सरी के रूप में जाना जाता है जबकि वर्तमान सरकार लगातार छात्र राजनीति का दमन और छात्र संघ चुनावों को रोका जाता रहा। ऐसे में कांग्रेस युवा राजनीति को केंद्रीय विषय के तौर पर अपने घोषणा-पत्र में शामिल करती नज़र आ रही है और सरकार आने पर छात्र संघ चुनावों की बहाली की बात दोहराती है।

सामाजिक न्याय

कांग्रेस पार्टी हिस्सेदारी न्याय के 21वें बिंदु में इस बात का वर्णन करती है कि वह शिक्षण संस्थानों में हो रहे सामाजिक अन्याय को समाप्त करने के लिए रोहित वेमुला अधिनियम लागू करेगी।

रोहित वेमुला हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी का शोधार्थी था जिसने जातिगत भेदभाव के कारण आत्महत्या कर ली थी। रोहित वेमुला की आत्महत्या के लगभग 8 साल पूरे होने को हैं और ऐसे में निर्भया एक्ट की तरह जातिगत भेदभाव के रोकथाम के लिए रोहित वेमुला एक्ट बनाने की बात की जाती रही है।

शिक्षा का बढ़ता बाज़ारीकरण भारतीय शिक्षण संस्थानों को खोखला और बाज़ारवाद का केंद्र बनाता जा रहा है। जहां एक तरफ़ सरकारी स्कूलों में विशेष प्रयोजनों के नाम पर विभिन्न प्रकार के शुल्क लिए जाते है वहीं दूसरी तरफ प्राइवेट स्कूलों की मनमानी फ़ीस की वसूली शिक्षा को आमजन की पहुंच से बाहर किए जा रही है। ऐसे में कांग्रेस अपने घोषणा पत्र में शिक्षा के बाज़ारीकरण पर रोक लगाने की बात करती है। अपने घोषणा पत्र में कांग्रेस ने वादा किया है कि वह सरकारी स्कूलों में लिए जा रहे विशेष प्रयोजन शुल्क समाप्त करेगी तथा प्राइवेट स्कूलों में फ़ीस नियमन को लेकर राज्य सरकारों को सहमत करेगी।

मुस्लिम मुद्दों पर ख़ामोशी

कांग्रेस ने जहां एक तरफ़ इन तमाम मुद्दों के अतिरिक्त पेपर लीक, शैक्षिक ऋण माफ़ी, खेल स्कॉलरशिप, शोधार्थी स्कॉलरशिप में वृद्धि समेत कई मुद्दों को प्रमुखता दी है तो वहीं दूसरी तरफ़ नई पेंशन स्कीम, अल्पसंख्यक संस्थानों की पहचान और लगातार घटते शिक्षा के बजट पर कांग्रेस बिलकुल चुप दिखाई देती है।

2019 में भारतीय जनता पार्टी ने नागरिकता संशोधन बिल संसद से पास किया जिसके बाद पूरे देश में एक बड़ा आंदोलन खड़ा हुआ। नागरिकता संशोधन क़ानून को लोगों ने धर्म के नाम पर भेदभाव करने वाला बताया लेकिन यह ठंडे बस्ते में चला गया। लेकिन एक बार फिर चुनाव के ऐलान के चंद दिन पहले ही देश के गृह मंत्री अमित शाह ने नागरिकता संशोधन क़ानून पर बात की और इसे पूरे देश में लागू कराए जाने का नोटिफ़िकेशन जारी किया। देश भर के शिक्षण संस्थान नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध में अग्रणी भूमिका में रहे हैं। जामिया मिल्लिया इस्लामिया, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी, हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी और मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी जहां से इस क़ानून के विरोध में सब से ज़्यादा विरोध के सुर सुनाई दिए। हाल ही में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्र संघ चुनाव में भी यह प्रमुख मुद्दा रहा है। लेकिन कांग्रेस का चुनावी घोषणा-पत्र इस मुद्दे पर ख़ामोश नज़र आता है।

राहुल गांधी, मुस्लिम समुदाय के लोगों के साथ वार्तालाप करते हुए

केंद्र में भाजपा सरकार आने के बाद यदि कोई एक समाज जिसने सबसे ज़्यादा अत्याचार अपने ऊपर झेला है, वह मुस्लिम समाज है। भीड़ हत्याएं, लव-जिहाद, फ़र्ज़ी मुकदमे, फ़र्ज़ी एनकाउंटर, कस्टोडियल हत्याएं, बुल्डोज़र कार्रवाई इत्यादि पूरी श्रृंखला है जिसमें मुसलमानों पर राज्य पोषित कार्रवाइयों के माध्यम से उन्होंने दोयम दर्जे का शहरी बनाने के हर संभव प्रयास किए गए हैं। ये प्रयास न सिर्फ़ ज़मीनी स्तर पर हैं बल्कि एक समाज के रूप में मुसलमानों को मनोवैज्ञानिक स्तर पर कमज़ोर करने और डराने की कोशिश की गई है लेकिन इसके बावजूद देश की सबसे बड़ी सेक्युलर पार्टी होने का दावा करने वाली कांग्रेस मुस्लिम मुद्दों पर अपने घोषणा-पत्र में ख़ामोश नज़र आ रही है।

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