बिहार की बदहाल शिक्षा व्यवस्था का ज़िम्मेदार कौन?
एक ओर जहाँ शिक्षकों की घोर कमी है वहीं शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी/एसटीईटी) उत्तीर्ण अभ्यर्थियों की एक बड़ी संख्या सड़कों पर बेरोज़गार घूम रही है और लगातार संघर्ष करते हुए पुलिस की लाठियां खा रही है। पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा देने की मांग भी समय-समय पर उठती रही है परन्तु इस पर कोई ठोस पहल अब तक नहीं हुई है। ऐसी ही कई समस्याएं हैं जो बिहार की शिक्षा व्यवस्था की राह में रोड़े अटका रही हैं।
भारतीय शिक्षा व्यवस्था और कहानी “6%” की
पिछले दो दशकों में भारत के शिक्षा क्षेत्र में स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों और नामांकन के मामले में बड़े पैमाने पर विस्तार हुआ है। इस विस्तार ने दो समस्याएं उत्पन्न कीं :- न्यायसंगत हिस्सेदारी (इक्विटी) और गुणवत्ता की कमी। इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए देश की शिक्षा व्यवस्था को उचित धन ख़र्च करने की आवश्यकता है। शिक्षा क्षेत्र के लिए बजट इस दिशा में पहला क़दम हो सकता है।
ऑनलाइन शिक्षा: चुनौतियां एवं संभावनाएं
वर्तमान परिस्थितियों में ऑनलाइन शिक्षण एक विकल्प के रूप में हमारे सामने है और अब इसे लगभग कक्षा शिक्षण का एक पर्याय समझा जाने लगा है। इसमें कोई शक नहीं कि वर्तमान परिस्थितियों में ऑनलाइन शिक्षण का सहारा लेना अपरिहार्य है लेकिन वहीं शिक्षाविदों के लिए यह विचारणीय तथ्य है कि क्या इसे कक्षा शिक्षण का पर्याय समझा जा सकता है?
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