इंसान की जान की क़ीमत 10 लाख रुपये

0
886

मुंबई में एलफिस्टन रोड और परेल उपनगरीय रेलवे स्टेशनों को जोड़ने वाले फुटओवर ब्रिज पर भगदड़ में मरने वालों को महाराष्ट्र सरकार और भारतीय रेलवे की तरफ़ से पांच-पांच लाख रुपये देने की घोषणा की गयी है। जान तो सबकी एक ही होती है मग़र दुर्घटनाओं में जान गवाने वालों की जान की क़ीमत भी दुर्घटना के प्रकार पर निर्भर करती है। दंगों में मरने वालों का मुआवजा उनकी जाति, धर्म और वर्ग देख कर तय किया जाता है। अगर जिस राज्य में दुर्घटना हुई है और वंहा चुनाव नजदीक हैं तो वंहा जान की क़ीमत बढ़ भी सकती है। मुआवजे के साथ दुर्घटना होने के बाद जिस तरह के बयान मंत्रियों और ज़िम्मेदार लोगों के आते हैं वो भी कई बार जख्मों पर मरहम लगाने की जग़ह नमक छिड़कने जैसे होते हैं।

रिवायत के मुताबिक इस हादसे के बाद रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा ने बयान दिया ओर उन्होंने हादसे के पीछे भीड़ को ही जिम्मेदार ठहरा दिया । उनका कहना है कि हादसा ओवरब्रिज से नहीं भीड़ के कारण ही हुआ। हालांकि ये अभी जांच का विषय है कि इस हादसे के पीछे क्या कारण रहे हैं। उनका कहना है कि फुटओवर ब्रिज टूटा होता, तो बात समझ में आती, शायद वो ये मान बैठे हैं कि सिर्फ़ ब्रिज टूटने पर ही सरकार की ज़िम्मेदारी बनती है जो की शर्मनाक है।

दूसरी ओर केन्द्रीय रेलमंत्री पीयूष गोयल ने इस दुर्घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए शोक संतप्त परिवारों के प्रति संवेदनाएं व्यक्त की हैं और पश्चिम रेलवे के मुख्य सुरक्षा अधिकारी के नेतृत्व में उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी घटना पर दुख जताते हुए कहा कि इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं पीड़ित लोगों के साथ हैं।

इस पूरे मामले में अगर गौर किया जाये तो कई सारे पहलू उभर कर सामने आते है जैसे पुल बहुत जर्जर और पुराना हो चुका था जिसकी मरम्मत की सख़्त जरूरत थी, लेकिन प्रशासन शायद किसी हादसे के इंतज़ार में ही बैठा हुआ था। अफवाहों ने इस देश में बहुत जाने ली हैं यंहां भी वही हुआ अफवाह फैली और भगदड़ मच गयी। हल्की बारिश होने से सीढ़ियां गीली थी और हर किसी को एक दूसरे को गिराकर बस आगे निकलने की जल्दी थी। अगर हमसब एक दूसरे पर विश्वास के साथ परस्पर प्रेम, सहयोग और सद्भाव बनाये रखें तथा अफवाहों को फैलने से रोकें तो भविष्य में हम बहुत सारी जाने बचा सकते हैं क्योंकि इंसान की जान तो ख़ुदा का वो अनमोल तोहफ़ा है जिसकी कोई क़ीमत नहीं हो सकती।

अ. रहीम खान
केंद्रीय विश्वविद्यालय राजस्थान