एक इस्लामी विद्वान की ज्ञान के प्रति असीमित लालसा

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एक इस्लामी विद्वान की ज्ञान के प्रति असीमित लालसा

शेख मुहम्मद उज़ैर शम्स बिन शम्स अल-हक़ बिन रिदल्लाह का जीवन पढ़ने-लिखने के लिए समर्पित था। उनकी बौद्धिक विरासत ने वर्तमान और आने वाली पीढ़ियों के लिए ज्ञान प्राप्त करने और इस नेक काम में महत्वपूर्ण योगदान देने का मार्ग प्रशस्त किया है। उनसे आज भी, ज्ञान के सभी साधक, विचार भेद से ऊपर उठ कर, इस्लाम के संदेश को सीखने और फैलाने के मार्ग में समय और ऊर्जा समर्पित करने के लिए प्रेरणा प्राप्त करते हैं।

-जुनैद अहमद

अंग्रेज़ी से अनुवाद: उसामा हमीद

शेख मुहम्मद उज़ैर शम्स बिन शम्स अल-हक़ बिन रिदल्लाह का जन्म शुक्रवार, 15 दिसंबर, 1956 को पश्चिम बंगाल में हुआ था और उनकी मृत्यु 16 सितंबर, 2022 को कोलकाता में हुई। शेख ने इस्लामी विज्ञान की लगभग सभी शाखाओं में लेखन और शोध की विरासत छोड़ी है। जिस परिवार में उनका पालन हुआ वह आठ पीढ़ियों से ज्ञान और उत्कृष्टता वाले परिवार के तौर पर जाना जाता था। जब शेख उज़ैर ने, अल्लाह उन पर रहम करे, ज्ञान प्राप्ति की यात्रा शुरू की, तो उनके पिता ही ने, जो उस समय के महान विद्वान थे, उन्हें विभिन्न विज्ञानों की मूल शिक्षा दी, साथ ही मुवत्ता, अल-बुखारी पढ़ाई, और उन्हें एक महान विद्वान बनाने के लिए अपना महत्वपूर्ण समय समर्पित किया।

शेख उज़ैर की मृत्यु किसी आम आदमी की मृत्यु नहीं है। वे एक संस्था, एक महान विचारक थे। उनके शोध पर एक नजर डालने से ही पता चल जाता है कि वे कितने तार्किक, कितने वैज्ञानिक, विचारोत्तेजक, और विश्वसनीय थे। वे किसी विचार के पीछे विद्यमान तर्क पर सवाल उठाए बिना अपने पूर्वजों के नक्श-ए-कदम पर चलने के लिए कभी सहमत नहीं हुए। वे शेख इब्न तैमिया और इब्न क़ैयिम के सच्चे उत्तराधिकारी के रूप में प्रसिद्ध थे। इन दो विद्वानों पर उनका काम अपने आप में एक कला है। कई लोग उन्हें इस युग का इब्न तैमिया कहते हैं। विभिन्न विज्ञानों में उनके विशाल ज्ञान को सभी स्वीकार करते हैं। वे पुस्तकों के प्रेमी थे। वे ज्ञान चाहने वालों और विद्वानों के लिए एक प्रेरणा थे। उनका जाना एक अपूरणीय क्षति है। वे विद्वान समूह में एक विस्तृत जगह छोड़ गए हैं जिसे भर पाना अत्यंत कठिन है। उनका निधन इस बात की पुष्टि है कि एक विद्वान की मृत्यु वास्तव में पूरे विश्व की मृत्यु है।

मेरा इरादा उनके जीवन और करियर के बारे में लिखने का नहीं है, जो उल्लेखनीय उपलब्धियों से भरा हुआ है। जानकार लोग हैं जो इस पर काम कर रहे हैं और करेंगे। मैं इस लेख में उनके जीवन के कुछ पहलुओं पर प्रकाश डालना चाहता हूं, जो मुझे प्रेरित करते हैं और दूसरों के लिए भी प्रेरणा बन सकते हैं। वास्तव में, हम इस महान विद्वान और धार्मिक ग्रंथों के विशेषज्ञ के जीवन से कुछ अत्यंत महत्वपूर्ण सबक सीख सकते हैं।

ज्ञानार्जन को किसी एक विचारधारा तक सीमित न रखें: शेख का जीवन हमें अपने क्षितिज को व्यापक बनाने और विचारधाराओं के सभी रूपों का अध्ययन करने के लिए प्रेरित करता है। उनका मानना था कि छात्र तो वह है जो विभिन्न विचारधाराओं को सीखने की जिज्ञासा रखता है और एक विशेष संप्रदाय की सीमाओं के भीतर खुद को सीमित करने के बजाय अपने ज्ञान को व्यापक बनाता है। वे छात्र को धर्म के अन्य पहलुओं और विचारों से परिचित होने से पहले ईमान के बारे में अच्छी तरह से सीखने के लिए प्रोत्साहित करते थे क्योंकि उनका विचार था कि एक बार छात्र दृढ़ विश्वास से लैस हो जाएं, तो वे अलग-अलग विचारों और विभिन्न संप्रदायों के विद्वानों से अवगत हो सकते हैं, संदेहों को दूर कर सकते हैं और धर्म से संबंधित प्रश्नों का उत्तर दे सकते हैं।

शेख सभी प्रकार के पूर्वाग्रहों से दूर इस्लाम के विद्वान थे। उन्हें पढ़ना और हर स्रोत से ज्ञान प्राप्त करना अच्छा लगता था। उनके द्वारा बताई गई एक दिलचस्प कहानी उनकी कुवैत यात्रा के बारे में है। एक मस्जिद में नमाज अदा करने के बाद एक बुजुर्ग भारतीय ने उनसे पूछा कि आप किस संस्थान से आए हैं। शेख ने उत्तर दिया कि मैं किसी संस्था से नहीं आया हूँ; मैं पुस्तकालयों में कुछ किताबें खोजने और इस्लामी विद्वानों से मिलने आया था। अजनबी विश्वास नहीं कर सकता था कि कोई इस उद्देश्य के लिए इस देश की यात्रा कर सकता है। शेख उज़ैर, अल्लाह उन पर दया करे, समृद्ध पुस्तकालयों से लाभ उठाने और प्रतिष्ठित शोधकर्ताओं और विद्वानों से मिलने के लिए देशों का दौरा करते थे।

अपना नज़रिया या दृष्टिकोण स्थापित करने से ना डरें: शेख उज़ैर का जीवन हमें अध्ययन करने और अपने विषय की गहराई तक जाकर विशेषज्ञता हासिल करने के लिए प्रेरित करता है ताकि हमें अपने क्षेत्र में एक विशेषज्ञ के रूप में पहचाना जा सके। ऐसा बनने के लिए, समर्पण, प्रतिबद्धता, अध्ययन और अनुसंधान पर अविभाजित ध्यान देने की आवश्यकता है। यह केवल दृढ़ संकल्प ही है जिसके माध्यम से कोई अच्छा काम उत्पन्न होता है जिसे सभी द्वारा पहचाना और सराहा जाता है। शेख के समर्पण ने भी उन्हें अच्छी प्रतिष्ठा दिलाई। वे अपने संतुलित विचारों के लिए जाने जाते हैं। वे ज्ञान, अनुसंधान और सत्यापन पद्धति के मामले में अपने समकालीन विद्वानों के बीच सबसे आगे हैं। उनके लेक्चर और वीडियो इस बात की गवाही देते हैं कि वे इस युग में सबसे अधिक पढ़े-लिखे लोगों में से एक थे। उनका लेखन ठोस प्रमाणों और तर्क पर आधारित है। उनकी बातचीत सूचना से परिपूर्ण, प्रज्ञता-और-ज्ञान-आधारित, परिणाम-उन्मुख और विश्वसनीय, और वर्तमान से लेकर पिछली कई शताब्दियों तक विविध स्रोतों द्वारा समर्थित होती थी। फ़िक़्ह-ए-अहल-ए-हदीस, मराजे वा मसादिर (अहल-ए-हदीस का न्यायशास्त्र) आदि पुस्तकों को उनकी विचारोत्तेजक वार्ताओं के उदाहरण के रूप में उद्धृत किया जा सकता है। [https://youtu.be/DHqNoBxgcS4]

ज्ञान प्राप्ति में ईमानदार रहें: शेख का जीवन हमें सीखने के प्रति जुनूनी बनना सिखाता है। शेख, अल्लाह उस पर दया करें, एक ईमानदार ज्ञान साधक थे। सीखना उनका जुनून था। उनके जीवन में कभी ऐसा समय नहीं आया जब उनकी ज्ञान प्राप्ति की इच्छा कम हुई हो। उनका मानना था कि धीरज के बिना कोई भी अनुशासन में महारत हासिल नहीं कर सकता है। उन्हें नई चीजें सीखने का शौक था। कई बार, शेख के दोस्त यह जानकर हैरान रह जाते थे कि शेख ऐसी सामग्री पढ़ रहे हैं जो आमतौर पर शिक्षार्थियों के लिए दिलचस्प नहीं है। जो कुछ भी उनके हाथ में आता था उसे पढ़ना उन्हें अच्छा लगता था और वे उसमें रुचि विकसित करने में सक्षम थे, भले ही वह शुष्क विषय ही क्यों न हो। यही कारण है कि वे अनेक विद्याओं और कलाओं के ज्ञाता बन गए।

शायद ही कोई ऐसा विज्ञान था जिससे वे अपरिचित थे। उनके करीबी लोग इस बात की गवाही देते हैं कि उनकी धार्मिक पुस्तकों और शोध में विशेषज्ञता के अलावा और इब्न तैमियाह और इब्न कय्यिम की विरासत के वाहक होने के नाते, ऐसे क्षेत्र और भी हैं जिनमें उनकी महानता प्रमाणित है और जिसे सभी स्वीकार करते हैं, यह हैं कुरआन, कुरआन शास्त्र, हदीस, हदीस शास्त्र, न्यायशास्त्र, न्यायशास्त्र के सिद्धांत, ईमान, जीवनी, इतिहास, शब्दावली, सभ्यता और संस्कृति, कविता और साहित्य, ज्ञान, तर्क और दर्शन, आदि।

किताबों के दोस्त बनें: शेख उज़ैर का जीवन हमें किताबों से प्यार करने के लिए प्रेरित करता है। “किताब” उनकी सबसे अच्छी दोस्त थी। उन्हें किताबों के बीच रहना अच्छा लगता था। पुस्तकालय उनके लिए सबसे सुखद स्थान था। जब भी उन्हें अवसर मिलता है, वे रुचि की पुस्तकों की खोज में पुस्तकालयों में समय व्यतीत करना पसंद करते। वे जानते थे कि समय कीमती है और इसे बर्बाद नहीं करना चाहिए। इसलिए वे अपनी शादी के दिन भी खुद को पढ़ने से नहीं रोक पाए। इस विशेष दिन भी, शेख खाली बैठने से संतुष्ट नहीं थे, इसलिए जब नमाज़ का समय आया, तो नमाज़ के लिए गए और फिर किसी पुस्तकालय की तलाश करने लगे, और जब उन्हें मालूम हुआ कि वहाँ एक पुस्तकालय मौजूद है, तो वे वहां कुछ समय पढ़ने के लिए चले गए। वहाँ वे पढ़ने में इतने लीन हो गये कि उन्हें याद ही नहीं आया कि वे दूल्हा थे। जब तक उनके रिश्तेदारों और दोस्त उन्हें बुलाने नहीं आ गए, वे वहीं बैठे रहे।

दूसरों के अच्छे काम की प्रशंसा करने और उन्हें स्वीकारने से डरो मत: शेख का जीवन हमें याद दिलाता है कि हमें अच्छे कामों को स्वीकार करना चाहिए, भले ही उनके कर्ता कोई भी हों। प्रत्येक महत्वपूर्ण उपलब्धि को मान्यता दी जानी चाहिए। वे ज्ञान के प्रबल समर्थक थे; चाहे यह किसी अन्य विचारधारा से उत्पन्न हो रहा हो। वे विभिन्न विचारधाराओं के विद्वानों की प्रशंसा करने और उनकी महत्वपूर्ण उपलब्धियों को खुले दिल से स्वीकार करने में पीछे नहीं हटते थे। जब वे फ्रांस में थे, उनकी मुलाकात डॉ. हमीदुल्लाह से हुई। वे डाक्टर साहब की जबरदस्त उपलब्धियों, उनकी कई भाषाओं पर कमान, उनके विशाल ज्ञान और इस्लाम के प्रचार की उनकी प्रबल इच्छा से बहुत प्रेरित हुए।

ज्ञान बांटने और दूसरों तक पहुंचाने के लिए प्रयास: शेख का जीवन हमें ज्ञान और हमारे पूर्वजों की विरासत को नई पीढ़ियों तक स्थानांतरित करने की तीव्र इच्छा और उत्सुकता विकसित करने के लिए प्रेरित करता है। वे ज्ञान चाहने वालों और विद्वानों से अत्यधिक प्रेम करते थे। वे सदैव ही यह इच्छा व्यक्त करते थे कि ज्ञानी लोग अध्ययन करें, शोध करें और हमारे पूर्वजों की विरासत को स्थानांतरित करने में अपना योगदान दें। उन्होंने उन क्षेत्रों की जांच करने के कार्य को शोध विद्वानों की प्राथमिक जिम्मेदारी के रूप में माना, जिन्हें उचित महत्व नहीं दिया गया था और अप्राप्य छोड़ दिया गया था। हम उन्हें इस संबंध में हर तरह का समर्थन देने के लिए तैयार पाते हैं। शिक्षा और अनुसंधान पर वर्षों बिताने के बाद, वह अलग-अलग विषयों और विज्ञानों पर सलाह देने में सक्षम थे और किसी भी शिक्षार्थी द्वारा पूछे जाने पर अपने पास मौजूद सभी प्रासंगिक सामग्री प्रदान करता थे, बिना यह जाने कि उसकी पहचान क्या थी, वह कहाँ से था, या किस विचारधारा से संबंधित था।

सरल, दयालु और विनम्र बनें: शेख उज़ैर के जीवन से हम एक अच्छा सबक यह सीख सकते हैं कि ज्ञान में गहराई के लिए सरलता, विनम्रता और दयालुता की आवश्यकता होती है। उनका जीवन इस बात का एक प्रमुख उदाहरण है कि कैसे एक ज्ञानी व्यक्ति अल्लाह से अधिक डरता है। बढ़े हुए ज्ञान के साथ, वह अधिक विनम्र और दयालु बनता है। शेख के कुवैती प्रेमियों में से एक, जो उनकी मृत्यु पर शोक व्यक्त करने आए थे, ने बताया कि कुवैत की पहली यात्रा पर शेख एक निजी निमंत्रण पर थे। उनके ठहरने की व्यवस्था मस्जिद के पास एक अतिथि कक्ष में की गई थी, प्रार्थना के बाद कुछ समय के लिए वे मस्जिद में ही रहते थे, लोग उन्हें घेरे रहते थे, सवाल पूछते थे, मार्गदर्शन मांगते थे और उनके ज्ञान से लाभान्वित होते थे।

शेख की कुवैत की दूसरी यात्रा मंत्रालय के विशेष निमंत्रण पर थी, और इसलिए उनके ठहरने की व्यवस्था एक पाँच सितारा होटल में की गई थी। शेख को होटल में रहना अच्छा नहीं लगा और वे बार-बार कहते रहे कि अतिथि कक्ष बेहतर होगा क्योंकि मैं लोगों को देख और मिल सकता हूं, चर्चा कर सकता हूं और ज्ञान के साधकों के बीच होने का सम्मान महसूस कर सकता हूं। दूसरी ओर, होटल ने सचमुच उन्हें इस अवसर से वंचित कर दिया था, और वे वहाँ अकेलापन महसूस कर रहे थे। वे निश्चित रूप से विद्वानों और छात्रों से दूर रहने में सहज नहीं थे। वे एक ऐसे व्यक्ति थे जो सभी सुख-सुविधाओं से दूर आम लोगों के बीच रहना पसंद करते थे।

इब्न तैमिया के त्याग, क्षमा और अच्छे शिष्टाचार से शेख बहुत प्रभावित थे। वे न केवल नेक पूर्वजों की विरासत के संरक्षक थे बल्कि अपने पूर्वजों की तरह नेक और शान-शौकत वाली जीवन शैली के प्रति उदासीन होने का भी प्रयास करते थे। वे छात्रों और विद्वानों को शैक्षणिक उत्कृष्टता के साथ-साथ इस्लामी शिष्टाचार का प्रदर्शन करते देखना पसंद करते थे। उनका मानना था कि एक विद्वान के लिए, इस्लामी नैतिकता, चरित्र और शिष्टाचार से लैस होना बेहद जरूरी है, उनका मानना था कि नैतिकता के बिना ज्ञान बेकार है।

सांसारिक मामलों से कम लगाव रखें: शेख उज़ैर का जीवन हमें सिखाता है कि ज्ञान चाहने वालों को भविष्य से डरने के बजाय कौशल में महारत हासिल करने और अपनी जिम्मेदारियों को ईमानदारी से पूरा करने पर ध्यान देना चाहिए। जब कोई व्यक्ति अपना समय और ऊर्जा इस्लाम के संदेश को फैलाने के नेक काम के लिए समर्पित करता है, तो सर्वशक्तिमान उसके सांसारिक मामलों को सुलझाता है और उसे शांति का आशीर्वाद प्रदान करता है। एक घटना उनके विनम्र स्वभाव को प्रदर्शित करती है, उनके एक पड़ोसी को उनके अंतिम संस्कार में उपस्थित भीड़ को देखकर अत्यधिक विस्मय हुआ। मस्जिद में जाते हुए अकसर वह शेख को देखा करता था परंतु उनकी वेशभूषा देखकर उसे ऐसा लगता था कि यह कोई साधारण कामगार होगा। शेख सादा जीवन जीना पसंद करते थे। उन्हें सांसारिक धन-दौलत में कोई दिलचस्पी नहीं थी।

शेख का जीवन इस बात का एक अच्छा उदाहरण है कि जो लोग इस्लाम की सेवा के लिए प्रतिबद्ध हैं, उन्हें अपनी संपत्ति बढ़ाने के बारे में ज्यादा चिंता नहीं करनी चाहिए। जितना अधिक वह सांसारिक वस्तुओं से जुड़ता है, उतना ही वह अपने जीवन के उद्देश्य से विचलित होता है। जो इस भौतिक संसार में जितना दृढ़ होता है, वह परलोक से उतना ही कट जाता है।

नेक इरादे से प्रतिक्रिया दें: शेख उज़ैर अच्छे ज्ञान और तर्कसंगत सोच वाले लोगों की खूब प्रशंसा करते थे। वह रचनात्मक प्रतिक्रिया देते थे और सार्वजनिक रूप से किसी की आलोचना करने से बचते थे। अगर उन्हें किसी के लेखन में ऐसा कोई बिंदु दिखता जो उन्हें स्थापित मतों के विपरीत लगता, जिसमें प्रमाणों की कमी होती, या सुधार की आवश्यकता होती, तो वे अपनी टिप्पणियों को बिना किसी पूर्वाग्रह के प्रस्तुत करते और उन्हें संबंधित व्यक्ति के साथ निजी तौर पर साझा करते। शैक्षणिक संस्थानों की कमियों पर सलाह देने के लिए उन्होंने यही तरीका अपनाया। वे अकादमिक केन्द्रों के संचालकों को अपनी आपत्तियों और अनुशंसाओं के साथ पत्र लिखते थे। इसी पद्धति ने उन्हें महमूद मोहम्मद शाकिर, बक्र बिन अब्दुल्ला और महमूद तनाही जैसे प्रतिष्ठित विद्वानों की प्रशंसा पाने और उनके साथ संबंध बनाने में मदद की।

सीखने में निरंतरता: शेख के जीवन का वह पहलू जो सबसे अधिक प्रेरित करता है वह है सीखना। उन सभी छात्रों, ज्ञान चाहने वालों और विद्वानों के लिए, जो अपने जीवन में उत्कृष्ट कार्यों को पूरा करना चाहते हैं, सीखने में निरंतरता, शेख के जीवन का स्पष्ट संदेश है। शेख के जीवन में सभी उल्लेखनीय उपलब्धियों का श्रेय सीखने में उनकी निरंतरता को दिया जा सकता है। उनका मानना था कि सीखना एक अंतहीन प्रक्रिया है। शेख उज़ैर शम्स ने अपने जीवन में पढ़ने-लिखने के अलावा कुछ नहीं किया। वे बचपन से ही बहुत पढ़ते थे। उन्होंने युवावस्था में ही अरबी, फारसी और अंग्रेजी में विभिन्न विज्ञानों पर कई किताबें पढ़ ली थीं। उनका मानना था कि छात्रों को पुस्तकालय में अधिक समय व्यतीत करना चाहिए, शैक्षणिक संगोष्ठियों और सम्मेलनों में भाग लेना चाहिए, और पुस्तकों को पढ़ने पर अधिक ध्यान देने के साथ विद्वानों से मिलना चाहिए।

उनका जीवन ज्ञान चाहने वालों और शोधकर्ताओं को अपने स्वयं के अनुसंधान पथ खोजने के लिए प्रेरित करता है। सभी को अपनी अंतर्निहित क्षमता का पता लगाने, उसे बढ़ाने और फिर संबंधित क्षेत्रों में योगदान करने के लिए इसका उपयोग करने की आवश्यकता है। अकादमिक क्षेत्रों में उनकी महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ, उदाहरण के लिए, अल्लामा शमसुल हक अज़ीमाबादी की पुस्तकों पर उनकी रचनाएँ; अल्लामा अब्दुल अजीज मेमोनी; शाह इस्माईल देहलवी पर उनकी रचनाएँ; शेख-अल-इस्लाम इब्न तैमियाह की किताबों पर उनकी रचनाएँ; हाफिज इब्न अल-कयिम की पुस्तकों का उनका सत्यापन; अल्लामा अल-मुअलिमी की पुस्तकों का उनका सत्यापन, उनके अथक प्रयासों और जीवन भर उनके द्वारा बनाए गए अविभाजित ध्यान के बारे में बहुत कुछ बताता है।

भविष्य की उम्मीद में अपना वर्तमान बर्बाद न करें: किसी को किसी चीज की प्रतीक्षा या अपेक्षा करते हुए अपना समय बर्बाद नहीं करना चाहिए। शेख उज़ैर के जीवन से हम यही सीखते हैं। जामिया सलफियह से स्नातक करने के बाद, जब वह जामिया इस्लामिया मदीना मुनव्वरह में प्रवेश पाने के लिए आवेदन की मंजूरी का इंतजार कर रहे थे, उन्होंने घर पर बैठने और परिणाम का इंतजार करने से इनकार कर दिया। बल्कि, उन्होंने इस अवसर का उपयोग किया और दिल्ली, पटना, लखनऊ, अलीगढ़, कलकत्ता और अन्य शहरों में विभिन्न पुस्तकालयों और विश्वविद्यालयों का दौरा करते हुए डेढ़ साल तक यात्रा करते रहे। इस यात्रा के दौरान उन्हें पटना के एक प्रसिद्ध पुस्तकालय, जिसे “खुदा बख्श पुस्तकालय” कहा जाता है, की अरबी पांडुलिपियों पर काम करने का मौका मिला और उन्होंने वहां लगभग चार महीने बिताए। इस यात्रा ने उन्हें विद्वानों से मिलने और विभिन्न समूहों और संगठनों के बारे में अधिक समझने में महत्वपूर्ण समय बिताने में मदद की। और अंत में, वह समय आया जब उन्हें मदीना के इस्लामिक विश्वविद्यालय में पढ़ने के लिए आवेदन स्वीकृति की खबर मिली।

छूटे हुए अवसर पर पछतावा न करें: शेख का जीवन, एक बड़ा सबक हमें यह सिखाता है कि हमें अवसर गंवाने पर पछतावा नहीं करना चाहिए। शेख के जीवन में एक समय ऐसा आया जब उन्हें उच्चतम डिग्री, पी.एच.डी., से वंचित कर दिया गया, एक ऐसी डिग्री जो एक व्यक्ति अपने जीवनकाल में प्राप्त करने की आशा करता है। शेख उम्म उल क़ुरा विश्वविद्यालय में “भारत में अरबी कविता: एक महत्वपूर्ण समीक्षा” विषय पर पी.एच.डी. कर रहे थे। उन्होंने अपनी पी.एच.डी. थीसिस लगभग पूरी कर ली थी, लेकिन उनके सूपर्वाइज़र के साथ कुछ मतभेदों के कारण, सबमिशन अस्वीकार कर दिया गया। परिणाम स्वरूप उनकी पी.एच.डी. रोक दी गई। यह एक बड़ी घटना थी जो प्रयासों को व्यर्थ जाते देख शेख को निराश कर देने वाली थी, लेकिन शेख ने इसका पछतावा नहीं किया, बल्कि इसे एक इलाही फरमान के रूप में स्वीकार किया और घर लौट आए। और फिर जल्द ही, सर्वशक्तिमान ने उन्हें विश्वविद्यालयों और संस्थानों, जैसे कि उम्मुल कुरा विश्वविद्यालय, मदीना में मजमा मलक फहद, जेद्दा में इस्लामी फिकह अकादमी, और अन्य में कई परियोजनाओं पर काम करने के लिए फिर से मक्का वापस लौटा दिया।

सीखने के मार्ग में धीरज: “प्रयास आपको धोखा नहीं देगा”, शेख का जीवन इस कहावत पर विश्वास करने के लिए प्रेरित करता है। उनका दृढ़ विश्वास था कि बिना परिश्रम के उपलब्धि नहीं मिलती। शेख ने जो हासिल किया वह सीखने के रास्ते में उनके अथक परिश्रम का परिणाम था। बड़ी सफलता परीक्षणों और क्लेशों को सहे बिना नहीं मिलती। शेख़ को प्रतिकूलता, बाधा और समस्याओं का सामना करना पड़ा, लेकिन निराश और उदास होने के बजाय, वे दृढ़ रहे और हार मानने से इनकार कर दिया। उनका मानना था कि अल्लाह के रास्ते में, पीड़ित होना तय है, इसलिए वह इसके लिए तैयार थे और इस प्रकार सर्वशक्तिमान पर अपना भरोसा रखा, खुद को अल्लाह की आज्ञा मानने के लिए मजबूर किया, और अपनी यात्रा जारी रखी।

एक लक्ष्य निर्धारित करें और डिग्री के बजाय अपने कौशल में महारत हासिल करने पर ध्यान दें: शेख का जीवन हमें इस निष्कर्ष पर ले जाता है कि डिग्री और योग्यता पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, हमें भविष्य को निर्धारित करने वाली प्रतिस्पर्धी ताकत विकसित करने पर काम करना चाहिए। उन्हें यह देखकर दुख होता था कि वर्तमान समय के छात्र विषय में महारत हासिल करने के बजाय डिग्री और रैंक पर अधिक ध्यान देते हैं। वह वर्तमान समय में उन छात्रों की स्थिति के बारे में विशेष रूप से चिंतित थे, जिनके जीवन में उद्देश्य स्पष्ट नहीं थे। शेख के लिए सबसे अधिक चिंतनीय यह था कि आज छात्र अपने जीवन की प्राथमिकताओं के बारे में अनभिज्ञ प्रतीत होते हैं। उनका विचार था कि जीवन में कोई उद्देश्य न होने से समय और ऊर्जा की बर्बादी होती है और इस प्रकार कई अवसरों पर ज्ञान चाहने वालों को जीवन के उद्देश्यों और लक्ष्यों को निर्धारित करने और उन्हें अमल में लाने का प्रयास करने की सलाह देते देखा गया। वह खाली समय और स्वास्थ्य के संबंध में लोगों के वर्तमान दृष्टिकोण के बारे में बहुत चिंतित थे, जो कि अल्लाह के सबसे कीमती इनाम हैं।

निष्कर्ष

शेख उज़ैर इस्लाम के हितों की सेवा के लिए अल्लाह की ओर से एक उपहार थे। उन्होंने अपना जीवन पढ़ने और लिखने के लिए समर्पित कर दिया। उन्होंने छात्रों, विद्वानों और ज्ञान चाहने वालों के लिए एक अच्छा उदाहरण पेश किया है। उनकी विरासत ने वर्तमान और भावी पीढ़ियों के लिए ज्ञान प्राप्त करने और नेक कामों में महत्वपूर्ण योगदान देने का मार्ग प्रशस्त किया है। उन्होंने इस्लाम के संदेश को सीखने और फैलाने के लिए अपना समय और ऊर्जा समर्पित करने के लिए, विचार भेद से ऊपर उठकर, ज्ञान के सभी चाहने वालों को प्रेरित किया। उनके जीवन का उद्देश्य स्पष्ट रूप से निर्धारित था। वे अपने जीवन का अर्थ जानते थे। वे अपने पूर्वजों से प्रेरित थे और इस प्रकार उन्होंने सिर्फ अल्लाह को खुश करने का प्रयास किया और इस दुनिया के मनोरंजन से धोखा नहीं खाया। इस्लाम का महान हित उनके जीवन को चला रहा था और इसलिए, हम उम्मीद करते हैं कि सर्वशक्तिमान, सबसे दयालु, क्षमाशील, उन्हें उन लोगों में शामिल करेगा जो कुरान की आयत में वर्णित अच्छी ख़बर के प्राप्तकर्ता होने के हकदार हैं। [अल अहज़ाब – 23]

ईमानवालों में ऐसे लोग हैं जो अल्लाह से जो वादा करते हैं उस पर खरे उतरते हैं। उनमें से वह है जिसने अपनी मन्नत [मृत्यु तक] पूरी की है, और उनमें से वह है जो [अपने मौके की] प्रतीक्षा कर रहा है। और उन्होंने [अपनी वचनबद्धता की शर्तों] में किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं किया।”

आइए, हम शेख की विरासत को आगे ले जाने की आकांक्षा रखते हुए उनके प्रति अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त करें। आइए, हम इतने समझदार बनें कि अल्लाह ने हमें जो भी नेमतें दी हैं; शरीर, बुद्धि, योग्यता और संपत्ति, का उपयोग जीवन के लक्ष्यों को स्थापित करने और अल्लाह की खुशी और जन्नत के पुरस्कारों को अर्जित करने के लिए इस्लाम की खातिर प्रयास करने की दिशा में कर सकें।

[साभार: The Companion (https://thecompanion.in/an-islamic-scholars-insatiable-craving-for-knowledge)]

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