वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के चलते तब्लीगी जमात को लेकर शुरू हुआ विवाद अब थमता सा तो ज़रूर दिख रहा है लेकिंन इस पूरे मुद्दे ने भारतीय मीडिया के बड़े हिस्से पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं। जिस तरह इस पूरे मुद्दे में मीडिया द्वारा तब्लीगी जमात को घरने का प्रयास किया गया वो प्रयास बहुत थोथा एवं सुनियोजित नज़र आया।
मर्कज़ निजामुद्दीन से क्वारंटाइन में लिए अधिकतर तब्लीगी जमात के कार्यकर्ता पूर्ण रूप से स्वस्थ पाए गए हैं लेकिन मीडिया में लगातार राजधानीदिल्ली में कोरोना के फैलने का कारण तब्लीगी जमात को बताने का प्रयास किया गया जमात के अमीर मौलाना साद को बदनाम करने का पूरा प्रोपोगेंडा चलाया गया कोरोना जिहाद जैसे शब्दों का उपयोग किया गया,जमात को बैन कर देने की मांग उठने लगी की इस साजिश का इतना प्रभाव हमारेसमाज पर पड़ा की कई मुस्लिम लोगों की लिंचिंग की खबरे आने लगी मुसलमानों का सामाजिक बहिष्कार कर देने जैसी चर्चाएं आम होने लगी ये हमारे लिए एक चिंता का विषय है की मीडिया आखिर इस तरह की साजिश करने पर क्यों उतारू है ?
अब आते हैं हम असल मुद्दे पर,रविवार रात ट्वीटर पर अचानक ट्रेंड होने लगा # #TabligiHeroes और इस ट्रेंड के बाद वही तब्लीगी जमात जिसे नकारात्मक ढंग से समाज में मीडिया द्वारा प्रस्तुत किया गया था एक सकारत्मक ढंग से सोशल मीडिया के इस अहम प्लेटफॉर्म पर ट्रेंड होने लगी।
अब आप सोच रहे होंगे की आखिर ऐसा क्यों हुआ ? तो हम आपको बताते हैं इसकी वजह में हुआ यूँ की तबलीगी जमात के मुखिया मौलाना मोहम्मद साद कंधावली ने कोरोना संक्रमण से ठीक हो चुके मुस्लिम और जमातियों से अपना ब्लड प्लाज्मा दान करने की अपील की थी। ताकि उन लोगों को फायदा हो सके जो इस बीमारी से संक्रमित हैं और जिनका इलाज चल रहा है। मौलाना साद की इस अपील के बाद दिल्ली में तबलीगी जमात कार्यक्रर्ता संक्रमित लोगों को खून देने के लिए राजी हो गए हैं और बड़ी संख्या में तब्लीगी जमात के कार्यकर्ताओं ने प्लाज़्मा दान किया,जमात के कार्यकर्ताओं ने पूरे देश में संदेश देने का काम किया की कल तक जिन लोगों को बदनाम किया गया वो कितनी अच्छाइयां अपने साथ रखते हैं,इसी बात को लेकर हर तरफ तब्लीगी जमात की तारीफ जा रही है सोचने का विषय ये है की तब्लीगी जमात को बदनाम करने में पूरा ज़ोर लगाने वाला भारतीय मीडिया अब खामोश है।