“जो हमारे घर की खीर मिठाईयां खाते थे और ईद मिलन में गले मिलते थे वे ही हैं जिन्होंने आज हमारे गले काटे।” यह शब्द शिव विहार की उन महिलाओं के हैं जिनके घरों, व्यवसायों और दुकानों में आग लगा दी गई और वे अपने आधे अधूरे परिवार के साथ जन बचाकर मुस्तफाबाद पहुंची हैं ।उन्होंने रोते हुए बताया कि यह वही लोग थे जो हमारे आस पड़ोस में हमारे साथ रहते थे, लेकिन जब आरएसएस के गुंडों और पुलिस का समर्थन मिला तो हम ही पर टूट पड़े । बहुत से लोग अभी लापता हैं। और बहुत से जीएमटी में भरती हैं। वे यह भी दावा करती हैं कि मरने वालों की संख्या सही नहीं बताई गई है, मरतकों की संख्या रिपोर्ट की गई संख्या से बहुत अधिक है।उन्होंने यह भी कहा कि उनके गैर-मुस्लिम पड़ोसियों ने उन्के साथ फोन पर सहानुभूति जता के वापस बुलाया और फिर उन्हें बेरहमी से पीटा और उन्होंने रजिस्ट्री के कागजात भी डरा धमका के मांगे। जानने वालों में से सात अभी भी लापता हैं और जो बचे हैं वे भी गंभीर रूप से घायल हैं और उन्हें जीटीबी में भर्ती कराया गया है। वे हमसे पूछने लगे कि आखिर इतनी नफरत कहां से आई ?? वह हमारे विरूद्ध इतना ज़हर क्यों भरे फिरते थे… क्यों ? मैं क्या प्रतिक्रिया देता ?? सावरकर और गोलवलकर आज आज के तो नहीं हैं न, नफरत तो उसी दिन से भरी जारही है।उन्होंने यह भी कहा कि केवल मीडिया को ताहिर हुसैन और पेट्रोल पंप ही दिखाई देते हैं। हमारी परेशानियों की उनको बिल्कुल भी चिंता नहीं है?? मेरे पास फिर कोई जवाब नहीं था। शायद इसीलिए हमें ग्राउंड रिपोर्टिंग करने के लिए बाहर जाना पड़ा।
संक्षेप में यह कि , शिव विहार के मुसलमानों पर खुद वहीं के गैर मुसलमानों ने आरएसएस के गुंडों और पुलिस की मदद से बहुत अत्याचार किया । वहां बड़ी संख्या में आर्थिक रूप से मजबूत मुसलमान भी थे लेकिन अब हर कोई सड़क पर है। यदि भागते समय दो महीने का लड़का नंगे सर था तो अब भी उसके पास टोपी नहीं है। 15-20 मिलियन के शोरूम के मालिक आज दूसरों के कपड़े पहनने के लिए मजबूर हैं। लोग अभी तक अपने घर के मलबे में नहीं जा पा रहें हैं । आज भी पुलिस शिव विहार के दंगाइयों के सामने बिल्कुल असहाय हैं। लोगों में डर इतना बैठ गया है कि डरते हुए कि लोग बयान नहीं दे रहे हैं, हमें उन्हें यह बताने में आधे घंटे से अधिक का समय लगा कि हम सहानुभूतिप जताने के लिए आए हैं और हम चाहते हैं कि आपकी आवाज आपके भाइयों तक पहुंचे। फ़िर उन्होने अपनी बातें खुल कर हमारे सामने रखीं
उनका भी मालिक वही है और वह देख रहा है उसी के भरोसे से वह , हम और आप अभी भी मैदान में हैं और मौजूद रहेंगे। इंशा अल्लाह
फ़व्वाज़ जावेद, लुकमान, माज़
टीम एस आई ओ दिल्ली