सुहैल के के का भारतीय मुस्लिम युवाओं के नाम खुला पत्र

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आए दिन मीडिया में कोई ऐसी खबर जरूर होती है जिस में मुसलमानों को डायरेक्टली टारगेट किया जाता है इन सब के पीछे एक तंत्र काम कर रहा है जो देश के सबसे बड़े अल्पसंख्यक समुदाय की छवि को वर्णनात्मक रूप से बिगड़ना चाहता है, जबकि उस समुदाय ने आज़ादी की लड़ाई लड़ी, सीमा के इस पार ही रहने का निर्णय किया और इस राष्ट्र के विकास में हमेशा योगदान देता रहा।

हम यह नहीं कह रहे हैं कि हर एक बहुसंख्यक आज के इस राजनीतिक प्रोपगंडा में भागीदार है, लेकिन फिर भी इसका इनकार नहीं किया जा सकता कि पिछले 3 सालों में बड़ी सतह पर एक गहरा उन्माद पैदा किया गया जो हर संभावित कारण के आधार पर मुसलमानों को अपनी घृणा का निशाना बनाता है।

दुष्प्रचार के बृहत तंत्र के उद्देश्य मुख्यत: तीन हैं-

1- देश का ध्यान जनता के आम मुद्दों से विचलित करना ताकि लोग विकास, आर्थिक वृद्धि, नौकरी, पीडीएस घोटाला, व्यापंम घोटाले और सत्ता पे पूंजीपतियों के आधिपत्य जैसे मुद्दों पर न सोच सके ना सवाल कर सकें।

2- मुस्लिम युवाओं को बेकार की चर्चाओं में उलझाए रखना और उन्हे दूर रखना।
ट्रिपल तलाक, हलाला, यूसीसी, मदरसों में जबरन राष्ट्रगान, गौरक्षा के नाम पर मुसलमानों का मारा जाना या लव जिहाद आदि मुद्दे उनके इसी मकसद का हिस्सा है। इस तरह मुस्लिम समुदाय को इन मुद्दों में उलझाकर पिछड़ेपन में धकेलने की कोशिश होती है।
इसका अंदाजा लगाना बड़ा मुश्किल है कि हमारे समुदाय का कितना समय और सामूहिक क्षमता इन सब मुद्दों पर पर प्रतिउत्तर देने में बर्बाद हो रही है।
यह स्थिति अविश्वसनीय रूप से हमारे समुदाय और राष्ट्र के लिए बड़ी हानिकारक है।

3- ‘डिवाइड एंड रूल’ की पॉलिसी का पालन कर लंबे समय तक इसका राजनीतिक लाभ उठाना ।
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इस कठिन स्थिति में मुस्लिम विशेषत: युवाओं को क्या करना चाहिए, इस संबंध में मेरे कुछ सुझाव है जिनसे मैं समझता हूं कि हम इस स्थिति से उबरने और राजनीति के इस गंदे खेल को परास्त करने में सहायता मिल सकती है-

•~प्रथम और महत्वपूर्ण ये कि आप अपने जीवन में शिक्षा, कैरियर बिज़नस, सोशल वर्क से संबंधित या जो भी आप कर रहे हैं उसके उद्देश्य पर आप अपना ध्यान केंद्रित करें ।
मीडिया और ऐसी घटनाओं पर ज्यादा ध्यान ना दें जो आपको आपके जीवन के उद्देश्य से भटकाए और बेकार की बहस मैं आपका समय बर्बाद करें।

•~रियलिस्टिक (यथार्थवादी) बनिए और भावनाओं में न बह जाएं जैसा हमने अपने इतिहास में किया है।
मीडिया में आने वाली किसी भी खबर पर अतिप्रतिक्रिया से बचिए।

•~याद रखिए, कि सत्ता में कौन है ये देखे बगैर हम पर राष्ट्र की बेहतरी के लिए काम करने का कर्तव्य है। राष्ट्र और सत्तापक्ष दोनों अलग अलग है।
अपने राष्ट्र को अपनी क्षमता अनुसार योगदान देते रहिए।
राजनीतिक पार्टियां आती जाती रहेंगी लेकिन राष्ट्र से हमारा संबंध कभी नहीं बदलेगा।

•~रचनात्मक डिस्कशन्स मैं हिस्सा लीजिए और नकारात्मकता से बचिए।
कुछ कुशल योग्य लोग हैं जो इन सब को बेहतर तरीके से मैनेज कर सकते हैं तो यह काम उन्हें ही करने दे, क्योंकि हर कोई इन मुद्दों पर बहस के लिए कुशल नहीं है। इसलिए अपनी एनर्जी बर्बाद करने की बजाए जो आप बेहतर कर सकते हैं उस पर ध्यान दीजिए।

•~सच्चाई की खोजबीन कर उसे जानने की कोशिश करें क्योंकि जब तक आप स्वयं उसे नहीं जा लेते, दूसरों के सामने कैसे प्रस्तुत करेंगे।

•~घबराइए नहीं, दुष्प्रचार का यह तंत्र यही चाहता है कि हम डरते रहें।
याद रखिए एक रचियता है जो सर्वशक्तिमान और आप का सहारा है।

•~इतना ही नहीं बल्कि यह प्रार्थना भी करते रहिए कि हमारे सुंदर देश में शांति और सद्भावना हमेशा प्रचलित रहे।
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अंत में मेरा सभी मित्रों से निवेदन है कि भारत की असल अवधारणा के संरक्षण के लिए आवाज उठाइए और अपना योगदान दीजिए।
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सुहैल के के (संस्थापक क्विल फाउंडेशन)
अँग्रेजी से अनुवाद : अजहर अंसार

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