आज उच्च न्यायालय ने सीबीआई के वकील को, नजीब के ऊपर हमला होने के बाद लापता होने के, ब्योरे का पूरा विवरण न दाखिल करने के लिए, अदालत में डीआईजी की उपस्थिति सुनिश्चित करने के बजाए हर सुनवाई में वकील बदलने के लिए और मामले की अत्यधिक सुस्त एवं ख़राब जाँच के लिए, कड़ी फटकार लगाई है।
अदालत ने सीबीआई को विद्यार्थी परिषद के सदस्यों के कॉल डेटा रिकॉर्ड अर्थात् सीडीआर (जिनमें उनके द्वारा किए गए व्हाटस् ऐप और टैक्स्ट मैसेजेस भी शामिल हैं) और नजीब पर हमला एवं उसके गायब होने की रात उनकी स्थिति की जानकारी उपलब्ध कराने के आदेश दिए हैं।
अदालत ने सीबीआई को पॉलीग्राफ टेस्ट के ज़रिए जांच करने में देरी न करने का निर्देश दिया है और कहा है कि सीबीआई को आज स्वयं पटियाला हाउस सत्र न्यायालय में परीक्षण करने के लिए आज्ञा याचिका दायर करना चाहिए।
सीबीआई द्वारा विद्यार्थी परिषद के गुंडों की रक्षा करने की साजिश आज खुल कर सामने आ गयी । CBI ने कहा कि वे जेएनयू के छात्र हैं और जे एन यह एक आम बात है लेकिन अदालत ने सीबीआई के इस दृष्टिकोण पर भी सवाल उठाए हैं। सीबीआई के वकील अदालत में केवल सीबीआई की छवि को बचाने का प्रयास कर रहे हैं लेकिन उनका यह प्रयास भी अब हास्यास्पद प्रतीत होता है।
सीबीआई मुख्यालय के सामने पिछले दो दिनों से लगातार हो रहे विरोध प्रदर्शन का असर स्पष्ट दिखाई दे रहा है। अदालत ने अगली सुनवाई की तारीख़ 14 नवंबर तय की है। आशा है अदालत सीबीआई पर दबाव कायम रखेगी और पीड़ित को न्याय मिल सकेगा।
(अँग्रेजी से अनुवाद )
रिपोर्ट: हिबा अहमद